सुधाकर सिंह के इस्तीफे की इनसाइड स्टोरी: तेजस्वी के CM बनने के सपने में बाधा बन गये थे, इस्तीफा दिया नहीं बल्कि लिया गया

सुधाकर सिंह के इस्तीफे की इनसाइड स्टोरी: तेजस्वी के CM बनने के सपने में बाधा बन गये थे, इस्तीफा दिया नहीं बल्कि लिया गया

PATNA: बिहार में भारी भ्रष्टाचार के खिलाफ जंग छेड़ने वाले कृषि मंत्री सुधाकर सिंह की नवरात्र की महासप्तमी को बलि ले ली गयी। रविवार की सुबह सुधाकर सिंह के पिता और राजद के प्रदेश अध्यक्ष जगदानंद सिंह ने खुद मीडिया को बुलाया। कहा-सुधाकर सिंह किसानों के लिए लड़ना चाहते थे इसलिए त्याग किया और इस्तीफा दे दिया है।जगदानंद सिंह कह रहे हैं कि सुधाकर सिंह ने खुद इस्तीफा दिया है। लेकिन अब अंदर की कहानी सामने आ रही है। कृषि मंत्री सुधाकर सिंह ने खुद इस्तीफा दिया नहीं बल्कि उनसे इस्तीफा मांगा गया। राजद के अंदर से जो बातें आ रही हैं वह यही बता रही हैं कि कड़वा सच बोल रहे सुधाकर सिंह तेजस्वी यादव के सीएम बनने के सपने पर ग्रहण लगा रहे थे। इसी सपने को पूरा करने के लिए सुधाकर को कुर्बान कर दिया गया। 


इस्तीफा दिया नहीं मांगा गया

अंदर की कहानी को जानिये. बिहार के कृषि मंत्री सुधाकर सिंह पिछले दो दिनों से अपने विधानसभा क्षेत्र में हैं. शुक्रवार को उन्होंने कृषि विभाग में अधिकारियों के साथ बैठक की थी. उसके बाद दुर्गा पूजा को लेकर सचिवालय और सरकारी दफ्तर बंद हो गये. शुक्रवार को बैठक के तत्काल बाद ही सुधाकर सिंह अपने विधानसभा क्षेत्र यानि कैमुर जिले के रामगढ़ निकल गये थे. तब से वे पटना वापस नहीं लौटे।


राजद के एक सीनियर नेता ने बताया कि अगर किसी मंत्री को इस्तीफा देना होता है तो वह खुद आकर उसे सौंपता है. सुधाकर सिंह को इस्तीफा देना होता तो वे पटना से इस्तीफा देकर ही अपने विधानसभा क्षेत्र जाते. लेकिन वे दो दिनों से अपने क्षेत्र में घूम रहे थे. वहां लोगों से मिलकर भी कृषि विभाग के कामकाज का फीडबैक ले रहे थे. शुक्रवार की रात वे अपने क्षेत्र में एक रामलीला कार्यक्रम में शामिल हुए थे. वहां भी उन्होंने किसानों से लंबी बातचीत की थी और कृषि विभाग को ठीक करने के बारे में सलाह मांगी थी।


शनिवार की रात तेजस्वी का फोन आया था

सुधाकर सिंह के एक करीबी ने फर्स्ट बिहार को बताया कि शनिवार की शाम डिप्टी सीएम तेजस्वी यादव का फोन आया था. मंत्री जी उस समय भी लोगों से मिल ही रहे थे. उन्होंने अलग हटकर डिप्टी सीएम से बात की लेकिन फोन पर हुई इसी बातचीत के बाद उनकी भाव भंगिमा बदल गयी. फिर वे देर शाम तक वे क्षेत्र में रहे लेकिन किसी से कोई खास बात नहीं की।


रविवार की सुबह इस्तीफा भिजवाया

आज यानि रविवार की सुबह सुधाकर सिंह ने अपना इस्तीफा तेजस्वी यादव के घर पर भिजवा दिया. सुधाकर सिंह के रामगढ स्थित पैतृक आवास से एक गाड़ी निकली. उसमें सुधाकर सिंह के एक करीबी व्यक्ति सवार थे. उन्हीं के हाथों एक बंद लिफाफे को पटना भेजा गया. सुधाकर सिंह के करीबी व्यक्ति ने पटना आकर उनके पिता औऱ राजद के प्रदेश अध्यक्ष जगदानंद सिंह को वह लिफाफा सौंपा. त्यागपत्र वाला उसी लिफाफे को लेकर जगदानंद सिंह तेजस्वी यादव के आवास पर पहुंचे और उन्हें वह पत्र सौंपा. इसके बाद ही जगदानंद सिंह ने मीडिया को बुलाकर ये कहा कि किसानों की लंबी लड़ाई लड़ने के लिए सुधाकर सिंह ने इस्तीफा दे दिया है।


तेजस्वी ने क्यों लिया इस्तीफा

अब सवाल ये उठ रहा है कि तेजस्वी यादव ने सुधाकर सिंह से इस्तीफा क्यों लिया. सुधाकर सिंह ने कृषि मंत्री बनने के बाद अपने विभाग को दुरूस्त करने की हर कोशिश की. उन्होंने किसी तरह की सरकारी सुविधा लेने से इंकार कर दिया था. सुधाकर पूरे बिहार में अपनी निजी गाड़ी से ही घूम रहे थे. उनके खिलाफ भ्रष्टाचार से लेकर दूसरी कोई शिकायत भी नहीं थी. फिर ऐसे मंत्री से इस्तीफा लेने की जरूरत क्यों आ पड़ी।


फर्स्ट बिहार ने राजद के बड़े नेता से इस बाबत बात की. वे ऑन रिकार्ड कुछ बोलने को तैयार नहीं हुए लेकिन ऑफ द रिकार्ड सारी कहानी बता दी. राजद नेता का कहना था कि लगभग दो महीने पहले जब तेजस्वी यादव ने नीतीश कुमार से समझौता किया था उसमें ही साफ कर दिया गया था कि 2025 के विधानसभा चुनाव से पहले ही नीतीश इस्तीफा देंगे और तेजस्वी उनके उत्तराधिकारी बन कर बिहार को चलायेंगे. सीएम बनने के अपने इसी सपने को पूरा करने के लिए तेजस्वी यादव पिछले दो महीने से नीतीश कुमार का गुण गा रहे हैं. चाहे वे मीडिया से बात करें या लोगों को संबोधित करें, उनकी बात की शुरूआत ही माननीय मुख्यमंत्री जी से हो रही है।


अपने सपने को पूरा करने के लिए फूंक-फूंक कर कदम रख रहे तेजस्वी यादव के लिए सुधाकर सिंह खतरा बने थे. राजद नेता ने बताया कि बिहार के मौजूदा मुख्यमंत्री नीतीश कुमार तेजस्वी ही नहीं बल्कि लालू यादव को कई दफे कह चुके हैं कि सुधाकर सिंह को मंत्री पद से हटा दिया जाना चाहिये. नीतीश कह रहे हैं कि सुधाकर सिंह के कारण सिर्फ मौजूदा सरकार की इमेज नहीं खराब हो रही है बल्कि आने वाले दिनों में जब तेजस्वी यादव की सरकार बनेगी तो उसके बारे में भी लोगों की धारणा खराब होगी।


राजद नेता के मुताबिक लालू यादव औऱ तेजस्वी ने कई दफे सुधाकर सिंह को कहा था कि वे भ्रष्टाचार जैसे मुद्दों पर चुप रहें. लेकिन सुधाकर मानने को तैयार नहीं थे. वे लगातार भ्रष्टाचार के खिलाफ बोल रहे थे. इस बीच पिछले कुछ दिनों से बिहार में किसानों की बदहाली का मुद्दा उठाने लगे थे. इसके लिए वे बिहार सरकार की कृषि नीति को जिम्मेवार ठहरा रहे थे. जबकि बिहार सरकार की कृषि नीति यानि कृषि रोड मैप को खुद नीतीश कुमार ने तैयार कराया है. सूत्रों की मानें तो कृषि रोड मैप को लेकर सुधाकर सिंह के बयानों पर भी नीतीश को घोर आपत्ति थी. दो दिन पहले भी नीतीश कुमार ने तेजस्वी से कहा था कि वे कृषि मंत्री को बोलने से रोकें।


किसान पंचायत बुलाने के फैसले पर थी भारी खलबली

इसी बीच कृषि मंत्री सुधाकर सिंह ने एलान कर दिया था कि वे बिहार के किसानों की समस्या को समझने के लिए पूरे राज्य के किसानों का सम्मेलन बुलायेंगे. पटना में किसान पंचायत बुलाकर उनकी समस्या सुनी जायेगी और फिर उसके निराकरण के लिए रणनीति तैयार की जायेगी. सुधाकर सिंह के इस कदम से एक अण्णे मार्ग के सीएम आवास से लेकर 10, सर्कुलर रोड स्थित लालू-राबडी आवास में बेचैनी थी। 


अधिकारियों भी कर रहे थे मंत्री की अनदेखी 

सूत्र बता रहे हैं कि कृषि विभाग के आलाधिकारी को भी उपर से फरमान आ गया था. तभी अधिकारियों ने भी कृषि मंत्री सुधाकर सिंह की अनदेखी करनी शुरू कर दी थी. शुक्रवार को जब मंत्री ने कृषि विभाग में नाप-तौल से संबंधित उच्च स्तरीय समीक्षा बैठक बुलायी थी तो उसमें विभाग के सचिव ही नहीं पहुंचे. बैठक में रखी विभागीय सचिव की कुर्सी खाली ही रह गयी. कृषि विभाग के सूत्रों के मुताबिक मंत्री के कई आदेशों को अधिकारियों के स्तर पर दबाने की भी शुरूआत हो चुकी थी। 


फर्स्ट बिहार से बातचीत में राजद के दो प्रमुख नेताओं ने स्वीकारा कि तेजस्वी यादव ही नहीं बल्कि पूरा लालू परिवार ये जी-जान से कोशिश कर रहा है कि सीएम बनने के सपने में कोई बाधा नहीं आये. सुधाकर सिंह उसमें बाधा बन रहे थे. राजद के एक नेता ने बताया कि सुधाकर सिंह की जगह कोई दूसरे मंत्री ने सच बोलने की कोशिश की होती तो वह कब का मंत्रिमंडल से विदा कर दिया गया होता. लेकिन सुधाकर सिंह राजद के प्रदेश अध्यक्ष जगदानंद सिंह के बेटे हैं. उनकी विदाई बहुत आसान नहीं थी. दूसरा सुधाकर सिंह समाज के एक प्रभावशाली वर्ग से आते हैं, उनके खिलाफ कार्रवाई से उस वर्ग में भारी नाराजगी फैलने का डर था. लिहाजा इस्तीफे में कुछ देर हुई लेकिन अंधेर नहीं.


बता दें कि सुधाकर सिंह शुरू से ही बिहार के कृषि विभाग में उपर से लेकर नीचे तक फैले भ्रष्टाचार को खुलकर उठा रहे थे. सुधाकर सिंह ने कृषि विभाग को चोर और खुद को चोरों का सरदार करार दिया था. उन्होंने किसानों से अपील की थी कि जो अधिकारी या कर्मचारी उनसे घूस मांगे उसे वे जूतों से पीटे।


सुधाकर सिंह इस मसले पर खुलेआम नीतीश कुमार से भिड़ चुके थे. कैबिनेट की बैठक में जब नीतीश कुमार ने उनके चोर औऱ चोरों के सरदार वाले बयान पर आपत्ति जतायी थी तो सुधाकर सिंह कैबिनेट की बैठक छोड़ कर चले गये थे. उन्होंने कहा था कि वे सच कह रहे हैं और चाहे जो कुछ भी हो जाये वे अपनी बात पर कायम रहेंगे।


उधर, बिहार में किसानों के लिए मंडी कानून खत्म होने पर सुधाकर सिंह लगातार आपत्ति जता रहे थे. दरअसल नीतीश कुमार ने 2006 में ही बिहार में किसानों के लिए मंडी कानून को खत्म कर दिया था. सुधाकर सिंह कह रहे थे कि किसानों के लिए मंडी कानून खत्म होने के बाद उऩकी स्थिति बेहद खराब हो गयी है. उन्हें अपने उपज को सरकार द्वारा तय एजेंसी के पास ही बेचना पड़ता है औऱ इससे उन्हें भारी नुकसान होता है. फसल का सही दाम नहीं मिल पाता।