PATNA: जेडीयू में छिड़े घमासान के बीच गुरूवार को दिल्ली में नीतीश कुमार और ललन सिंह की मुलाकात हुई थी. दोनों में वन टू वन बातचीत हुई. उसके बाद मैसेज ये आया कि बिगड़ी बात बन गयी है और ललन सिंह अध्यक्ष पद पर बने रहेंगे. लेकिन इसी बीच इस खेल में पटना में बैठे एक साहब की एंट्री हो गयी. सूत्रों की मानें तो पटना में बैठे साहब ने कल रात कम से कम चार दफे दिल्ली में ललन सिंह को फोन लगाया और उसके बाद सारा हिसाब किताब ही पलट गया.
ललन सिंह खुद इस्तीफा देने पर अड़ गये
पटना में बैठे साहब के फोन ने किस कदर खेल बिगाड़ा, इसे समझिये. शुक्रवार को दिल्ली में अहले सुबह ललन सिंह नीतीश कुमार के कामराज रोड स्थित आवास पर पहुंच गये. ललन सिंह ने वहां पहुंच कर नीतीश कुमार को कहा कि वे अब अध्यक्ष पद पर बने रहने को तैयार नहीं हैं. नीतीश उनके बदले रूख को देख कर हैरान हुए. लेकिन ललन सिंह ने अपने फैसले से पलटने से इंकार कर दिया. ललन सिंह सुबह से ही नीतीश कुमार के आवास पर डटे रहे. साढ़े 11 बजे दिल्ली के कंस्टीच्यूशन क्लब में जेडीयू की राष्ट्रीय कार्यसमिति औऱ फिर राष्ट्रीय पर्षद की बैठक होनी थी. ललन सिंह नीतीश कुमार के साथ ही उस बैठक के लिए निकले.
नीतीश के किचेन कैबिनेट को मिल गयी थी खबर
आज सुबह ललन सिंह के बदले तेवर की जानकारी नीतीश कुमार के किचेन कैबिनेट के सदस्यों यानि विजय चौधरी, अशोक चौधरी और संजय झा को लग गयी थी. लिहाजा उनके सुर भी बदल गये. कंस्टीच्यूशन क्लब में हो रही बैठक में भाग लेने पहुंचे अशोक चौधरी ने मीडिया से बात करते हुए कहा-जेडीयू के ब्रांड को सिर्फ नीतीश कुमार हैं. वे अगर खुद अध्यक्ष बनना चाहेंगे तो पार्टी का हर नेता और कार्यकर्ता स्वागत करेगा. विजय चौधरी ने मीडिया से कहा-अभी तक तो ललन बाबू अध्यक्ष हैं. आगे कार्यकारिणी औऱ राष्ट्रीय पर्षद की बैठक में क्या होगा, ये वहां जाकर पता चलेगा. विजय चौधरी और अशोक चौधरी के बयान से साफ हो गया कि ललन सिंह अब पार्टी के अध्यक्ष नहीं रहेंगे.
पटना में बैठे साहब का खेल
लेकिन जेडीयू में हो रहे उठापटक के बीच किसी की नजर पटना में बैठे साहब पर नहीं जा रही है. सूत्र बता रहे हैं कि असली खेल तो साहब के घर पर चल रहा है. गुरूवार की शाम साहब ने एक संवैधानिक पद पर बैठे नेता को अपने आवास पर बुलाया था और उनसे लंबी गुफ्तगू की थी. संवैधानिक पद पर बैठे नेता अपने क्षेत्र में जमे थे लेकिन उन्हें कल आनन फानन में पटना पहुंचने को कहा गया. साहब ने उनसे बात की और फिर ललन सिंह को दिल्ली में फोन लगाया था.
आगे बहुत खेल होगा
दरअसल ये पहले से चर्चा आम है कि साहब औऱ ललन सिंह दोनों गहरे संपर्क में हैं. ललन सिंह पार्टी में साहब के लिए ही फील्डिंग कर रहे थे, जिसके कारण उनकी विदाई का रास्ता तैयार हुआ. लेकिन विदाई से जेडीयू के भीतर का खेल खत्म नहीं हो जायेगा. सूत्र बडी गंभीरता से कह रहे हैं कि अभी बडा खेल होना बाकी है. साहब और ललन सिंह की जोड़ी बहुत गुल खिलाने वाली है. इसकी तैयारी भी कर ली गयी है. लेकिन सारी बातें धीरे धीरे सामने आयेंगी.
बता दें कि ऐसा पहली बार नहीं होगा जब ललन सिंह नीतीश कुमार को सबक सिखाने मैदान में उतरेंगे. इससे पहले भी 2010 में ललन सिंह ने नीतीश कुमार को सबक सिखाने का एलान किया था. उन्होंने 2010 के विधानसभा चुनाव में नीतीश कुमार को डैमेज करने की भरपूर कोशिश की थी. हालांकि उसमें सफल नहीं हुए. लेकिन उस दौर में नीतीश कुमार के खिलाफ अचानक से कोर्ट में कई मुकदमे दायर हो गये थे. इसका नतीजा ये हुआ था कि नीतीश कुमार ने 2011 मे फिर से ललन सिंह से दोस्ती की थी. मजेदार बात ये थी कि ललन सिंह औऱ नीतीश कुमार की दोस्ती के बाद वैसे सारे मुकदमे में वादी ने ही कोर्ट में आना छोड़ दिया, जिसमें नीतीश कुमार पर आरोप लगाया जा रहा था.
अब ललन सिंह इस बार क्या खेल करेंगे, इसकी पूरी रूपरेखा सामने नहीं आयी है. लेकिन खेल होगा ये तय है. देखना है नीतीश कुमार इस दफे उसे हैंडल कर पायेंगे या नहीं.