PATNA: बिहार में फर्जी डिग्री के आधार पर शिक्षक बनकर लंबे समय से सरकार को चूना लगा रहे शिक्षकों के खिलाफ दायर जनहित याचिका पर मंगलवार को पटना हाई कोर्ट में सुनवाई हुई। मुख्य न्यायाधीश केवी चंद्रन की खंडपीठ ने मामले की सुनवाई करते हुए बिहार सरकार और निगरानी विभाग को दो सप्ताह के भीतर की गई कार्रवाईयों का रिपोर्ट पेश करने का निर्देश दिया।
दरअसल, बिहार में फर्जी डिग्री के आधार पर बहाल हुए शिक्षकों के खिलाफ रंजीत पंडित ने पटना हाई कोर्ट में जनहित याचिका दाखिल की थी। कोर्ट ने मामले की सुनवाई करते हुए बिहार सरकार को आदेश दिया था कि सरकार एक समय सीमा तय करे और तय समय सीमा के भीतर संबंधित शिक्षक अपनी डिग्री पेश करें। तय समय सीमा के भीतर अपनी डिग्री प्रस्तुत नहीं करने वाले शिक्षकों के खिलाफ सरकार कार्रवाई करे लेकिन जांच की रफ्तार धीमी होने के कारण ऐसे शिक्षकों के खिलाफ कार्रवाई नहीं हो सकी।
याचिकाकर्ता के अधिवक्ता दीनू कुमार ने कोर्ट को बताया कि अभी भी 73 हजार शिक्षकों के फोल्डर नहीं मिले हैं। यह मामला काफी दिनों से चल रहा है, लेकिन जांच की रफ्तार काफी धीमी है। उन्होंने कोर्ट को बताया कि बड़ी संख्या में फर्जी डिग्री के आधार पर शिक्षक बने लोग राज्य में काम कर रहे हैं और मोटा वेतन भी उठा रहे हैं। जिसके बाद चीफ जस्टिस केवी चन्द्रन की खंडपीठ ने राज्य सरकार और निगरानी विभाग को दो सप्ताह के भीतर कार्रवाई रिपोर्ट दाखिल करने का निर्देश दिया।