PFI को लेकर NIA का बड़ा खुलासा, बिहार मॉड्यूल में हो रही टारगेट किलिंग की तैयारी

PFI को लेकर NIA का बड़ा खुलासा, बिहार मॉड्यूल में हो रही टारगेट किलिंग की तैयारी

PATNA  : पॉपुलर फ्रंट ऑफ इंडिया (पीएफआई) के बिहार मॉड्यूल को बैन कर दिया गया है। इसके बाद अब पीएफआई ने अपना प्लान बदल दिया है। अब पीएफआई सेना की तरह ट्रेनिग देने की जगह महत्वपूर्ण लोगों को टारगेट कर उन्हें जान से मारने की योजना बना रहा है। इस बात की जानकारी इस संगठन की जांच कर रहे एनआईए की टीम ने दी है। एनआईए ने कहा कि, इस संगठन पर सरकार की कार्रवाई के बाद अब यह धार्मिक सद्भाव बिगाड़ने के लिए अब सिर्फ टार्गेट किलिंग पर ही काम कर रहा है।


दरअसल, खुफिया एजेंसी के सूत्रों के मुताबिक फरार चल रहा बिहार पीएफआई माड्यूल का सदस्य याकूब इस साजिश का प्रमुख सूत्रधार है। खुफिया एजेंसी और NIA की जांच में ये पता चला है कि बिहार चकिया इलाके के रहने वाला याकूब पिछले डेढ़ सालों से सशस्त्र ट्रेनिंग दे रहा था। लेकिन, जबसे पीएफआई पर प्रतिबंध लगा उसने अपने काम करने का तरीका बदल दिया।


बताया जा रहा है कि, पीएफआई के इस बिहार माड्यूल ने महत्वपूर्ण टार्गेट की सूची बना रखी थी। जिसके लिए याकूब के पास हथियार और गोली पहुंचाए जा रहे थे। ऐसी वारदात को अंजाम देने का मकसद था कि पीएफआई प्रतिबंधित होने के बाद भी दोबारा अपनी मौजूदगी दर्ज करा सके। NIA की तफ्तीश में यह बात भी सामने आई है पिछले डेढ़ साल में याकूब बिहार में करीब 1 दर्जन सशस्त्र ट्रेनिंग कैंप चला चुका है। यह कैंप फुलवारी शरीफ, बेतिया, दरभंगा, मोतिहारी, कटिहार, पूर्णिया, अररिया, मधुबनी और बिहारशरीफ में संचालित किए गए थे। 


जानकारी के अनुसार,एजेंसियों को इस बात का भी अंदेशा है कि अपने ऐसे खतरनाक मंसूबों को अंजाम देने के लिए PFI मॉड्यूल ने करीब आधा दर्जन "हाई टारगेट" की सूची भी बना रखी थी।कुल मिलाकर PFI के बिहार मॉड्यूल का प्लान है कि देश का माहौल कैसे बिगाड़ा जाए। पिछले 3 दिनों में एनआईए ने पीएफआई बिहार फुलवारी शरीफ मॉड्यूल से जुड़े 3 लोगों को गिरफ्तार किया है जबकि कई लोग अभी भी NIA के राडार पर हैं। 


आपको बताते चलें कि,  केंद्र सरकार ने आईएसआईएस जैसे वैश्विक आतंकवादी समूहों के साथ "लिंक" रखने और देश में सांप्रदायिक घृणा फैलाने की कोशिश करने का आरोप लगाते हुए पीएफआई और उसके कई सहयोगी संगठनों को एक कड़े आतंकवाद विरोधी कानून के तहत पांच साल के लिए प्रतिबंधित कर दिया है। यह प्रतिबंधित  सितंबर 2022 को लगाया गया है।