एन के सिंह बने आर्थिक विकास संस्थान के अध्यक्ष, पूर्व प्रधानमंत्री डॉ. मनमोहन सिंह की ली जगह

एन के सिंह बने आर्थिक विकास संस्थान के अध्यक्ष, पूर्व प्रधानमंत्री डॉ. मनमोहन सिंह की ली जगह

PATNA : 15 वें वित्त आयोग के अध्यक्ष एन के सिंह को आर्थिक विकास संस्थान (IEG) सोसाइटी का अध्यक्ष चुना गया है. एन के सिंह देश के पूर्व प्रधानमंत्री डॉ मनमोहन सिंह की जगह लेंगे, जो इस महीने की शुरूआत में इंस्टीट्यूट ऑफ इकोनॉमिक ग्रोथ सोसाइटी के अध्यक्ष पद से सेवानिवृत्त हुए थे.


भाजपा के प्रदेश प्रवक्ता मनोज कुमार सिंह ने एन के सिंह की नियुक्ति पर खुशी जाहिर की. साथ ही उन्होंने देश के यशस्वी प्रधानमंत्री माननीय नरेंद्र मोदी का इस नियुक्ति के लिए आभार भी व्यक्त किया. उन्होंने बताया कि एन के सिंह के नियुक्ति से भारत की अर्थव्यवस्था एक नए कीर्तिमान स्थापित करेगी. उन्होंने ने बताया कि एन के सिंह जब बक्सर के एसडीएम थे, तब उन्होंने बहुत सारे उच्च विद्यालयों को मान्यता दी थी. जिस से शिक्षा के क्षेत्र में व्यापक सुधार हुआ था, इस नाते उनका बक्सर से एक भावनात्मक जुडाव भी है.


उन्होंने कहा कि एक प्रमुख प्रशासक और नीति निर्माता, एनके सिंह राजकोषीय उत्तरदायित्व और बजट प्रबंधन समीक्षा समिति (एफआरबीएम) के अध्यक्ष रहे है और उन्होंने इसके सदस्य के रूप में भी काम किया है. राज्य सभा (2007-2014), इस दौरान उन्होंने कई प्रमुख  संसदीय स्थायी समितियां के सदस्य के रूप अपना योगदान दिया है. एन के सिंह का लंबा करियर भारतीय प्रशासनिक सेवा में रहा है.वह 1991 के भारत के आर्थिक सुधारों के दौरान सलाहकारों और रणनीतिकारों के मुख्य समूह का हिस्सा थे.


सिंह को अंतरराष्ट्रीय आर्थिक व्यवस्था में उनके योगदान के लिए जापान के सम्राट द्वारा 2016 में ऑर्डर ऑफ द राइजिंग सन-गोल्ड एंड सिल्वर पुरस्कार से सम्मानित किया गया है. दिल्ली स्कूल ऑफ इकोनॉमिक्स के साथ डॉ वीकेआरवी राव द्वारा स्थापित, आर्थिक विकास संस्थान 1950 के दशक से लागू अर्थशास्त्र अनुसंधान में सबसे आगे रहा है. इसने अपनी स्थापना के बाद से अंतर-अनुशासनात्मक और सामाजिक विज्ञान अनुसंधान को बढ़ावा दिया है.


आईईजी उन्नत अनुसंधान और प्रशिक्षण के लिए एक स्वायत्त, बहु-विषयक केंद्र है, जिसकी स्थापना 1952 में प्रख्यात अर्थशास्त्री वीकेआरवी राव ने की थी. आईईजी का शोध नौ व्यापक विषयों में आता है, जिसमें कृषि और ग्रामीण विकास, पर्यावरण और संसाधन अर्थशास्त्र, वैश्वीकरण और व्यापार, उद्योग, श्रम और कल्याण, मैक्रो-आर्थिक नीति और मॉडलिंग, जनसंख्या और विकास, स्वास्थ्य बीमा और सामाजिक परिवर्तन एवं सामाजिक संरचना शामिल हैं.