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स्व. प्रणब मुखर्जी को था बिहार से खास लगाव, सीएम नीतीश के भी थे बेहद करीबी

1st Bihar Published by: Updated Tue, 01 Sep 2020 10:27:26 AM IST

स्व. प्रणब मुखर्जी को था बिहार से खास लगाव,  सीएम नीतीश के भी थे बेहद करीबी

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DESK : भारत के पूर्व राष्ट्रपति प्रणब मुखर्जी का निधन हो गया. जिसके बाद बिहार के मुख्यमंत्री नीतीश कुमार ने भी शोक संवेदना व्यक्त की. नीतीश कुमार ने अपने ट्विटर हैंडल पर ट्वीट करके लिखा कि भारत रत्न पूर्व राष्ट्रपति प्रणब मुखर्जी का निधन दुःखद है. वे प्रख्यात राजनेता, कुशल प्रशासक, प्रखर वक्ता थे. उनका निधन मेरे लिए व्यक्तिगत क्षति है. नीतीश कुमार ने बताया कि प्रणब मुखर्जी के साथ उनका आत्मीय संबंध था. हम आपको बता दें कि प्रणब मुखर्जी के लिए बिहार दूसरे घर के समान था. राष्‍ट्रपति बनने और उसके बाद भी उनका बिहार आना-जाना कम नहीं हुआ. 


आपको बता दें कि जब प्रणब मुखर्जी पहली बार राष्ट्रपति पद के प्रत्याशी बनाए गए थे, तब ममता बनर्जी ने उन्‍हें समर्थन नहीं दिया था, किंतु नीतीश कुमार ने आगे बढ़कर प्रणब का सम्मान किया था. यहां तक कि साल 2017 में नीतीश कुमार बतौर राष्‍ट्रपति प्रणब की दूसरी पारी के लिए भी समर्थन देने के पक्ष में थे. इस लिहाज से यह कहा जा सकता है कि नीतीश के प्रणब मुखर्जी के साथ कितने अच्छे संबंध रहे होंगे. 


प्रणब मुखर्जी ने एक बार बातचीत के दौरान बताया था कि बिहार उनका दूसरा घर है और बिहार से उनका एक अलग लगाव है.  मुख्‍यमंत्री नीतीश कुमार के वो बेहद करीबी रहे. नीतीश कुमार उन्‍हें 2017 में दोबारा राष्‍ट्रपति बनाए जाने के पक्ष में थे. हालांकि, बात नहीं बन सकी. तब नीतीश कुमार महागठबंधन में राष्‍ट्रीय जनता दल के साथ सरकार चला रहे थे. कांग्रेस और वामपंथी दलों समेत कई विपक्षी दल राष्ट्रपति का संयुक्त उम्मीदवार उतारने के पक्ष में थे. उसी दौरान मुख्यमंत्री नीतीश कुमार ने राष्‍ट्रपति के लिए आम-सहमति बनाने की बात कही. उन्‍होंने कहा कि इसके लिए भारतीय जनता पार्टी को पहल करनी चाहिए. 


15 मई 2017 को पटना में जब उन्होंने आम सहमति से प्रणब मुखर्जी को दोबारा राष्‍ट्रपति बनाने की बात कही थी तो उन्‍होंने कहा था कि इससे एक अच्छी मिसाल कायम होगी. मुख्‍यमंत्री ने कहा था कि इसके लिए पहले केंद्र सरकार पहल करे. व‍ह सभी राजनीतिक दलों से बातचीत करे. हालांकि, प्रमुख विपक्षी दल कांग्रेस ने इस मुद्दे पर केवल इतना कहा था कि फैसला एनडीए को करना है.