पटना हाई कोर्ट ने BPSC की न्यायिक सेवा में सफल अभ्यर्थियों को भेजा नोटिस, जानिए.. क्या है मामला

पटना हाई कोर्ट ने BPSC की न्यायिक सेवा में सफल अभ्यर्थियों को भेजा नोटिस, जानिए.. क्या है मामला

PATNA: BPSC की 31वीं न्यायिक पदाधिकारी नियुक्ति प्रतियोगिता परीक्षा के परिणाम को चुनौती देने वाली याचिका पर सुनवाई करते हुए पटना हाइकोर्ट ने परीक्षा में सफल उम्मीदवारों को नोटिस जारी किया है। पटना हाई कोर्ट की जस्टिस पीवी बजंत्री और जस्टिस अरुण कुमार झा की खंडपीठ ने ऋषभ रंजन और कुणाल कौशल सहित 17 अभ्यार्थियों की रिट याचिकाओं की सुनवाई की और चार सप्ताह के भीतर अपना पक्ष प्रस्तुत करने का निर्देश दिया।


हाई कोर्ट ने स्पष्ट किया कि न्यायिक पदाधिकारियों की नियुक्तियां, मामले में पारित अंतिम फैसले पर निर्भर करेगा। याचिकाकर्ताओं BPSC पर भर्ती नियमावली और परीक्षा के विज्ञापन की कंडिकाओं का उल्लंघन करने का आरोप लगाया है। आरोप है कि आयोग ने मनमाने तरीके से मुख्य परीक्षा में अयोग्य अभ्यर्थियों को भी इंटरव्यू में बुलाया और पूरे भर्ती प्रक्रिया को अनियमित और अवैध बना दिया। इस परीक्षा में राज्य में 214 सिविल जज (जूनियर डिवीजन) न्यायिक दंडाधिकारी सफल हुए थे।


याचिकाकर्ताओं के वकील ने कोर्ट को बताया कि नियुक्ति प्रक्रिया में बिहार न्यायिक सेवा भर्ती नियमावली 1955 के नियमों की अनदेखी की गयी है। आयोग ने वैसे अभ्यर्थियों को साक्षात्कार के लिए बुलाया, जिनका मुख्य परीक्षा के रिजल्ट में न्यूनतम कट ऑफ अंक से 12 फीसदी अंक कम था। एक ओर भर्ती नियमावली का नियम 15, आयोग को न्यूनतम कटऑफ अंक में पांच फीसदी की रियायत देने की इजाजत देता है लेकिन आयोग ने कई आरक्षित कोटि के अभ्यर्थियों को मनमाने तरीके से न्यूनतम अंक में 12% की रियायत देकर इंटरव्यू में बुलाया। इंटरव्यू में वैसे अभ्यार्थी,जिन्हें मुख्य परीक्षा में कटऑफ से 12 प्रतिशत कम मिले, उन्हें साक्षात्कार का अंक 80 से 85 फीसदी देते हुए उन्हें पूरी परीक्षा में योग्य घोषित कर दिया गया।


साक्षात्कार की प्रक्रिया पर सवाल उठाते हुए याचिकाकर्ता के वकील ने परीक्षा के रिजल्ट को रद्द करने की मांग करते हुए हाईकोर्ट से अनुरोध किया कि मुख्य परीक्षा के अंकों के गुण- दोष के आधार पर नये सिरे से योग्यता सूची तैयार कर फिर से साक्षात्कार करायी जाये। इस मामले में हाइकोर्ट ने बीपीएससी से भी जवाब तलब किया है। मामले पर अगली सुनवाई चार सप्ताह बाद होगी।