PATNA : तबलीगी जमात से जुड़े लोगों को लेकर नीतीश सरकार की एक और बड़ी लापरवाही सामने आई है। दिल्ली के निजामुद्दीन मरकज में कोरोना कांड सामने आने के पहले ही पटना के दीघा इलाके की एक मस्जिद में छिपे तबलीगी जमात के लोगों को पकड़ा गया था। दीघा इलाके के स्थानीय लोगों के विरोध के बाद पहुंची पुलिस ने इन लोगों को हिरासत में लिया था बाद में इन्हें प्रारंभिक जांच के बाद क्वॉरेंटाइन कर दिया गया लेकिन हैरत की बात यह रही कि इनमें से किसी का कोरोना टेस्ट नहीं कराया गया।
अब दिल्ली के निजामुद्दीन मरकज का मामला सामने आने के बाद सरकार की नींद टूटी है। आनन-फानन में तबलीगी जमात के इन मौलवियों का अब सैंपल टेस्ट के लिए लिया गया है। ऐसे में यह सवाल उठना लाजमी है कि आखिर जब टीम की पहचान बाहर से आए विदेशियों के तौर पर कर ली गई थी तो इनका कोरोना टेस्ट क्यों नहीं कराया गया।
तकरीबन 8 दिन पहले कुर्जी के एक मस्जिद में इन विदेशियों के छुपे होने हैं की सूचना मिलने के बाद स्थानीय लोगों ने हंगामा किया था। हंगामे के बाद पुलिस वहां पहुंची थी और तबलीगी जमात से जुड़े मौलवियों को जांच के लिए एम्स ले जाया गया सरकार की लापरवाही का अंदाजा इस बात से लगाया जा सकता है कि एम्स में इनका प्रारंभिक टेस्ट तो किया गया लेकिन कोरोना टेस्ट नहीं हुआ। सरकार ने इनकी ट्रेवल हिस्ट्री कोई पूछताछ नहीं की। तबलीगी जमात से जुड़े इन लोगों ने मुंबई और दिल्ली में रहने की जानकारी तो दी लेकिन निजामुद्दीन की मजलिस में शामिल होने की बात छुपा ली। नतीजा यह रहा कि इन लोगों का बिना सैंपल लिए ही एम्स में छोड़ दिया। हालांकि पटना के समनपुरा इलाके में इन मौलवियों को होम कोरेंटाइन किया गया था लेकिन नीतीश सरकार ने इतनी बड़ी लापरवाही क्यों बरती इस पर सवाल उठ रहे हैं।