PATNA: दिल्ली में शुक्रवार को एक पार्टी की बैठक में जो कुछ हुआ, उसे लेकर कई तरह की खबरें सामने आयी हैं. लेकिन सबसे दिलचस्प खबर अब निकल कर सामने आयी है. खबर ये आ रही है जब पुराने साहब ने कुर्सी छोड़ने और बड़े साहब को सौंपने का एलान किया तो फिर हैरान करने वाले नजारा सामने आया. बड़े साहब जिम्मेवारी संभालने के लिए खड़े हुए और पुराने साहब का पैर छू लिया. इस बैठक में अच्छी खासी तादाद में पार्टी के नेता मौजूद थे, वे इस दृश्य को देख कर अचंभित रह गये.
एक प्रत्यक्षदर्शी ने इस पुरे वाकये की जानकारी फर्स्ट बिहार को दी. उन्होंने बताया कि पुराने साहब का गद्दी छोड़ना तय था. ये कमोबेश सबको मालूम था. बड़े साहब को तो पूरी जानकारी थी. इसकी औपचारिकता के लिए बैठक शुरू हुई. पुराने साहब ने बैठक में छोटा सा भाषण दिया और फिर कहा कि वे चाहते हैं कि बड़े साहब खुद इस जिम्मेवारी को संभालें. मैं ये पद छोड़ रहा हूं. इसके बाद बड़े साहब उठ खड़े हुए. बड़े साहब जब खड़े हुए तो पार्टी के नेताओं ने तालियां बजायी. लेकिन उसके बाद ये वाकया हो गया. बड़े साहब ने अचानक से उठ कर पुराने साहब का पैर छूने लगे. पुराने साहब भी सकपकाये और उनका हाथ पकड़ कर रोका.
पार्टी के भीतर बड़े साहब का ये समर्पण और आस्था चर्चा का विषय बना हुआ है. वैसे, ये पहली बार नहीं हुआ है. कुछ महीने पहले पार्टी के पटना स्थित दफ्तर में भी ऐसा ही कुछ हुआ था. पटना दफ्तर में बड़े साहब आये तो दूसरे वाले साहब उनके स्वागत के लिए बुके लेकर खड़े थे. बड़े साहब उनकी ओर बढ़े और फिर पैर छूने के लिए नीचे झुक गये. हकबकाये छोटे साहब ने उन्हें रोका औऱ बुके देकर स्वागत किया.
बड़े साहब ने ऐसी कई हरकतें सार्वजनिक तौर पर की थीं. अपने एक खास मंत्री की पुत्री की शादी में पटना के एक होटल में गये थे. वहां सोना वाले पुरूष के तौर पर चर्चित व्यक्ति को देखा तो उसे अपने पास बुलाया. सोना वाले पुरूष ने बड़े साहब के पास पहुंच कर सम्मान के लिए उनका पैर छूना चाहा. लेकिन उससे पहले खुद बडे साहब ही झुके और अपने से उम्र में काफी छोटे सोना वाले पुरूष का पैर छू लिया. उसी होटल में एक और शादी में बड़े साहब ने एक महाप्रबंधक का भी पैर छू लिया था.
सवाल ये उठ रहा है कि ऐसे बड़े साहब से कब तक पार्टी औऱ सरकार चलेगी. बड़े साहब की हालत पर कई लोग गंभीर सवाल उठा रहे हैं. उधर, पार्टी और सरकार दोनों में बड़े साहब के उपर सारी जिम्मेवारी सौंप दी गयी है. बड़े साहब कैसे इन जिम्मेवारियों को संभालेंगे, ये सवाल गंभीरता से उठ रहा है. पार्टी के कई नेता कह रहे हैं कि बडे साहब अब कुछ दूसरे लोगों के नियंत्रण में चल रहे हैं. उन्हें जितना करने को कहा जा रहा है, उतना ही कर रहे हैं. ये सिलसिला कब तक चलेगा, ये देखने की बात है.