PATNA : इस वक़्त एक बड़ी खबर राजधानी पटना से सामने आ रही है. पटना पुलिस में तैनात 139 पुलिसवालों को सस्पेंड कर दिया गया है. साल 2018 में महिला सिपाही की मौत के बाद पटना पुलिस लाइन में हुए बवाल वाली घटना में शामिल होने को लेकर इन पुलिसकर्मियों के खिलाफ एक्शन लिया गया है. योगदान देने के तुरंत बाद इन पुलिसवालों को तत्काल प्रभाव से निलंबित कर दिया गया है.
पटना पुलिस लाइन हंगामा में शामिल सिपाहियों पर फिर से गिरी गाज गिरी है. 139 पुलिसवालों को सस्पेंड कर दिया गया है. तीन साल पहले वर्ष 2018 में महिला की मौत के बाद पटना पुलिस लाइन में काफी बवाल हुआ था. एक ट्रेनी महिला सिपाही की मौत के बाद पुलिस लाइन अखाड़े में तब्दील हो गया था. ट्रेनी पुलिस वालों का आरोप था कि उनसे गलत तरीके से ड्यूटी ली जाती है और छुट्टी भी नहीं मिलती है. इस मामले में जबर्दस्त हंगामा हुआ था. इसके बाद 175 सिपाहियों की नौकरी चली गई थी. इन्हें बर्खास्त कर दिया गया था. प्रोसिडिंग चलाये बगैर डिसमिस किये जाने के बाद ये पुलिसवाले कोर्ट की शरण में गए थे.
पटना हाईकोर्ट ने बर्खास्त पुलिसकर्मियों की सेवा बहाल कर दी थी. उच्च न्यायालय के आदेश के बाद इन्होंने विभाग में योगदान दिया था. योगदान दिए जाने के तुरंत बाद 185 सिपाहियों में से 139 को तत्काल प्रभाव से निलंबित कर दिया गया है. इनके खिलाफ विभागीय कार्रवाई चलाने का भी आदेश दिया गया है. गौरतलब हो कि पटना पुलिस लाइन में गुंडागर्दी करने वाले बिहार पुलिस के 175 जवानों को बर्खास्त कर दिया गया था. ये बिहार पुलिस का अब तक का सबसे बड़ा फैसला था. पटना जोन के तत्कालीन आईजी नैय्यर हसनैन खां के निर्देश पर पटना तत्कालीन एसएसपी मनु महाराज ने इसका आदेश जारी किया था. इनमें 167 नए रंगरूट थे, वहीं 93 ऐसे पुलिस पदाधिकारी को पटना ज़ोन से बाहर तबादला किया गया था, जो सालों से पटना में बने हुए थे. इसके अलावा 23 पुलिस वालों को सस्पेंड किया गया था.
दरअसल, दो नवंबर 2018 को सीवान निवासी रंगरुट सविता कुमारी पाठक की मौत के बाद सिपाहियों ने पुलिस लाइन में उपद्रव किया था. ग्रामीण एसपी, डीएसपी सहित कई पुलिस अधिकारियों को पीट दिया था. गाड़ियां पलट दी थी. कार्यालयों में तोड़फोड़ की थी. सड़क पर भी राहगीरों को पीटा था. इसी में सीसीटीवी फुटेज के आधार पर पहचान कर कार्रवाई की गई और साक्ष्य के आधार पर 167 रंगरुट और 8 सिपाही बर्खास्त किए गए थे.