PATNA : बिहार में शराबबंदी कानून को सफल बनाने के लिए दिन रात एक कर चुकी नीतीश सरकार को अब पड़ोसी राज्यों की तरफ से नया भरोसा मिला है। पूर्वी क्षेत्रीय परिषद की बैठक में बिहार की तरफ से यह मुद्दा उठाया गया की पड़ोसी राज्यों से बिहार में शराब की एंट्री पर लगाम लगाई जाए। बिहार के इस मांग पर सीमावर्ती राज्यों ने गंभीरता पूर्वक विचार करने का भरोसा दिया है।
पटना में आज 11वीं पूर्वी क्षेत्रीय परिषद की बैठक आयोजित हो रही है जिसमें बिहार के अलावे झारखंड, उड़ीसा, पश्चिम बंगाल के वरीय अधिकारी शामिल हो रहे हैं। इस बैठक में केंद्रीय गृह मंत्रालय के भी संयुक्त सचिव और विशेष सचिव स्तर के अधिकारी मौजूद हैं। बिहार की तरफ से पड़ोसी राज्यों से शराब की एंट्री का मुद्दा उठाया गया। बिहार सरकार ने अपने सीमावर्ती राज्यों के सामने यह मांग रखी है कि बिहार से सटे गांवों और इलाकों में शराब की दुकान ना खोली जाए।
बताया जा रहा है कि पड़ोसी राज्य इस बात पर राजी हो गए हैं कि बॉर्डर से 1 किलोमीटर की दूरी तक कोई शराब की दुकान नहीं रखी जाएगी। इसके अलावा बिहार सरकार ने झारखंड से अपने बकाया राशि की मांग भी इस बैठक में रखी है। बिहार सरकार ने झारखंड पर बकाया पेंशन मद का 742 करोड़ रुपया मांगा है। यह राशि बिहार झारखंड बंटवारे के बाद से ही झारखंड के पास बकाया है।
पश्चिम बंगाल और झारखंड जैसे पड़ोसी राज्यों ने बिहार को भरोसा दिया है कि बिहार के सीमा से लगे इलाके से शराब की एंट्री पर रोक लगाई जाएगी। पड़ोसी राज्यों ने बिहार को यह भरोसा दिया है कि वह शराब की एंट्री को लेकर नए सिरे से अपनी सीमा पर प्लानिंग का रिव्यू करेंगे।