PATNA: पिछले दिनों बिहार सरकार ने जातीय गणना के आंकड़ों को सार्वजनिक किया था तब इसे लेकर खूब सियासत हुई थी इस बार सामाजिक-आर्थिक सर्वे की रिपोर्ट विधानसभा में पेश की गयी है। इस रिपोर्ट के सामने आने के बाद एक बार फिर से इसे लेकर सवालियां निशान खड़े हो रहे हैं। विपक्षी पार्टियां इसे लेकर नीतीश सरकार पर लगातार हमलावर है।
आर्थिक सर्वे की रिपोर्ट में बताया गया है कि बिहार में 95.5 फीसदी लोगों के पास अपनी गाड़ी तक नहीं है। ये लोग बस-ऑटो से सफर करते हैं या फिर कैब करते हैं। ज्यादातर लोग पैदल ही चला करते हैं। राज्य सरकार के इस रिपोर्ट को देखकर लोग भी हैरान हैं। इसे लेकर लोग भी चर्चा करने लगे हैं।
बता दें कि बिहार की आबादी 13 करोड़ से अधिक है जबकि 12 करोड़ 48 लाख लोगों के पास अपनी कोई गाड़ी नहीं है। 3.80 फीसदी लोगों के पास दो पहिया वाहन है जबकि सिर्फ 5 प्रतिशत लोगों के पास ही फोर व्हीलर है। 0.11 प्रतिशत लोगों के पास तीन पहिया वाहन है।
वही 0.13 फीसदी लोगों के पास ट्रैक्टर है जिसका इस्तेमाल लोग खेती व अन्य व्यवसायिक कार्यों के लिए करते हैं। 0.03 प्रतिशत लोगों के पास छह पहिया या भारी वाहन है जिसका इस्तेमाल व्यवसायिक है। सबसे हैरान करने वाला यह आंकड़ा है कि बिहार में 95.49 फीसदी लोगों के पास अपनी कोई गाड़ी ही नहीं है।
बिहार की जाति आधारित गणना रिपोर्ट के आर्थिक आंकड़ों के मुताबिक, सामान्य वर्ग के लगभग 25 फीसदी आबादी की मासिक आय 6 हजार रुपए, 23 फीसदी आबादी की मासिक आय 6 से 10 हजार रुपए, 19 फीसदी आबादी की मासिक आय 10 हजार से 20 हजार, 16 फीसदी आबादी की मासिक आय 20 हजार से 50 हजार, 9 फीसदी आबादी की मासिक आय 50 हजार से ज्यादा है।
वहीं पिछड़ा वर्ग में 33 फीसदी आबादी की मासिक आय 6 हजार, पिछड़ा वर्ग में 29 फीसदी आबादी की मासिक आय 6 से 10 हजार, पिछड़ा वर्ग में 18 फीसदी आबादी की मासिक आय 10 से 20 हजार, पिछड़ा वर्ग में 10 फीसदी आबादी की मासिक आय 20 से 50 हजार, पिछड़ा वर्ग में 4 फीसदी आबादी की मासिक आय 50 हजार से ज्यादा है।
वहीं अगर बात अत्यंत पिछड़ा वर्ग की की जाए तो अति पिछड़ा में 33 फीसदी आबादी की मासिक आय 6 हजार रुपए, अत्यंत पिछड़ा वर्ग में 32 फीसदी आबादी की मासिक आय 6 से 10 हजार, अत्यंत पिछड़ा वर्ग में 18 फीसदी आबादी की मासिक आय 10 से 20 हजार, अत्यंत पिछड़ा वर्ग में आई फीसदी आबादी की मासिक आय 20 से 50 हजार, अत्यंत पिछड़ा वर्ग में 2 फीसदी आबादी की मासिक आय 50 हजार से ज्यादा है।
वहीं अनुसूचित जाति वर्ग में 42 फीसदी आबादी की मासिक आय 6 हजार रुपए, अनुसूचित जाति वर्ग में 29 फीसदी आबादी की मासिक आय 6 से 10 हजार, अनुसूचित जाति वर्ग में 15 फीसदी आबादी की मासिक आय 10 से 20 हजार, अनुसूचित जाति वर्ग में 5 फीसदी आबादी की मासिक आय 20 से 50 हजार और अनुसूचित जाति वर्ग में 1 फीसदी आबादी की मासिक आय 50 हजार से ज्यादा है।
अनुसूचित जनजाति वर्ग की बात करें तो एसटी में 42 फीसदी आबादी की मासिक आय 6, अनुसूचित जनजाति वर्ग में 25 फीसदी आबादी की मासिक आय 6 से 10 हजार, अनुसूचित जनजाति वर्ग में 16 फीसदी आबादी की मासिक आय 10 से 20 हजार, अनुसूचित जनजाति वर्ग में 8 फीसदी आबादी की मासिक आय 20 से 50 हजार और 2.53 फीसदी आबादी की मासिक आय 50 हजार है।
वही बिहार में जातियों की संख्या सामने आने के बाद खूब घमासान हुआ। अभी यह घमासान थमा ही था कि बिहार सरकार ने विधानसभा में सामाजिक-आर्थिक सर्वे की रिपोर्ट को पेश किया। अब इसको भी लेकर सवाल उठने शुरू हो गए हैं। बिहार के पूर्व मुख्यमंत्री जीतनराम मांझी ने सदन में कहा कि बिहार सरकार ने जाति आधारित गणना कराई और इसके आंकड़े सार्वजनिक किये इसके लिए हम मुख्यमंत्री नीतीश कुमार को धन्यवाद देना चाहेंगे और पूछना चाहेंगे कि बिहार में 45 प्रतिशत से ज्यादा मुसहर अमीर हैं और 46 प्रतिशत से ज्यादा भुईयां अमीर हैं। इस उपलब्धी के लिए नीतीश जी को बधाई और शुभकामनाएं।
जीतनराम मांझी ने इस दौरान मंत्री विजय कुमार चौधरी से कहा कि आप मेरे साथ किसी गांव में चलें यदि वहां एक फीसदी से ज्यादा मुसहर और भुईयां जाति के लोग अमीर होंगे तो मैं राजनीति से सन्यास ले लूंगा। जीतनराम मांझी ने मंत्री विजय चौधरी को खुला चैलेंज देते हुए कहा कि विजय कुमार जी आप जब चाहे हम साथ चलने को तैयार हैं। चाहे आप समस्तीपुर ही चले। जिसके जवाब में विजय चौधरी ने कहा कि जब मांझी जी चाहेंगे हम चलने को तैयार हैं।