PATNA : बिहार में सात निश्चय योजना मुख्यमंत्री नीतीश कुमार का ड्रीम प्रोजेक्ट है। सात निश्चय योजना के तहत नल जल योजना में सामने आने वाले गड़बड़ झाले को देखते हुए मुख्यमंत्री नीतीश कुमार ने अब बड़ा फैसला किया है। सीएम नीतीश ने पदाधिकारियों को निर्देश दिया है कि वह हर घर नल का जल योजना को बिहार लोक सेवाओं के अधिकार अधिनियम के दायरे में शामिल करें। इस योजना से जुड़ी शिकायतें लगातार जनता दरबार कार्यक्रम में सामने आ रही थी। कई फरियादियों ने नीतीश कुमार को दो टूक तरीके से कहा कि इस योजना में भ्रष्टाचार के अलावा और कुछ भी नहीं है। इसके बाद नीतीश कुमार लगातार इस बात पर मंथन कर रहे थे कि आखिर इस योजना को कैसे पारदर्शी बनाया जाए।
मुख्यमंत्री ने वीडियो कांफ्रेंसिंग से एक अणे मार्ग में मंगलवार को नल-जल योजना की प्रगति का समीक्षा की। पदाधिकारियों को यह भी निर्देश दिया कि योजनाओं की प्रगति रिपोर्ट का जमीनी मुआयना करें। जलापूर्ति की नियमित मॉनिटरिंग करें। नई तकनीक का प्रयोग कर सही सूचना एकत्र करें और लोगों की शिकायतों का जल्द समाधान करें। सीएम नीतीश ने कहा कि लोगों को इस बात के लिए प्रेरित करें कि पानी का दुरुपयोग न करें, यह पर्यावरण के लिए भी नुकसानदायक है। समीक्षा के दौरान पदाधिकारियों ने उन्हें जानकारी दी कि गांवों में पंचायती राज द्वारा 99 प्रतिशत, लोक स्वास्थ्य अभियंत्रण द्वारा 97 प्रतिशत तो शहरों में 88.55 वार्डो में नल-जल योजना का काम पूरा हो गया है। मुख्यमंत्री ने बचे वार्डों में तेजी से काम पूरा करने को कहा है।
सीएम ने कहा कि वर्ष 2009 में यात्रा के दौरान हमने खगड़िया में ननहाने और पानी पीने के क्रम में आर्सेनिक के प्रभाव को देखा था। आर्सेनिक, फ्लोराइड एवं आयरन प्रभावित वार्डों में तेजी से कार्य पूरा करें, क्योंकि इससे कई प्रकार की बीमारियों होती है। जिन वार्डो में योजना को पूरा करने में कुछ समस्याएं आ रही हैं, वहां स्थानीय लोगों का भी सहयोग लें। गया शहर में बचे हुए र्डों के कार्य को तेजी से पूरा करें। वहां गंगा का जल लोगों को शुद्ध पेयजल के रूप में उपलब्ध कराये जाने को लेकर तेजी से कार्य किया जा रहा है। बैठक में ख्यमंत्री के प्रधान सचिव दीपक कुमार, चंचल कुमार, मुख्यमंत्री के सचिव अनुपम मार एवं मुख्यमंत्री के विशेष कार्य पदाधिकारी गोपाल सिंह उपस्थित थे।