पटना में 24 पाकिस्तानी महिलाओं की लिस्ट जारी, तीन ने ली भारतीय नागरिकता 40 साल दरगाह की सेवा के बाद श्यामलाल की घर वापसी, पहलगाम आतंकी हमले से हुआ हृदय परिवर्तन Bihar News: सदर अस्पताल में मिला 25 वर्षीय युवक का शव, प्रेमिका के परिवार वालों पर हत्या का आरोप आतंकवादी हमले के खिलाफ पटना में महागठबंधन का कैंडल मार्च, तेजस्वी यादव-मुकेश सहनी सहित कई नेता रहे मौजूद Road Accident: भारतीय सेना के जवान की सड़क हादसे में मौत, पिता के निधन के बाद छुट्टी पर आए थे घर गोपालगंज में 4 दिन से लापता युवती की लाश बगीचे से बरामद, हत्या के विरोध में परिजनों ने किया सड़क जाम हंगामा CSKvsSRH: 10वें स्थान को लेकर CSK और SRH में रोचक जंग के बीच चेन्नई को मिले भविष्य के 2 सुपरस्टार BIHAR NEWS: विनोद सिंह गुंजियाल बने बिहार के नये मुख्य निर्वाचन पदाधिकारी, 2007 बैच के हैं IAS अधिकारी महागठबंधन में महाघमासान होना तय! RJD से दबने को तैयार नहीं कांग्रेस, को-ओर्डिनेशन कमेटी में दिखा दिया अपना जोर Pahalgam Terror Attack: रूस की अपने नागरिकों को सलाह, “पाकिस्तान की यात्रा न करें”, भारत-पाक के बीच तनाव से पूरी दुनिया अलर्ट
1st Bihar Published by: FIRST BIHAR Updated Mon, 22 Jan 2024 05:06:42 PM IST
- फ़ोटो
DELHI: अयोध्या के भव्य श्री राम मंदिर में रामलला की प्राण प्रतिष्ठा का कार्यक्रम संपन्न हो गया। इस दौरान पूरे देश के लोगों ने कार्यक्रम का सीधा प्रसारण अपने-अपने घरों में बैठकर देखा लेकिन आरोप है कि तमिलनाडु की स्टालिन सरकार ने प्राण प्रतिष्ठा कार्यक्रम के सीधा प्रसारण पर रोक लगा रखी थी। अब यह मामला सुप्रीम कोर्ट पहुंच चुका है। मामले पर सुनवाई करते हुए शीर्ष अदालत ने एम के स्टालिन की सरकार से जवाब मांगा है।
दरअसल, विनोज नामक व्यक्ति ने सुप्रीम कोर्ट में एक याचिका दायर की है। जिसमें उन्होंने कहा है कि तमिलनाडु में द्रविड़ मुनेत्र कषगम (द्रमुक) सरकार ने राज्य के सभी मंदिरों में अयोध्या में 'प्राण प्रतिष्ठा' समारोह के सीधे प्रसारण पर रोक लगा दी है। यह भी आरोप लगाया गया है कि सरकार ने इस अवसर पर सभी प्रकार की पूजा और 'अन्नदानम' तथा 'भजनों' पर रोक लगा दी है। सुप्रीम कोर्ट ने सोमवार को इस याचिका पर सुनवाई की और नोटिस जारी कर तमिलनाडु सरकार से जवाब मांगा है।
जस्टिस संजीव खन्ना और न्यायमूर्ति दीपांकर दत्ता की पीठ ने प्राण प्रतिष्ठा समारोह के तमिलनाडु के मंदिरों में सीधे प्रसारण पर रोक लगाने से संबंधित एक मौखिक आदेश को रद्द करने वाली याचिका पर सुनवाई की और कहा कि कोई भी मौखिक आदेश का पालन करने के लिए कोई बाध्य नहीं है। पीठ ने तमिलनाडु की ओर से पेश हुए वरिष्ठ अधिवक्ता अमित आनंद तिवारी का यह बयान दर्ज किया कि मंदिरों में ‘पूजा-अर्चना’ या अयोध्या में प्राण प्रतिष्ठा समारोह पर कोई पाबंदी नहीं है। उन्होंने इसे राजनीति से प्रेरित बताया है।
सुप्रीम कोर्ट की पीठ ने प्राधिकारियों से उन वजहों को रिकॉर्ड में रखने और उन आवेदनों का डेटा बनाए रखने को कहा है जिन्हें मंदिरों में 'पूजा अर्चना' और प्राण प्रतिष्ठा समारोह के सीधे प्रसारण के लिए स्वीकृति दी गयी है। कोर्ट ने याचिका पर तमिलनाडु सरकार से भी 29 जनवरी तक जवाब देने को कहा है।