PATNA: पटना हाईकोर्ट ने सूबे के पंचायती राज व्यवस्था को लेकर बड़ा फैसला सुनाया है. हाईकोर्ट ने कहा है कि बिहार के प्रखंडो के प्रमुख औऱ उप प्रमुख के खिलाफ उनके कार्यकाल में सिर्फ एक बार ही अविश्वास प्रस्ताव लाया जा सकता है. पटना हाईकोर्ट के चीफ जस्टिस संजय करोल औऱ जस्टिस संजय कुमार की खंडपीठ ने सोमवार को ये 77 पेज का फैसला सुनाया, जिसमे ये प्रावधान किया गया है. अब तक व्यवस्था ये थी कि हर दो साल के बाद प्रखंड प्रमुख या उप प्रमुख के खिलाफ अविश्वास प्रस्ताव लाया जा सकता है.
वैशाली की प्रमुख ने दायर की थी याचिका
पटना हाईकोर्ट ने ये फैसला वैशाली प्रखंड की तत्कालीन प्रमुख धर्मशीला की ओऱ से दायर याचिका पर दिया है. धर्मशीला ने पटना हाईकोर्ट के एकल पीठ के फैसले के खिलाफ अपील दायर की थी. इसमें चीफ जस्टिस की डबल बेंच ने ये फैसला सुनाया है. चीफ जस्टिस की डबल बेंच ने सिंगल बेंच के फैसले को निरस्त करते हुए वैशाली की प्रखंड प्रमुख औऱ उप प्रमुख को तुरंत बहाल करने का निर्देश दिया है.
तीन साल पुराने मामले में फैसला
दरअसल मामला तीन साल पुराना है. वैशाली प्रखंड की प्रमुख धर्मशीला औऱ उप प्रमुख के खिलाफ पंचायत समिति सदस्यों ने अविश्वास प्रस्ताव बीडीओ को दिया था. 2 अगस्त 2018 को ये प्रस्ताव दिया गया था औऱ बीडीओ ने उसी दिन इसे आगे की कार्रवाई के लिए प्रमुख को भेज दिया था. प्रमुख ने अविश्वास प्रस्ताव पर चर्चा के लिए 10 अगस्त की तारीख तय की. 10 अगस्त को अविश्वास प्रस्ताव पर चर्चा के दौरान 10 सदस्यों औऱ प्रमुख-उप प्रमुख ने बैठक में भाग ही नहीं लिया. कोरम के अभाव में अविश्वास प्रस्ताव पारित नहीं हो पाया.
इसके बाद पंचायत समिति सदस्य हेमंत कुमार औऱ नौ और सदस्यों ने पटना हाईकोर्ट का दरवाजा खटखटाया था. उन्होंने अविश्वास प्रस्ताव में भाग नहीं लेने वाले पंचायत समिति सदस्यों की सदस्यता रद्द करने की मांग की थी. हाईकोर्ट में जस्टिस ए. अमानुल्लाह की एकलपीठ ने मामले की सुनवाई के बाद ये विशेष बैठक की कार्यवाही को निरस्त कर दिया था औऱ प्रखंड में तैनात अधिकारियों के कामकाज की जांच का आदेश दिया था.
एकलपीठ के इसी फैसले के खिलाफ तत्कालीन प्रमुख धर्मशीला हाईकोर्ट की डबल बेंच में गयी थीं. उन्होंने कहा था कि कुछ सदस्यों ने एक सादे कागज पर 10 पंचायत समिति सदस्यों का हस्ताक्षर करा लिया औऱ उसका उपयोग अविश्वास प्रस्ताव के लिए कर लिया.