PATNA : बिहार में अपराधिक घटनाओं को लेकर मुख्यमंत्री नीतीश कुमार कई बार यह बात कह चुके हैं कि राज्य के अंदर अगर क्राइम होता है तो इसमें बड़ा कनेक्शन संपत्ति और भूमि विवाद का रहता है। नीतीश कुमार का मानना है कि बिहार में अगर भूमि विवाद खत्म कर दिए जाएं या ऐसे मामलों में कमी ला दी जाए तो कानून व्यवस्था भी बेहतर होगी। मुख्यमंत्री की इसी सोच पर आगे बढ़ते हुए अब राजस्व एवं भूमि सुधार विभाग भूमि विवाद से जुड़े नियमों में बदलाव करने पर विचार कर रहा है।
राज्य के राजस्व एवं भूमि सुधार मंत्री रामसूरत राय के मुताबिक विभाग इस बात पर गंभीरता से विचार कर रहा है कि पैतृक संपत्ति के बंटवारे में आखिर कैसे विवाद को कम किया जाए। मंत्री रामसूरत राय के मुताबिक एक परिवार में अगर कई भाई हैं और बहुमत इस बात को लेकर है कि आपसी सहमति से बंटवारा कर दिया जाए तो अल्पमत के विरोध से बंटवारा रुक नहीं सकता। विभागीय मंत्री के मुताबिक इसके लिए नियमों में आवश्यक बदलाव करने की आवश्यकता है और सरकार इस बात पर गंभीरता से विचार कर रही है। पुश्तैनी जमीन के बंटवारे में कोई अड़चन न आए इसके लिए नियमों को और ज्यादा सहज बनाने पर विचार हो रहा है। साथ ही साथ एक ऐसा फॉर्मेट तैयार किया जा रहा है जिसके तहत ऐसे मामलों में सहमति पत्र तैयार करते हुए उसे कानूनी मान्यता भी दे दी जाए।
मंत्री रामसूरत राय के मुताबिक के सहमति पत्र पर परिवार के बहुमत वाले हिस्सों के सदस्यों के अलावा पंचायत के मुखिया और साथ ही साथ मुख्य चुनाव के निकटतम प्रतिद्वंदी, वार्ड सदस्य, चकबंदी और राजस्व विभाग के अधिकारी कर्मचारी अपने हस्ताक्षर करेंगे और उसे कानूनी मान्यता मिल जाएगी। ऐसे में अल्पमत वाले सदस्यों को इस सहमति पत्र को मानना जरूरी होगा। मंत्री रामसूरत राय ने कहा कि सरकार ने यह फैसला किया था कि जिसके नाम से जमीन की जमाबंदी है वहीं जमीन की रजिस्ट्री कर सकता है। इस फैसले से भूमि विवाद में कमी आने की संभावना थी लेकिन बिहार में सक्रिय भू माफिया इस मामले को लेकर अदालत चला गया। सरकार की कोशिश है कि जल्द ही इस मामले पर भी कोर्ट की अड़चन को दूर किया जाए।