PATNA : सेनारी नरसंहार कांड को लेकर पटना हाईकोर्ट के फैसले के खिलाफ नीतीश सरकार ने सुप्रीम कोर्ट जाने का फैसला किया है. राज्य सरकार ने इस मामले में सुप्रीम कोर्ट में अपील करने का मन बनाया है, जिसे लेकर अब सियासत शुरू हो गई है. पटना हाईकोर्ट के फैसले के बाद बीजेपी के वरिष्ठ नेताओं ने सेनारी नरसंहार के आरोपियों के बरी होने पर चिंता जताते हुए सवाल खड़े किए थे. बीजेपी प्रदेश अध्यक्ष संजय जायसवाल के साथ-साथ पूर्व डिप्टी सीएम सुशील कुमार मोदी ने हाईकोर्ट के फैसले से असंतोष जताते हुए सुप्रीम कोर्ट में अपील की जरूरत बताई थी. लेकिन अब तो आरजेडी सरकार के फैसले पर सवाल खड़े कर रही है.
राष्ट्रीय महासचिव और पूर्व मंत्री श्याम रजक ने सेनारी नरसंहार के दोषियों को पटना हाई कोर्ट द्वारा बरी किए जाने के बाद सरकार द्वारा सुप्रीम कोर्ट जाने के फैसले पर सवाल खड़ा किया है. श्याम रजक ने कहा है कि सेनारी नरसंहार के दोषियों को पटना उच्च न्यायालय ने जिस तरह बरी किया उसके खिलाफ सुप्रीम कोर्ट जाने का फैसला स्वागत योग्य है. लेकिन सेनारी नरसंहार के पहले हुए तमाम नरसिंह हारों के दोषियों को बरी किए जाने पर सरकार सुप्रीम कोर्ट नहीं गई इससे उसकी मंशा पर सवाल खड़ा हो रहा है.
श्याम रजक ने कहा है कि नीतीश सरकार दोरंगी नीति पर चल रही है. सेनारी नरसंहार के पहले राज्य में दर्जन भर नरसंहार हुए. लेकिन किसी भी मामले में नीतीश सरकार ऊपरी अदालत में नहीं गई. दिसंबर 1997 में जब लक्ष्मणपुर बाथे नरसंहार हुआ था, उस समय राबड़ी देवी की सरकार थी. राबड़ी सरकार ने नरसंहार की जांच के लिए अमीर दास आयोग का गठन किया था. इस आयोग में पूछताछ के लिए एनडीए के कई नेताओं को बुलाया था और स्टाफ से परेशान एनडीए के नेताओं ने साल 2010 में सरकार पर दबाव डालकर अमीर दास आयोग को भंग करवा दिया. श्याम रजक ने मुख्यमंत्री नीतीश कुमार से पूछा है कि उन्होंने आयोग को बिना कारण बताए क्यों बंद कर दिया.