PATNA: बिहार की राजनीति में कहा जाता है कि जिसने भी नीतीश कुमार से पंगा लेने की कोशिश की वह कहीं के नहीं रहे हैं. प्रशांत किशोर और पवन वर्मा से पहले भी कई जदयू के सीनियर नेताओं को इसी तरह से बाहर का रास्ता दिखाया जा चुका है. वह आज कही के नहीं हैं.
लंबी है सूची
जदयू में यह साफ है कि राष्ट्रीय अध्यक्ष बनने से पहले भी जदयू में सिर्फ नीतीश कुमार की ही चली है और जिसने नीतीश का विरोध करना शुरू किया उनका बुरा हाल राजनीति में हुआ है. इसमें शरद यादव, उपेंद्र कुशवाहा, जीतन राम मांझी, उदय नारायण चौधरी, अली अनवर, साबिर अली, वृषिण पटेल, नरेंद्र सिंह, अनंत सिंह, शिवानंद तिवारी, दाउद अली समेत सैकड़ों नेताओं के नाम हैं जो नीतीश के साथ रहते हुए जब विरोध करना शुरू किया तो उनको ठिकाने लगा दिया गया. इसमें कई दिग्गज नेता भी थे. इनमें से कई नेताओं ने आज अपनी अलग पार्टी बना ली है, लेकिन यह सिर्फ संतोष करने भर के लिए ही है.
पवन प्रशांत का भी यही होगा हाल
उसका ताजा उदाहरण प्रशांत किशोर और पवन वर्मा हैं. अब देखना है कि पवन वर्मा और प्रशांत किशोर के साथ राजनीति में क्या होगा. दोनों क्या कोई पार्टी में शामिल होंगे या नीतीश को चुनौती देने के लिए कोई मिलकर रणनीति बनाएंगे. दोनों पिछले कई दिनों से लगातार सीएए और एनआरसी को लेकर नीतीश को घेर रहे थे. नीतीश पहले तो इसको हलके में लिए, लेकिन जब नीतीश का सब्र का बांध टूटा तो दोनों तुरंत पार्टी से निकाल दिया.