सम्राट अशोक पर JDU ने बेवजह क्यों ड्रामा किया? लेखक ने कहा उनकी किताब में कहीं औरंगजेब का जिक्र नहीं, बीजेपी से मेरा कोई रिश्ता नहीं

सम्राट अशोक पर JDU ने बेवजह क्यों ड्रामा किया? लेखक ने कहा उनकी किताब में कहीं औरंगजेब का जिक्र नहीं, बीजेपी से मेरा कोई रिश्ता नहीं

PATNA: देश के प्रसिद्ध नाटककारों में शुमार किये जाने वाले दया प्रकाश सिन्हा की सम्राट अशोक पर लिखी गयी किताब को लेकर जेडीयू ने पिछले कई दिनों से सियासी तूफान मचा रखा है. जेडीयू के राष्ट्रीय अध्यक्ष ललन सिंह से लेकर उपेंद्र कुशवाहा जैसे नेता बीजेपी पर ताबडतोड़ हमला बोल रहे हैं. लेकिन अब किताब के लेखक दया प्रकाश सिन्हा की सफाई आयी है. दयाप्रकाश सिन्हा जो कह रहे हैं उससे यही लग रहा है कि जेडीयू ने इस मुद्दे को सिर्फ इसलिए उठाया ताकि बीजेपी को डैमेज किया जा सके. निशाने पर उत्तर प्रदेश का चुनाव है, सम्राट अशोक को एक खास जाति से जोड़ चुके नेता सबसे पहले वहीं बीजेपी को उस जाति से दूर करना चाह रहे थे.


दया प्रकाश सिन्हा ने क्या कहा

दया प्रकाश सिन्हा ने एक अखबार को इंटरव्यू दिया है. उसमें उन्होंने कहा है कि उन्होंने सम्राट अशोक पर 9-10 साल पहले एक किताब लिखी थी. इस किताब में औरंगजेब का दूर-दूर तक कोई जिक्र ही नहीं है. दया प्रकाश सिन्हा ने बताया कि उन्होंने 2012-13 में सम्राट अशोक नाटक लिखा था जो पुस्तक के रूप में प्रकाशित हुई. इस किताब को वीणा प्रकाशन ने 2015 में प्रकाशित किया था. 

अशोक और औरंगजेब की कोई तुलना ही नहीं

दया प्रकाश सिन्हा ने अपने इंटरव्यू में कहा कि सम्राट अशोक औऱ औरंगजेब के बीच कोई तुलना ही नहीं की जा सकती. अशोक महान था. पूरी दुनिया में अशोक को महान माना जाता है. उन्होंने बौद्ध धर्म स्वीकार किया लेकिन किसी दूसरे को जबरन बौद्ध धर्म स्वीकार नहीं कराया. अशोक सभी धर्मों का सम्मान करते थे. उनके शिलालेखों से साफ होता है उनके समय बौद्ध श्रमण औऱ वैदिक ब्राह्मणों को बराबर का सम्मान देने का आदेश था. औरंगजेब धर्मांध था जबकि अशोक सभी धर्मों को समान भाव से देखने वाला. दोनों की तुलना कैसे की जा सकती है.


बीजेपी से कोई वास्ता नहीं

दया प्रकाश सिन्हा ने कहा कि उनकी बातों को गलत तरीके से उछाल कर बेवजह विवाद खड़ा किया गया है. अगर कहीं गलतफहमी पैदा हुई तो वे उसे दूर करने की कोशिश कर रहे हैं. उन्होंने कहा कि भाजपा से उनके संबंधों को लेकर भी गलत जानकारी दी जा रही है. वे 12 साल पहले बीजेपी से जुड़े थे. 2010 में उन्होंने भाजपा से अलग होने का फैसला लिया था. उसके बाद से बीजेपी से उनका संबंध नहीं है. 


फिर जेडीयू ने क्यों किया ड्रामा

दया प्रकाश सिन्हा कह रहे हैं कि उनकी किताब बाजार में है और उसमें देखा जा सकता है कि अशोक की औऱंगजेब से कोई तुलना नहीं की गयी. फिर सवाल ये उठता है कि जेडीयू ने बिना किताब पढ़े इतना बड़ा सियासी ड्रामा क्यों खडा कर दिया. दिलचस्प बात ये है कि जेडीयू के तमाम नेता दया प्रकाश सिन्हा के बहाने बीजेपी पर हमला बोल रहे थे. मकसद साफ झलक रहा था कि जेडीयू का मकसद एक खास जाति के वोट से बीजेपी को दूर करना था. 


वैसे जेडीयू के प्रेशर में आ कर बीजेपी ने दया प्रकाश सिन्हा को लेकर सफाई भी दी. बीजेपी के प्रदेश अध्यक्ष संजय जायसवाल से लेकर सुशील मोदी तक ने कहा कि दया प्रकाश सिन्हा से बीजेपी का कोई लेना देना नहीं है. जेडीयू के दबाव में आये बीजेपी के प्रदेश अध्यक्ष संजय जायसवाल ने दया प्रकाश सिन्हा के खिलाफ थाने में एफआईआर तक दर्ज करा दी. लेकिन जेडीयू नेता उपेंद्र कुशवाहा ने उस एफआईआर को लेकर भी बीजेपी के प्रदेश अध्यक्ष पर तीखा हमला बोला. उपेंद्र कुशवाहा ने खुलेआम ट्वीटर पर लिखा कि संजय जायसवाल दिखावटी केस कर रहे हैं जिसका नतीजा सब जानते हैं. कुशवाहा ने जायसवाल के केस को आई वॉश भी बताया. 


उत्तर प्रदेश चुनाव में डैमेज करने की है प्लानिंग?

जेडीयू से जुड़े सूत्र बताते हैं कि प्लानिंग ये थी कि सम्राट अशोक के बहाने उत्तर प्रदेश चुनाव में बीजेपी को डैमेज किया जाये. वहां इसी महीने चुनाव हो रहे हैं. जेडीयू सम्राट अशोक को एक खास जाति से जोड़ चुकी है. उस जाति का उत्तर प्रदेश में अच्छा खास वोट है. जेडीयू के तमाम बडे नेताओं ने जिस जोर शोर से हर रोज ये मुद्दा उठाया उसका मकसद यही था कि ये मैसेज उत्तर प्रदेश तक पहुंचे कि बीजेपी के नेता ने सम्राट अशोक का अपमान किया है. फिर बीजेपी को डैमेज खुद ब खुद हो जाता.