DESK : महाराष्ट्र की महायुति गठबंधन में फिर बवाल मच गया है। इस बार बबाल की वजह शिंदे सरकार के मंत्री तानाजी सावंत का बयान है। सावंत ने एक कार्यक्रम के दौरान कहा था कि एनसीपी मंत्रियों के बगल में बैठता हूं तो उल्टी आती है। इसके बाद अब एनसीपी के नेता ने कहा कि अब इस सरकार में या तो तानाजी रहेंगे या फिर एनसीपी। यह बातें एनसीपी प्रवक्ता उमेश पाटिल ने कही है। उन्होंने यह भी कहा कि हम अपने राष्ट्रीय अध्यक्ष अजित पवार और दूसरे सीनियर लीडर्स से रिक्वेस्ट करते हैं कि कैबिनेट छोड़ दें।
मिली जानकारी के मुताबिक महाराष्ट्र में भाजपा मुख्यमंत्री एकनाथ शिंदे के नेतृत्व वाली शिवसेना और अजित पवार की अगुवाई वाली राकांपा राज्य में सत्तारूढ़ ‘महायुति’ गठबंधन में साझेदार हैं। ऐसे में तानाजी के इस बयान पर तगड़ी प्रतिक्रिया आई है। उमेश पाटिल ने कहा कि अजित पवार को तब तक कोई कैबिनेट मीटिंग अटेंड नहीं करनी चाहिए, जब तक कि सावंत को हटा नहीं दिया जाता।
पाटिल ने आगे कहा कि सिर्फ पवार ही नहीं, बल्कि सभी मंत्रियों को कैबिनेट का बहिष्कार करना चाहिए। उन्होंने आगे कहा कि हमें सावंत की माफी या बयान नहीं चाहिए कि उन्हें गलत समझा गया। हम बस इतना चाहते हैं कि उन्हें तत्काल बाहर किया जाए। एनसीपी सत्ता की भूखी नहीं थी। हम किसी ऐसे मंत्री के साथ काम नहीं कर सकते जो इस तरह की अपमानजनक टिप्पणी करें। वह महायुति गठबंधन में रहने लायक ही नहीं हैं।
वहीं,सावंत पर निशाना साधते हुए पाटिल ने कहा कि मुझे नहीं याद आता कि देश में ऐसा कोई नेता होगा, जिसने अपने साथी नेताओं पर ऐसा शर्मनाक बयान दिया हो। उन्होंने कहा कि सावंत दिल के कड़वे हैं। मालूम हो कि, माहाराष्ट्र के स्वास्थ्य मंत्री तानाजी सावंत ने गुरुवार को एक कार्यक्रम में कहा कि वह एक कट्टर शिव सैनिक हैंद्ध राकांपा के नेताओं के साथ उनकी कभी नहीं बनी।
सावंत ने कहा कि भले ही कैबिनेट बैठकों में हम एक-दूसरे के बगल में बैठते हों, लेकिन बाहर आने के बाद मुझे उल्टी सी आने लगती है। वहीं, राकांपा प्रवक्ता और विधान परिषद सदस्य (एमएलसी) अमोल मिटकरी ने सावंत की टिप्पणी की निंदा की और सवाल किया कि गठबंधन को बरकरार रखने की जिम्मेदारी क्या केवल उनकी पार्टी की है। उन्होंने कहा कि सावंत ने पहले भी ऐसी टिप्पणियां की हैं, जिनसे राकांपा को ठेस पहुंची है। मिटकरी ने कहा कि हम केवल गठबंधन धर्म की खातिर चुप हैं। राकांपा नेता ने कहा कि उल्टी आने की उनकी समस्या का इलाज केवल मुख्यमंत्री ही कर सकते हैं।