PATNA : विधायक अशोक सिंह हत्याकांड मामले में जेल में बंद बाहुबली नेता और पूर्व सांसद प्रभुनाथ सिंह को बड़ी राहत मिली है. महाराजगंज के पूर्व सांसद प्रभुनाथ सिंह को आचार संहिता उल्लंघन के एक मामले में छपरा कोर्ट से राहत मिली है. साक्ष्य के अभाव में विशेष मजिस्ट्रेट एमपी, एमएलए, एमएलसी सह एसीजेएम प्रथम रणधीर कुमार ने इन्हें बरी कर दिया है.
शुक्रवार को पूर्व सांसद प्रभुनाथ सिंह एमपी- एमएलए और एमएलसी कोर्ट के विशेष न्यायाधीश सह एएसीजीएम प्रथम रणधीर कुमार के कोर्ट में उपस्थित हुए थे. उन्होंने अपने खिलाफ दर्ज आचार संहिता उल्लंघन के मामले में शामिल होने से स्पष्ट तौर पर इनकार किया. जिसके बाद विशेष न्यायाधीश ने शहर के भगवान बाजार थाने में दर्ज आचार संहिता के उल्लंघन मामले में साक्ष्य के अभाव के कारण प्रभुनाथ सिंह को बरी कर दिया.
गौरतलब हो कि तत्कालीन प्रखंड विकास पदाधिकारी राजेश्वर प्रसाद ने 16 अप्रैल 2014 को महाराजगंज के पूर्व सांसद पर आचार संहिता उल्लंघन करने की प्राथमिकी दर्ज कराई थी. एफआईआर में कहा गया था कि इसमें कहा गया था कि 12 अप्रैल 2014 को सारण लोकसभा निर्वाचन क्षेत्र से राष्ट्रीय जनता दल के प्रत्याशी और पूर्व मुख्यमंत्री राबड़ी देवी के नामांकन पत्र दाखिल करने के पश्चात जिला स्कूल के बोर्डिंग मैदान में आयोजित आमसभा में भाषण के दौरान पूर्व सांसद ने आचार संहिता का उल्लंघन किया था.
प्रभुनाथ सिंह के ऊपर आरोप लगा था कि इन्होंने अपने भाषण के दौरान मतदाताओं से अपील किया था कि "ईवीएम पर जईह, जान के परवाह मत करिह, एगो बने त एगो दबइह, दु गो बने त दु गो दबइह , मौका मिले तो दो चार सौ दबइह." इस मामले में विचारण के दौरान 23 फरवरी 2016 को न्यायालय द्वारा आरोप गठन किया गया था. कोर्ट में पूर्व सांसद की ओर से अधिवक्ता नीरज श्रीवास्तव और दीपक कुमार सिन्हा जबकि अभियोजन पक्ष से एसडीपीओ बालकेश प्रसाद ने बहस किया. पूरे विचारण के दौरान अभियोजन पक्ष से कोई गवाही कोर्ट में नहीं हुई. लिहाजा न्यायालय ने इन्हें दोषमुक्त करार कर दिया.
गौरतलब हो कि बाहुबली नेता और पूर्व सांसद प्रभुनाथ सिंह हत्या के मामले में इन दिनों जेल में सजा काट रहे हैं. दरअसल 3 जुलाई 1995 को शाम के तक़रीबन 7.20 में पटना के आवास में विधायक अशोक सिंह की बम मारकर हत्या कर दी गई. हत्या में प्रभुनाथ सिंह और उनके भाई दीनानाथ सिंह को आरोपी बनाया गया था. हजारीबाग कोर्ट ने 18 मई 2017 को पूर्व सांसद प्रभुनाथ सिंह और उनके भाइयों को इस मामले में दोषी करार देते हुए उम्रकैद की सजा सुनाई थी.
आपको बता दें कि अशोक सिंह साल 1995 में बिहार के मशरख विधानसभा क्षेत्र से विधायक निर्वाचित हुए थे. उन्होंने प्रभुनाथ सिंह को हराया था. चुनाव में जीत के 90 दिन बाद उनकी हत्या कर दी गई थी. इसी हत्यकांड के बाद प्रभुनाथ सिंह ने पटना की राजनीति छोड़कर दिल्ली का रुख किया और 1998 में लोकसभा चुनाव में कांग्रेस के महाचंद्र प्रसाद सिंह को हराकर वह पहली बार सांसद बने थे.