रामचरितमानस पर संग्राम: VHP के तेवर तल्ख, कहा- शिक्षा मंत्री को मांगनी पड़ेगी माफी, पूरे राज्य में होगा विरोध

रामचरितमानस पर संग्राम: VHP के तेवर तल्ख, कहा- शिक्षा मंत्री को मांगनी पड़ेगी माफी, पूरे राज्य में होगा विरोध

PATNA: बिहार सरकार के शिक्षा मंत्री प्रो. चंद्रशेखर के रामचरितमानस को लेकर दिए गए विवादित बयान को लेकर विश्व हिन्दू परिषद ने कड़ी आपत्ति जताई है। वीएचपी ने कहा है कि अगर शिक्षा मंत्री चंद्रशेखर अपने बयान के लिए माफी नहीं मांगते हैं तो विश्व हिन्दू परिषद पूरे राज्य में उनका पुतला फूंक कर विरोध जताएगा। वीएचपी के केंद्रीय अध्यक्ष और प्रदेश अध्यक्ष ने शिक्षा मंत्री के बयान को एक अज्ञानी का बयान बताया है। उन्होंने कहा कि शिक्षा मंत्री चंद्रशेखर को अपने विवादित बयान के लिए माफी मांगनी होगी। 


विश्व हिन्दू परिषद के राष्ट्रीय अध्यक्ष डॉ. आर.एन सिंह ने कहा कि बिहार के शिक्षा मंत्री प्रो. चंद्रशेखर के इस तरह का बयान देने के पीछे एकमात्र उद्देश्य है तुष्टिकरण। शिक्षा मंत्री किसी एक समुदाय के लोगों को खुश करने के लिए इस तरह का बयान दे रहे हैं ताकि लोग समझें कि वे हिन्दुओं के विरुद्ध भी बोल सकते हैं। शिक्षा मंत्री ने गलत धारणा बना ली है कि हिन्दुओं के खिलाफ बोलने पर उन्हे कुछ नहीं होगा। उन्होंने कहा कि शिक्षा मंत्री अपने बयान के लिए माफी मांगे। उन्होंने सरकार से ऐसे अज्ञानी शिक्षा मंत्री को बर्खास्त करने की मांग की है। डॉ. आर. एन सिंह ने कहा कि कल यानी शुक्रवार को विश्व हिन्दू परिषद राजधानी पटना के साथ साथ पूरे बिहारभर में मंत्री का पुतला दहन कर विरोध जताएगा ताकि बिहार के लोगों को पता चल सके कि राज्य के शिक्षा मंत्री कितने शिक्षित हैं।


वहीं विश्व हिन्दू परिषद के प्रदेश अध्यक्ष कामेश्वर चौपाल ने शिक्षा मंत्री पर जोरदार निशाना साधा है। उन्होंने बताया कि जब हिंदू संस्कृति खतरे में थी तब रामचरितमानस ने विश्व के लोगों को जीने का तरीका बताया। भारत समेत पूरे विश्व में हिंदू धर्म के लोगों ने रामचरितमानस के जरीए अपनी संस्कृति को बचाकर रखा। आज के समय में भी जो हताश और निराश लोग हैं उन्हें रामचरितमानस रोशनी दिखाने का काम कर रहा है। बिहार के शिक्षा मंत्री को यह बात समझ में नहीं आती है कि श्रीराम ने कैसे सबरी के जूठे बेर खाए और निषाद राज को भरत के समान भाई बताया था। रामचरितमानस समुद्र के समान है, जिसमें शिक्षा मंत्री किनारे पर खड़े होकर घोंघा चुन रहे हैं, रत्न रूपी ज्ञान के लिए उन्हें समुद्र की गहराई में उतरना होगा। रामचरितमानस की समझ सबको नहीं हो सकता है, जो ज्ञानी होगा उसी को रामचरितमानस की बातें समझ में आएंगी।