PATNA : राष्ट्रीय लोक समता पार्टी ने कृषि कानून को किसानों के खिलाफ बताया है. रविवार को रालोसपा ने कहा कि नया कृषि कानून कालाबाजारी और जमाखोरी का बढ़ावा देने वाला है. इससे न सिर्फ किसानों को बल्कि आम लोगों को भी परेशानी का सामना करना पड़ेगा. रालोसपा राज्यव्यापी किसान चौपाल में इन कृषि कानूनों के काले पक्ष को किसानों और आम लोगों के सामने रख रही है
रालोसपा किसान चौपाल के चौदह दिन पूरे हो गए हैं और पार्टी ने बिहार के विभिन्न जिलों में करीब चार हजार गांवों में अब तक चौपाल लगाई जा चुकी है. राष्ट्रीय लोक समता पार्टी के राष्ट्रीय महासचिव व प्रवक्ता फजल इमाम मल्लिक और प्रदेश महासचिव व प्रवक्ता धीरज सिंह कुशवाहा ने पार्टी कार्यालय में आयोजित प्रेस कांफ्रेंस में यह जानकारी दी. रालोसपा नेताओं ने रविवार को पुलवामा में मारे गए जवानों को याद किया और उन्हें श्रद्धांजलि दी. प्रेस कांफ्रेंस में प्रदेश प्रधान महासचिव निर्मल कुशवाहा, प्रदेश महासचिव भुनेश्वर कुश्वाहा, राजदेव कुशवाहा, कार्यालय प्रभारी अशोक कुशवाहा, सचिव राजेश सिंह और संगठन सचिव विनोद कुमार पप्पू भी मौजूद थे. रालोसपा का किसान चौपाल कार्यक्रम दो फरवरी से बिहार में शुरू हुआ है. किसान चौपाल 28 फरवरी तक लगाई जाएगी.
रालोसपा का मानना है कि सरकार ने आवश्यक वस्तु अधिनियम में बदलाव कर पूंजीपतियों को असीमित भंडारण की छूट दे दी है इससे जमाखोरी और कालाबाजारी बढ़ेगी. रालोसपा ने केंद्र सरकार के इन कानूनों पर सवाल उठाते हुए इस बात पर हैरत जताई कि आखिर दाल, चावल, तिलहन आम लोगों के लिए जरूरी नहीं है तो फिर जरूरी क्या है. इन उत्पादों पर असीमित भंडारण का मतलब साफ है कि केंद्र सरकार जमाखोरी व कालाबाजारी को बढ़ावा दे रही है.
किसान चौपाल में पार्टी नेता किसानों को बता रहे हैं कि निजी क्षेत्र की मंडी को टैक्स के दायरे से बाहर रख कर किसानों को बेबस व लाचार करने की केंद्र ने साजिश रची है. क्योंकि सरकार खुद तो न्यूनतम समर्थन मूल्य पर फसल खरीदने की करती है लेकिन निजी मंडियों को, अपनी मनमर्जी से खरीदने की अंकुश विहीन छूट दे कर उसने किसानों को बाजार के भरोसे छोड़ दिया है. इतना ही नहीं निजी बाजार या कॉरपोरेट को उपज की मनचाही कीमत तय करने की अनियंत्रित छूट भी सरकार ने इन कानूनों के जरिए दी है. किसान चौपाल में पार्टी नेताओं ने कहा कि सरकार इन सवालों का जवाब नहीं दे रही है और लोगों को भ्रमाने में लगी है. बिहार में किसानों को जागरूक बनाने और देश भर में चल रहे किसान आंदोलन के समर्थन में रालेसपा राज्यव्यापी किसान चौपाल कार्यक्रम चला रही है.
किसान चौपाल दो फरवरी को शुरू हुआ और 28 फरवरी तक त़क यह जारी रहेगी. राष्ट्रीय लोक समता पार्टी के किसान चौपाल में किसान खुल कर अपनी बात कह रहे हैं. दोनों नेताओं ने बताया कि किसान चौपाल में बिहार के किसान ने न्यूतम समर्थन मूल्य पर कानून बनाए जाने की बात कर रहे हैं. उनका मानना है कि अगर ऐसा हो जाता है तो इसका फायदा बिहार के किसानों को भी मिलेगा. रालोसपा काले कृषि कानूनों के खिलाफ देशव्यापी किसान आंदोलन के समर्थन में बिहार में किसान चौपाल लगा रही है.
किसान चौपाल की जानकारी देते हुए पार्टी नेताओं ने कहा कि किसान चौपाल के जरिए पार्टी किसानों तक इन कानूनों की खामियों को बताने में कामयाब हो रही है. मल्लिक और धीरज ने बताया कि इन कृषि कानूनों में सफेद कुछ भी नहीं है, सच तो यह है कि पूरा कानून ही काला है और इससे किसान अपने खेतों में ही मजदूरी करने के लिए मजबूर हो जाएगा.
रालोसपा की किसान चौपाल शनिवार को गोपालगंज, बक्सर, मधुबनी, व मोतिहारी जिलों में लगाई गई. एक हफ्ते में करीब बीस जिलों में चौपाल लगाई जा चुकी है. अगले कुछ दिनों में खगड़िया, नालंदा, मुंगेर, जमई, बांका, भागलपुर, सम्सतीपुर, मोतिहारी, कैमूर, किशनगंद व किशनगंज जिलों के करीब दो हजार गांवों में किसान चौपाल लगाई जाएगी.
किसान चौपाल 28 फरवरी तक लगेगी. रालोसपा ने दस हजार गांवों में किसान चौपाल लगाने का लक्ष्य तो रखा ही है इसके अलावा 25 लाख किसानों तक पहुंच कर इन कानूनों की जानकारी और जागरूक बनाने का भी लक्ष्य रखा है.