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NSMCH के डॉक्टरों ने किया कमाल, 780 ग्राम के बच्चे को स्वस्थ्य कर भेजा घर

1st Bihar Published by: Updated Wed, 01 Jul 2020 11:47:26 AM IST

NSMCH के डॉक्टरों ने किया कमाल, 780 ग्राम के बच्चे को स्वस्थ्य कर भेजा घर

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PATNA :  बिहटा के अमहरा स्थित नेताजी सुभाष मेडिकल कॉलेज सह हॉस्पिटल में 30 अप्रैल से भर्ती  780 ग्राम के बच्चे को डॉक्टरों ने स्वस्थ कर घर भेजा ह. दो महीने के बाद स्वस्थ होकर घर लौट रहे बच्चे के पिता सह आईआईटी पटना के फेकल्टी डॉ प्रधान और उनकी पत्नी सावित्री प्रधान ने कहा, 'मैं सिर्फ इतना ही कह सकती हूं कि मैं बेहद खुश हूं कि मेरा बेटा इतना बड़ा हो गया है क्योंकि सच बोलूं तो मुझे उम्मीद ही नहीं थी कि वह जीवित बचेगा.आज इनको स्वस्थ देखकर मेरा पूरा परिवार काफी खुश है. उन्होंने अस्पताल के चिकित्सक ,वार्डन सहित अस्पताल के प्रबंधक को बधाई देते हुए कहा कि सुदूर इलाके में इस तरह अत्याधुनिक उपकरण और समुचित इलाज क्षेत्र के लिये वरदान है. 

उन्होंने बताया कि 11 साल बाद मेरे घर मे बच्चे ने जन्म लिया था. लेकीन जन्म के बाद बच्चे का वजन जब 780 ग्राम हुआ तो हमलोग डर गए थे. लगा अब हमारे घर सालों बाद आई यह खुशी का क्या होगा. लेकिन  इस अस्पताल ने मेरे जीवन फिर से ज्योति जला दी है, इसलिए बच्चे का नाम भी जीवन ज्योति रखा है. 

डॉक्टरों का कहना है कि जन्म के वक्त बच्चे का वजन मात्र 780 ग्राम था. प्रेग्नेंसी के दौरान बच्चे का वजन बढ़ नहीं रहा था और डॉक्टरों को डर था कि बच्चे को बचाने मुमकिन नहीं होगा, इसलिए  प्रेग्नेंसी के 31वें हफ्ते में सी-सेक्शन के जरिए बच्चे का जन्म हुआ. दो माह पूर्व जन्म के समय  बच्चे का वजन सिर्फ 780 ग्राम वजन था. जन्म के वक्त बच्चा इतना छोटा था कि वह किसी वयस्क व्यक्ति की हथेली में समा सकता था. लेकिन जन्म के दो महीने तक बच्चे का लगातार इलाज चला और अब उसका वजन 2 किलोग्राम है और बच्चा और जच्चा दोनों स्वस्थ है. सामान्य तरीके से फीडिंग कर रहा है और उसे अस्पताल से छुट्टी भी मिल गई है. डॉक्टरों की मानें तो यह बिहार में पैदा होने वाला सबसे कम वजन का शिशु था.

वही बच्चे का इलाज करने वाले अस्पताल के सुपरिटेंडेंट डॉ अरबिंद प्रसाद और शिशु रोग विशेषज्ञ डॉ.बिनोय शंकर,डॉ शम्भू, डॉ क्षितिज,डॉ सचिन,डॉ रजनीश,डॉ रामानुज बताते है कि उस समय बच्चा इतना कमजोर था बचना मुश्किल था. उसी समय बच्चे को एफबीएनसी में भर्ती किया गया. बच्चें को स्वस्थ रखना सबसे बड़ी चुनौती था. कमजोर होने के कारण बच्चे को जन्म के बाद नली से दूध पिलाया गया. सांस की तकलीफ पर ऑक्सीजन दी गई.दो महीने बाद मंगलवार को बच्चे  छुट्टी दी गई है. लेकिन इसके बाद भी बच्चे का हर महीने नियमित चेकअप किया जाएगा. बच्चे को पौष्टिक आहार के लिए भी माता-पिता को गाइड किया है.