नीतीश - तेजस्वी के अरमानों पर फिरा पानी, डोमिसाइल रूल खत्म करने के बाबजूद खाली रह गई इतनी सीटें

नीतीश - तेजस्वी के अरमानों पर फिरा पानी, डोमिसाइल रूल खत्म करने के बाबजूद खाली रह गई इतनी सीटें

PATNA : बिहार लोक सेवा आयोग ने शिक्षक बहाली परीक्षा का परिणाम जारी करना शुरू कर दिया गया है। अब तक आयोग की तरफ से जो आंकड़ा बताया गया है उसके अनुसार परीक्षा में 1लाख 22 हजार 324 अभ्यर्थी सफल हुए हैं। इस बार भले ही नीतीश - तेजस्वी की सरकार ने दूसरे राज्यों के स्टूडेंट को बिहार में टीचर बनने की छूट प्रदान की हो लेकिन उसके बाबजूद सरकार को जरूरत के अनुसार टीचर नहीं मिल पाए हैं। 


दरअसल, वर्तमान में राज्य में सबसे अधिक टीचर की जरूरत प्राइमरी स्कूल में है। इसको लेकर इस बहाली में सरकार के तरफ से 79,943 पदों पर बहाली निकाली गई। इसको लेकर अन्य राज्य और बिहार मिलाकर कुल  7.7 लाख स्टूडेंट ने आवेदन दिय। इसके बाद जब बारी परीक्षा की आई तो करीब 6 लाख स्टूडेंट शामिल हुए। सबसे बड़ा झटका सरकार को यही लगा। इसी जगह करीब एक लाख अभ्यर्थी शामिल नहीं हुए। उसके बाद जब परीक्षा हुई और परिणाम जारी किए गए तो पास अभ्यर्थी की संख्या 72419 है मतलब ही अभी भी 7524 पद खाली है। 


वहीं , यदि हम बात करें मिडिल और हाई स्कूल की तो इसमें और भी अधिक बुरा हाल है। जबकि सरकार ने इसी को लेकर डोमिसाइल नीति को खत्म करने का निर्णय लिया था जिससे की उसके पास अन्य राज्यों के काबिल टीचर स्टूडेंट मिल सकें जिन्हें बाद में ट्रेनिंग देकर राज्य सरकार खुद का टीचर बना सकें। लेकिन, रिजल्ट जारी होने के बाद नीतीश - तेजस्वी के इस अरमान पर पानी पीड़ता नजर आ रहा है। 


ऐसे में अब यह सवाल उठता है कि हम यह बात कैसे कह रहे हैं तो सबसे पहले तो यह बता दें की यह बातें हम नहीं बल्कि आयोग के तरफ से जारी रिजल्ट का डाटा कह रहा है। राज्य में मिडिल और हाई स्कूल में राजनीतिशास्त्र के लिए 5354 पदों पर बहाली निकाली गई और पास हुए महज 712, इसी तरह संगीत के लिए खाली पद थे 2043 और पास हुए महज  672 अभ्यर्थी। यही नहीं गृहविज्ञान के लिए 1275 पद थे पास हुए महज 258, वनस्पति विज्ञान के लिए पद थे  2738 और पास हुए 669,मगही के लिए पद थे 27 और पास हुए मात्र 2,भोजपुरी के लिए पद थे 49 और पास हुए 5 और इंटरप्रेनियोरेशिप के लिए पद थे  492 और पास हुए मात्र 140 अभ्यर्थी। यह आकड़ा सिर्फ कल के जारी रिजल्ट का है , आप इसी के अनुमान लगा सकतें हैं कि राज्य सरकार को कितने टीचर मिले और नीतीश - तेजस्वी के अरमान पर किस तरह पानी पीड़ा है। 


मालूम हो कि,बिहार लोक सेवा आयोग के अध्यक्ष अतुल प्रसाद ने बताया कि बीपीएससी ने ज्यादातर विषयों ने न्यूनतम कटऑफ मार्क्स पर रिजल्ट जारी किया है। अनारक्षित यानी सामान्य वर्ग के लिए 40 प्रतिशत, पिछड़ा वर्ग के लिए 36.5 प्रतिशत, अति पिछड़ा वर्ग के लिए 35 प्रतिशत, अनुसूचित जाति, अनुसूचित जनजाति और दिव्यांग महिलाओं के लिए 32 परसेंट कट ऑफ रखा गया है। इसके बाबजूद उन्हें टीचर नहीं मिल पाया है। ऐसे में अब यह सवाल है कि इसकी वजह क्या है। 


इन सवालों को लेकर जब हमारी टीम ने कुछ टीचर स्टूडेंट से संपर्क साधा तो उन्होंने बताया कि सबसे पहले तो आयोग ने इस तरीके से सवाल किए थे जो कहीं से भी टीचर स्टूडेंट से जुड़ें हुए लग ही नहीं रहे थे। इसकी वजह से आधे से अधिक स्टूडेंट पहले ही हार मान लिए और डॉक्युमेंट वेरिफिकेशन का डेट आया तो गए ही नहीं। उसके बाद राज्य के लगभग 70 % स्टूडेंट प्राइमरी के लिए फॉर्म भरे जिसमें 55%स्टूडेंट शामिल हुए।  इस मामले में स्थिति को सप्ष्ट करते हुए आयोग के अध्यक्ष अतुल प्रसाद ने शायराना अंदाज में कहा कि जिसने दर्द दिया है वही दवा भी देगा। मतलब उनका कहना है बीएड अभ्यर्थियों को सुप्रीम कोर्ट के तरफ से दर्द मिला है, तो दवा भी सुप्रीम कोर्ट की तरफ से ही मिलेगा। 


लोक सेवा आयोग की ओर से जारी रिजल्ट को देखते हुए यह तय हो गया है कि सुप्रीम कोर्ट के अंतिम फैसले तक बिहार में प्राइमरी टीचर के रूप में जो संख्या अभी खाली पड़ी थी। वह पहले की तरह ही खाली रहेगी। क्योंकि महज 72 हजार शिक्षकों के जरिए इन खाली पड़े पदों को भरपाना संभव नहीं है। बीएससी के शिक्षक बहाली परीक्षा में सबसे अधिक b.ed के अभ्यर्थी हैं, जो प्राइमरी के लिए शामिल हुए थे।