‘निषाद का बेटा जाल में मछली फंसाता है.. खुद नहीं फंसता’ संकल्प यात्रा के दौरान भोजपुर में गरजे सहनी

‘निषाद का बेटा जाल में मछली फंसाता है.. खुद नहीं फंसता’ संकल्प यात्रा के दौरान भोजपुर में गरजे सहनी

ARA: विकासशील इंसान पार्टी (वीआईपी) के प्रमुख और पूर्व मंत्री मुकेश सहनी इन दिनों अपनी संकल्प यात्रा के क्रम में लोगों को निषाद आरक्षण को लेकर संघर्ष करने के लिए जागरूक कर रहे हैं तथा संघर्ष और लड़ाई लड़ने के लिए संकल्प करवा रहे हैं। मंगलवार को सहनी निषाद आरक्षण संकल्प यात्रा के क्रम में भोजपुर पहुंचे। संकल्प रथ पर सवार सहनी के भोजपुर पहुंचने पर सड़कों पर जनसैलाब उमड़ पड़ा। जिस पड़ाव पर सहनी पहुंचे, वहां बड़ी संख्या में लोग उन्हें सुनने के लिए मौजूद रहे।


मुकेश सहनी ने लोगों को संबोधित करते हुए कहा कि उनकी आरक्षण की मांग कोई नई नहीं है। कई अन्य राज्यों में यह आरक्षण मिला हुआ है, लेकिन आज बिहार, यूपी और झारखंड में इस आरक्षण को लेकर हमलोगों को संघर्ष करना पड़ रहा है। सहनी ने लोगों के बेहतर भविष्य के लिए, अपने हक और अधिकार के लिए संघर्ष के लिए हाथों में गंगा जल देकर संकल्प भी करवाया। 


मंगलवार की यात्रा कोईलवर से शुरू हुई और उसके बाद यह यात्रा बबुरा, संदेश, बड़गांव होते हुए अनिहारी पहुंची। इस दौरान सभी स्थानों पर सहनी का जोरदार स्वागत किया गया। मुकेश सहनी ने कहा कि आज नौ साल से आरक्षण की मांग को लेकर भले संघर्ष कर रहा हूं, लेकिन उपलब्धियां है कि आज हमारी पहचान प्रदेश नहीं देश में है। आज सीएम बनाने का भी ऑफर दिया जा रहा है, लेकिन उन्हें नहीं मालूम कि निषाद का बच्चा जाल में मछली फंसाता है खुद फंसता नहीं है। 


उन्होंने कहा कि भाजपा को दुश्मनी मुझसे नहीं निषादों से है। उन्हें मालूम है कि ये सोया हुआ शेर है, अगर जग गया तो संघर्ष की बदौलत कुछ भी हासिल कर सकता है। निषादों को आरक्षण की लड़ाई वे मजबूती के साथ लड़ रहे हैं। अगर निषादों को आरक्षण पहले मिल गया होता तो आज निषाद के बच्चों को नदी में मछली नही मारना पड़ता। 


सहनी ने कहा कि लोकतंत्र में वोट की ताकत सबसे बड़ी है, जिसके पास वोट है वह पीएम और सीएम बन सकता है। अगर पावर और पैसा हो तो कई सुविधाएं भी मिलती है। मंगलवार की संकल्प यात्रा में राष्ट्रीय सचिव ब्रजकिशोर सिंह, प्रदेश अध्यक्ष बाल गोविंद बिंद, राष्ट्रीय प्रवक्ता देव ज्योति, नम्रता सिंह , भोजपुर जिला अध्यक्ष ओम प्रकाश बिंद भी सहनी के साथ रहे।