RJD के स्थापना दिवस पर बोले विजय सिन्हा, बिहार की बदहाली शुरू होने का दिवस

RJD के स्थापना दिवस पर बोले विजय सिन्हा, बिहार की बदहाली शुरू होने का दिवस

PATNA: राष्ट्रीय जनता दल का 27वां स्थापना दिवस आज पटना में मनाया गया। राजद सुप्रीमो लालू प्रसाद यादव ने वीरचंद पटेल स्थित प्रदेश कार्यालय में झंडोत्तोलन कर स्थापना दिवस कार्यक्रम का उद्घाटन किया। इस दौरान लालू ने राजद नेताओं और कार्यकर्ताओं को संबोधित करते हुए बीजेपी पर जमकर हमला बोला। वही लालू के हमले का बीजेपी ने पलटवार किया है। बीजेपी के वरिष्ठ नेता व बिहार विधानसभा के नेता प्रतिपक्ष विजय कुमार सिन्हा ने बड़ा बयान दिया है। उन्होंने कहा है कि बिहार की बदहाली शुरू होने का आज दिन हैं कि आज आरजेडी अपना स्थापना दिवस मना रही है। 


राष्ट्रीय जनता दल (राजद) के स्थापना दिवस पर कटाक्ष करते हुए विजय सिन्हा ने कहा कि यह दिन बिहार की बदहाली दिवस के रूप में मनाया जाना चाहिए। राज्य के लोगों ने देखा है कि किस प्रकार इस दल के वरिष्ठ नेताओं को बंधुआ मजदूर के रूप में राजद में काम करना पड़ रहा है। पहली पीढ़ी के सजायाफ्ता होने के बाद इन्हें दूसरी पीढ़ी की चरणबंदना में लगा दिया गया है। देश का यह पहला दल है जहां सजायाफ्ता व्यक्ति जो चुनाव भी नहीं लड़ सकते हैं इस दल के राष्ट्रीय अध्यक्ष हैं। राज्य की जनता ने भ्रष्ट्र कांग्रेस को उखाड़ कर 1990 में इन्हें गद्दी दिया था। फिर इनके अपराध और भ्रष्टाचार से तंग आकर 2005 में नीतीश कुमार को गद्दी दी गई। अब जदयू भी राजद और कांग्रेस के साथ खड़ी हो गई है। 


चार्जशीटेड लोगों के साथ रहकर न्याय के साथ शासन चलाने की कल्पना भी नहीं की जा सकती है। लोकलज्जा औऱ नैतिकता को ध्यान में रखते हुए उपमुख्यमंत्री का इस्तीफा लिया जाना चाहिए। यदि तेजस्वी यादव इस्तीफा नहीं देते हैं तो मुख्यमंत्री नीतीश कुमार इन्हें शीघ्र मंत्रिमंडल से बर्खास्त करने की कार्रवाई करें। उन्होंने कहा कि जब केस में नाम रहने पर इस्तीफा लिया जा सकता है तब चार्जशीट होने पर इस्तीफा क्यों नहीं लिया जा सकता? नीतीश कुमार के शासन में दोहरा मापदंड राज्य में अराजकता का मुख्य कारण है। भ्रष्ट्राचार पर जीरो टोलरेंस की बात करने वालों की अब पोल खुल रही है।


भाजपा विधानमंडल दल के नेता विजय कुमार सिन्हा ने उपमुख्यमंत्री तेजस्वी यादव पर CBI द्वारा चार्जशीट मामले पर कहा कि नैतिकता के आधार पर उपमुख्यमंत्री का इस्तीफा अविलंब लिया जाना राज्य हित में जरूरी है। बिहार की जनता जानती है कि किस प्रकार वर्ष 2005 में दलित के पुत्र जीतन राम मांझी का मात्र केस में नाम रहने पर इस्तीफा लिया गया था। 


वर्तमान 17वीं विधान सभा के कार्यकाल में ही मंत्री बनने के तुरन्त बाद स्वर्गीय मेवा लाल चौधरी एवं पिछले साल महागठ़बंधन सरकार बनने पर कार्तिक कुमार का इस्तीफा लिया गया। वर्ष 2017 में तो CBI द्वारा छापा मारने पर ही तत्कालीन उपमुख्यमंत्री तेजस्वी प्रसाद यादव को शासन से अलग करने के लिए राजद का परित्याग कर दिया गया था। अब कौन सी मजबूरी है जो राज्य के मुखिया भष्ट्राचार के बड़े मामले में चार्जशीटेड उपमुख्यमंत्री पर कार्रवाई करने से डर रहे हैं?


उन्होंने कहा कि नीतीश के शासन में इसी दोहरा मापदंड के कारण बिहार में प्रशासनिक अराजकता चरम पर है। जन कल्याण की योजनाएं भष्ट्राचार की भेट चढ़ रही है। सरकार का इकबाल खत्म हो चुका है। इस स्थिति से उबरने हेतु आवश्यक है कि राज्य के मुखिया स्वतंत्र और निष्पक्ष होकर निर्णय लें।


विजय सिन्हा ने कहा कि महागठबंधन सरकार का तमाशा राज्य के लोग अच्छी तरह देख रहे हैं।शिक्षा मंत्री और उनके विभागीय अपर मुख्य सचिव में तनातनी के बीच राजद और जदयु का स्टैंड अलग-अलग है। राजद शिक्षा मंत्री के पक्ष में खड़ी है तो जदयू अपर मुख्य सचिव के पक्ष में। मंत्रीमंडल की सामूहिक जिम्मवारी के सिद्धांत को तार-तार कर दिया गया है और शासन में एक यूनिट के रूप में कार्य करने में ये विफल हो रहे हैं। मुख्यमंत्री नीतीश कुमार को अब अपनी चुप्पी तोड़ कर यह बताना चाहिए कि वे उपमुख्यमंत्री का इस्तीफा कब लेंगे या क्यों नहीं लेंगे।