PATNA : केंद्र सरकार की रिपोर्ट से बिहार में शराबबंदी की कलई खुलने के बाद देश के शराब निर्माताओं ने मुख्यमंत्री नीतीश कुमार को पत्र लिखा है. पत्र में कहा गया है कि बिहार के लोग चार गुणा ज्यादा पैसा खर्च कर शराब पी रहे हैं. सरकार को टैक्स का भारी नुकसान हो रहा है. अब तो नीतीश कुमार अपने फैसले पर पुनर्विचार करें.
शराब निर्माताओं के संगठन कंफेडरेशन ऑफ इंडियन अल्कोहलिक बेवरेजेज कंपनीज ने नीतीश कुमार को पत्र लिखा है. इस पत्र में केंद्र सरकार के परिवार कल्याण मंत्रालय द्वारा हाल में जारी नेशनल फैमिली हेल्थ सर्वे की रिपोर्ट का हवाला दिया है. शराब निर्माताओं के संगठन ने कहा है कि केंद्र सरकार की रिपोर्ट बता रही है कि बिहार में शराबबंदी के बावजूद महाराष्ट्र से ज्यादा लोग शराब पी रहे हैं. बिहार के लोग चार गुणा ज्यादा पैसा खर्च कर शराब खरीद रहे हैं. अब तो नीतीश कुमार अपने फैसले पर विचार करें.
सरकार को हजारों करोड़ो को नुकसान
शराब निर्माताओं के संगठन के अध्यक्ष विनोद गिरी के अनुसार बिहार के लोग शराब के लिए बहुत ज्यादा पैसा खर्च कर रहे हैं जो शराब माफियाओं की जेब में जा रहा है. शराब की अवैध बिक्री से सरकार को हर साल कम से कम आठ हजार करोड़ रुपये के टैक्स का नुकसान हो रहा है. बिहार में शराब की तस्करी भी धड़ल्ले से हो रही है. नकली शराब बेचे जाने की भी खबरें आ रही हैं जो जानलेवा है.
हर राज्य में फेल हुआ शराबबंदी
शराब निर्माताओं के संगठन ने कहा है कि देश के कुछ दूसरे राज्यों ने भी शराबबंदी का फैसला लिया था लेकिन उस फैसले को वापस लेना पड़ा. हरियाणा, केरल और आंध्र प्रदेश जैसे राज्यों में भी शराबबंदी सफल नहीं रही है।. अब नेशनल फैमिली हेल्थ सर्वे की रिपोर्ट बता रही है कि बिहार में भी शराबबंदी फेल है. हाल ये है कि 90 फीसदी अवैध शराब गरीब और पिछड़े तबके के लोग कर रहे हैं.
केस मुकदमे पर सरकार का भारी खर्च
नीतीश को भेजे गये पत्र में कहा गया है कि शराबबंदी कानून के बाद लाखों लोगों को जेल भेज गया. इसका खर्च सरकार को वहन करना पड़ा. सरकार ने स्पेशल कोर्ट बनाये हैं, इसका खर्च भी सरकार को उठाना पड रहा है. पुलिस और अदालतों पर शराबबंदी कानून के कारण काफी बोझ बढ़ गया है. शराब तस्करी बढ़ने से माफिया भी बढ़ते जा रहे हैं.
रोजगार के मौकों को भी नुकसान
शराब निर्माताओं के संगठन के मुताबिक शराब उद्योग से देश भर में 50 लाख से ज्यादा किसानों को रोजगार मिलता है. इससे 3 से 5 करोड़ लोगों के खाने-पीने का इंतजाम होता है. बिहार में रोजगार के ये मौके खत्म हो गये हैं.
खत्म करें शराबबंदी
शराब निर्माताओं के संगठन ने बिहार के मुख्यमंत्री से शराबबंदी को समाप्त करने की मांग की है. संगठन ने अपने लेटर में कहा है कि बिहार सरकार को इस कानून की समीक्षा करना चाहिये. सुझाव दिया गया है कि बिहार में चरणबद्ध तरीके से शराबबंदी को खत्म किया जाना चाहिये. पहले शहरी क्षेत्रों में शराब बिक्री की अनुमति दी जा सकती है. नकली शराब की बिक्री रोकने के लिए भी सरकार एक न्यूनतम दर तय कर सकती है.