PATNA : देश में लोकसभा चुनाव में अब महज पांच से छह महीने का समय बचा हुआ है। ऐसे में हर पार्टी अपनी अपनी रणनीति अंतिम रूप देती हुई नजर आ रही है। ऐसे में इशारों ही इशारों में भाजपा की रणनीति भी सामने आ रही है। भाजपा इस बार का चुनाव भी अपने पुराने रणनीति के तहत लड़ते हुए नजर आ सकती है। लेकिन, उन्होंने बार यह रणनीति कुछ हद लोगों समझ आ गई लिहाजा इसके तरकीब में थोड़ा बदलाव करने पर सहमति बानी है। ऐसे में भाजपा अपने इस रणनीति का परिक्षण बिहार और यूपी में करना चाहती है। इसकी वजह है कि भाजपा यह अच्छे से जानती है की यही वो जगह से जहां से सीधा सत्ता की कुर्सी तय और यहां की जनता अन्य राज्यों की तुलना में थोड़ा अधिक रुचि भी लेती है।
दरअसल, हाल ही में दिल्ली में बिहार भाजपा के सांसदों के साथ एक बैठक की गई। जिसमें बिहार भाजपा के कई बड़े बड़े नेता और पदाधिकारी शामिल हुए। इसके बाद अब जो चीज़ें छन कर बाहर आ रही है। उससे इंडिया गठबंधन की मुश्किलें बढ़नी तय मानी जा रही है। भाजपा सूत्रों से मिली जानकारी के अनुसार, इस बार पार्टी बिहार में रामलला के नाम पर अपने साथ जोड़ने की फिराक में लग गई है। इसकी एक वजह यह भी कि यहां के लोग माता सीता को अपने बेटी तो भगवान राम को अपना दामाद मानते हैं। ऐसे में यदि भाजपा राम को मुद्दा बनाती है तो इससे उसके लिए यहां चुनाव जितना आसान हो जाएगा। लेकिन, भाजपा भी यह भी जानती है कि जनता उनके इस तरकीब से परचित है। ऐसे में इसी प्लान में कुछ नया और अलग करने का टास्क दिया गया है।
ऐसे में अब सवाल यह बन जाता है आखिर इसमें नया और अलग क्या किया जाए। सूत्र बताते हैं यही बात भाजपा के एक बड़े और पुराने नेता और उसके मातृ संगठन से जुड़े एक नेता ने केंद्र में अपने सहयोगी से किया। उनका कहना था कि हम काम तो कर रहे हैं लोगों के बीच इसकी जानकारी भी है। ऐसे में सिर्फ इस चीज़ को लेकर तो जा सकते नहीं है और कुछ अलग करना है यह अच्छी बात है। लेकिन करना क्या है। इसके बाद उन्हें जो जवाब दिया सही मायने में इसमें कुछ अलग और नया है।
भाजपा 24 जनवरी से 24 मार्च के बीच हरेक प्रखंड और पंचायत से लोगों को अयोध्या ले जाकर रामलला के दर्शन कराएगी। इसको लेकर सांसदों क लक्ष्य भी दे दिया गया है। इस दौरान रामलला के दर्शन का खर्च पार्टी उठाएगी। पार्टी की ओर से इसके लिए क्षेत्रवार ट्रेनों की बुकिंग की जाएगी। ठहरने और भोजन का इंतजाम भी मुफ्त रहेगा। इसको लेकर बीती रात बैठक हुई है और आज भी बैठक की जायेगी। इसमें सभी राज्यों के प्रदेश अध्यक्ष, संगठन महामंत्री और प्रभारी शामिल होंगे। बिहार सहित अन्य राज्यों में सहयोगी दलों के साथ तालमेल पर भी बैठक में चर्चा होगी। इतना ही नहीं इसको लेकर दिल्ली में वार रूम, सोशल मीडिया, प्रचार सेल आदि बनाने का काम भी तेज होगा।
इतना ही नहीं बीजेपी युवाओं को आकर्षित करने के लिए युवा दिवस के मौके पर 12 जनवरी को पटना में बड़ा सम्मेलन कर रही है। इसमें केंद्र सरकार द्वारा बांटे जा रहे नियुक्ति पत्र, युवाओं के लिए कौशल विकास और अन्य कल्याणकारी योजनाओं के साथ केंद्र की उपलब्धियों का प्रचार-प्रसार किया जाएगा। इससे युवाओं को बताया जाएगा कि केंद्र सरकार उन्हें इस तरह से फायदा देने की योजना बना रही है।
उधर, बात रही जातीय गणना के मुद्दे को लेकर तो भाजपा इसके पहले जातीय गोलबंदी तेज करते हुए पार्टी अलग-अलग जातियों को केंद्र में मंत्री रखकर और तीन राज्यों में अलग -अलग सीएम फेस बनाकर इसका तोड़ और काट तैयार कर रखी है। भाजपा खासकर इस बार अतिपिछड़ा वर्ग को अपने पाले में करने में पूरी ताकत झोंक रखी है। पार्टी कर्पूरी जयंती पर भी सम्मेलन करने जा रही है। सम्मेलनों में केंद्र सरकार की योजनाओं और उपलब्धियों का प्रचार-प्रसार किया जा रहा है। विकसित भारत संकल्प यात्रा में भी भाजपा नेता बढ़-चढ़कर शिरकत कर रहे हैं।
बहरहाल, अब देखना यह है कि भाजपा अपने इस पुराने स्टाइल में थोड़ा नयापन लाकर क्या कुछ बदल पाती है क्या पार्टी बिहार में जिस तरह पहले से अधिक सीटों को अकेले दम पर जीत हासिल करना चाहती है। उसमें सफल हो पाएगी। यदि भाजपा का यह प्रयोग सफल होती है तो फिर इसके लिए न सिर्फ लोकसभा बल्कि विधानसभा का चुनाव भी काफी आसान हो जाएगा और भाजपा एक तीर से दो निशाना साध सकती है।