PATNA : जेडीयू में नीतीश कुमार के बाद कौन? इसका जवाब नीतीश ने खुद दे दिया है. अपनी पार्टी के नेताओं और कार्यकर्ताओं को नीतीश कुमार ने कह दिया है कि उनके बाद आरसीपी सिंह ही सब कुछ देखेंगे. ये बातचीत जेडीयू की इंटरनल बैठक की है. हालांकि अधिकृत तौर पर कोई कुछ बोलने को तैयार नहीं है.
नीतीश का एलान
दरअसल गुरूवार को नीतीश कुमार अपनी पार्टी के दफ्तर में पहुंचे थे. वहां उनकी अपने समर्थकों के साथ काफी देर तक बैठक हुई. बैठक में मौजूद एक नेता ने बताया कि उसी दौरान नीतीश कुमार ने कहा कि उनके बाद सब आरसीपी बाबू ही देखेंगे. ये पहला मौका था जब नीतीश कुमार ने ये संकेत दिया कि उनका उत्तराधिकारी कौन होगा.
आखिरी चुनाव का कर चुके हैं एलान
गौरतलब है कि नीतीश कुमार पिछले विधानसभा चुनाव प्रचार के दौरान ये कह चुके हैं कि ये उनका आखिरी चुनाव है. हालांकि चुनावी जनसभा में उनके एलान के बाद कई तरह की सफाई दी गयी लेकिन नीतीश कुमार उम्र के जिस पड़ाव पर हैं उसमें 5 साल बाद भी इसी तरह सक्रिय रह पाना मुश्किल होगा. जाहिर है सवाल उठेगा कि नीतीश के बाद पार्टी कौन चलायेगा. लालू प्रसाद यादव की तरह उनके बेटे राजनीति में नहीं हैं. नीतीश लगातार कहते आये हैं कि वे राजनीति में परिवारवाद के खिलाफ है. ऐसे में उनके परिवार से किसी के प़ॉलिटिक्स में आने की संभावना नहीं दिखती.
वैसे भी पार्टी में नंबर टू हैं आरसीपी सिंह
वैसे भी आरसीपी सिंह पार्टी में नंबर-टू की हैसियत रखते हैं. आरसीपी सिंह आईएएस अधिकारी रह चुके हैं. नीतीश कुमार के स्वजातीय हैं और उनके गृह जिले के ही निवासी हैं. आरसीपी उत्तर प्रदेश कॉडर के आईएएस अधिकारी थे लेकिन नीतीश जब केंद्र में मंत्री बने तभी आरसीपी सिंह को उत्तर प्रदेश से लाकर अपना आप्त सचिव बनाया. उसके बाद जब नीतीश ने बिहार के मुख्यमंत्री की कुर्सी संभाली तो फिर आरसीपी सिंह को उत्तर प्रदेश से बुला कर अपना प्रधान सचिव बनाया.
सियासत की समझ रखने वाला बिहार का हर आदमी ये जानता था कि आरसीपी सिंह जब नीतीश कुमार के प्रधान सचिव थे तब भी असली पॉवर उनके हाथों में ही थी. 2010 में उन्होंने नौकरी से वीआरएस ले लिया और राज्यसभा जाने की इच्छा जतायी. तब नीतीश कुमार उन्हें राज्यसभा भेजने को राजी नहीं थे. लेकिन आरसीपी सिंह ने जिद पकड़ी तो नीतीश कुमार के पास उन्हें राज्यसभा भेजने के अलावा दूसरा रास्ता नहीं बचा.
राज्यसभा सांसद बनकर आरसीपी सिंह जेडीयू के सर्वेसर्वा बन गये. जेडीयू का पूरा संगठन उनके इशारे पर ही चलता रहा. वैसे भी नीतीश कुमार ने उन्हें पार्टी के संगठन महासचिव का पद दिया. उसके बाद से पार्टी का सारा काम आरसीपी सिंह ही देख रहे हैं. पार्टी की बैठकों या सार्वजनिक कार्यक्रमों में भी आरसीपी सिंह का रूतबा दिखता है. इन कार्यक्रमों में आरसीपी सिंह नीतीश के ठीक पहले भाषण देते हैं. सियासी प्रोटोकॉल के मुताबिक जो जितना बड़ा नेता होता है वो उतना बाद में बोलता है.लेकिन आरसीपी सिंह जेडीयू संसदीय दल के नेता ललन सिंह और पार्टी के प्रधान महासचिव केसी त्यागी के बाद बोलते हैं. यानि पार्टी में उन्हें नीतीश कुमार के बाद सबसे बड़े नेता का दर्जा पहले से ही मिला हुआ है.
हालांकि इस साल की शुरूआत में आरसीपी सिंह ने पार्टी के कार्यकर्ताओं का पटना के गांधी मैदान में सम्मेलन कराया जो फ्लॉप रहा. इसके बाद नीतीश उनसे नाराज हुए. कोरोना काल में आरसीपी सिंह कई महीने तक पार्टी के काम से दूर रहे. लेकिन ये मनमुटाव ज्यादा दिनों तक नहीं चला.
विधानसभा चुनाव के दौरान भी टिकट बांटने में आरसीपी सिंह की खूब चली. आरसीपी सिंह अपने समर्थकों को टिकट दिलाने में सफल रहे. जेडीयू के अंदर होने वाली चर्चा के मुताबिक पार्टी का टिकट या तो नीतीश कुमार ने बांटा या आरसीपी सिंह ने. बाकी के बड़े नेता अपने इक्के-दुक्के लोगों को ही टिकट दिलाकर खुश हो गये.