PATNA : बिहार सरकार के तरफ से वर्षों से चले आ रहे प्रविधान को पटना हाईकोर्ट ने रद्द कर दिया है। अब सेवानिवृत्ति से एक माह पहले तक स्वैच्छिक रूप से पदत्याग करने वाले यानि वीआरएस लेने वाले चौकीदार के वारिस को उनकी नौकरी नहीं मिलेगी। इसके आलोक में सरकार ने सभी डीएम को पत्र भेजकर आवश्यक कार्रवाई करने को कहा है।
दरअसल, अबतक राज्य में गृह विभाग की ओर से यह व्यवस्था थी कि 20 साल की सेवा अवधि पूरा करने वाले कोई चौकीदार सेवानिवृत्ति से एक माह पहले अपनी मर्जी से पद छोड़ते हैं तो उनके उत्तराधिकारी को उनकी जगह बहाल कर लिया जाएगा। इसके लिए कम से कम 55 साल से अधिक उम्र वाले चौकीदारों को इच्छा व्यक्त करते हुए किसी वारिस को नाम लिख कर डीएम को आवेदन देना होता था। इसके आधार पर उनके द्वारा चयनित वारिस की बहाली चौकीदार के पद पर हो जाती थी। लेकिन, अब पटना पटना हाईकोर्ट के द्वारा इस प्रविधान को रद्द कर दिया है।
मालूम हो कि, भागलपुर के एकचारी के देवमुनि पासवान की विशेष अनुमति याचिका (एलपीए) पर सुनवाई करते हुए पटना हाईकोर्ट के दो जजों ने इसपर फैसला सुनाया। न्यायाधीश पीबी बनर्जी एवं अरुण कुमार झा ने जारी आदेश में कहा कि बिहार सरकार के गृह विभाग का यह प्रविधान संविधान के अनुच्छेद 14 और 16 का उल्लंघन है। कोर्ट ने आश्चर्य जताया कि आजादी के 75 साल बाद भी संविधान का उल्लंघन किया जा रहा है। चौकीदार का पद पब्लिक का पोस्ट है। इस पद पर बहाली की प्रक्रिया को संविधान के अनुच्छेद 14 और 16 के अनुरूप होना चाहिए।
इसके बाद पटना हाईकोर्ट ने गृह विभाग के उस प्रावधान को निरस्त करने का आदेश दिया जो सेवानिवृत्त होने वाले चौकीदार की जगह उत्तराधिकारी को बहाल कर दिया जाता था। पटना हाईकोर्ट के इस आदेश के बाद राज्य के 38 जिले में फरवरी 2023 के बाद सेवानिवृत्त होने चौकीदार के उत्तराधिकारी को यह लाभ नहीं मिल सकेगा। हालांकि, पूर्व में इस आधार पर दी गई नौकरी को लेकर अभी कुछ नहीं कहा गया है।