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1st Bihar Published by: First Bihar Updated Thu, 30 Mar 2023 11:27:08 AM IST
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DESK : सांसद और विधायक को दो साल या उससे अधिक की सजा होते ही सदस्यता चले जाने का प्रावधान बेहद कड़ा है। इसलिए अदालतों को जनप्रतिनिधियों को किसी भी मामले में सजा सुनाते वक्त थोड़ी सावधानी रखनी चाहिए। दरअसल यह बातें हम नहीं बल्कि सुप्रीम कोर्ट ने एक मामले की सुनवाई करते हुए कही है। इस बात की जानकारी एक कानूनी मामलों की कवरेज करने वाली वेबसाइट पर जारी रिपोर्ट के जरिए दी गई है।
दरअसल, कांग्रेस के सांसद और पार्टी के पीएम फेस राहुल गांधी की सांसदी रद्द कर दी गई। इनको सूरत कोर्ट में मानहानि के एक मामले में दो साल की सजा सुनाई उसके अगले ही दिन इनको लोकसभा से निलंबित कर दिया गया। जिसके बाद अब सुप्रीम कोर्ट की यह टिप्पणी काफी अहम मानी जा रही है। जस्टिस केएम जोसेफ और जस्टिस बीवी नागरत्ना की अदालत ने लक्षद्वीप के सांसद मोहम्मद फैजल और केंद्र शासित प्रदेश की ओर से दायर याचिकाओं पर सुनवाई करते हुए यह बात कही है।
मालूम हो कि, मोहम्मद फैजल को हत्या के प्रयास के मामले में 10 साल की कैद हुई थी, जिसके बाद उनकी सदस्यता चली गई थी। केरल हाई कोर्ट में उनकी ओर से अपील दायर की गई थी, जिसके बाद सजा पर स्टे लग गया था। इसके बाद भी उनकी सदस्यता बहाल होने में देरी हुई तो उन्होंने सुप्रीम कोर्ट का रुख किया । अब इन्हीं अर्जियों पर सुनवाई करते हुए उच्चतम न्यायालय ने निचली अदालतों से सजा सुनाते वक्त थोड़ा संवेदनशील रहने को कहा।
आपको बताते चलें कि, जनप्रतिनिधित्व कानून के सेक्शन 8(3) के मुताबिक यदि किसी सांसद अथवा विधायक को दो या उससे ज्यादा साल की सजा होती है तो उसकी सदस्यता तत्काल चली जाती है। इस पर जस्टिस जोफेस ने कहा, 'लेकिन यह प्रावधान बेहद कड़ा है। इसलिए अदालतों को सजा सुनाते वक्त थोड़ा ध्यान रखना चाहिए।