श्रमजीवी एक्सप्रेस विस्फोट कांड: कोर्ट ने दो आतंकियों को दी सजा-ए-मौत, 18 साल बाद आया फैसला; 14 लोगों की गई थी जान

श्रमजीवी एक्सप्रेस विस्फोट कांड: कोर्ट ने दो आतंकियों को दी सजा-ए-मौत, 18 साल बाद आया फैसला; 14 लोगों की गई थी जान

DESK: 28 जुलाई 2005 को श्रमजीवी एक्सप्रेस ट्रेन में हुए विस्फोट के मामले में 18 साल बाद कोर्ट का फैसला आया है। कोर्ट ने इस कांड में शामिल दो आतंकवादियो को मौत की सजा सुनाई है। कई सालों की लंबी सुनवाई के बाद आखिरकार जौनपुर जिला अपर सत्र न्यायाधीश प्रथम राजेश कुमार राय की कोर्ट ने दोनों दोषी आतंकियों को सजा-ए-मौत दे दी।


दरअसल, उत्तर प्रदेश के सिंगरामऊ के हरपालगंज रेलवे स्टेशन के पास 28 जुलाई 2005 को श्रमजीवी एक्सप्रेस ट्रेन में बड़ा धमाका हुआ था। इस धमाके में 14 लोगों की जान चली गई थी जबकि 60 से अधिक लोग गंभीर रूप से घायल हो गए थे। इस मामले में पुलिस ने दो आतंकवादियों बांग्लादेश निवासी हिलालुद्दीन उर्फ हिलाल और बंगाल निवासी नफीकुल विश्वास को गिरफ्तार किया था।


लंबी सुनवाई के बाद कोर्ट ने दोनों बीते 22 दिसंबर को दोषी करार दिया था। अपर सत्र न्यायाधीश प्रथम की अदालत में दो जनवरी को सजा के बिंदु पर बहस हुई थी। दोनों पक्षों को सुनने के बाद कोर्ट ने सजा सुनाने के लिए बुधवार की तिथि निर्धारित की थी। कोर्ट ने दोनों दोषियों को मृत्युदंड सुनाने के साथ ही विभिन्न धाराओं के तरह जुर्माना भी लगाया है।