PATNA : बिहार में ऑक्सीजन की भारी किल्लत से तड़प तड़प कर लोगों के मरने के बाद भी सरकार की जुबान बंद है. मुख्यमंत्री खामोश हैं. आज सुशील मोदी ने गुहार लगायी है. सुशील मोदी ने गुहार लगायी है कि कोई बिहार को भी ऑक्सीजन का क्रायोजेनिक टैंकर उपलब्ध करा दे. सुशील मोदी ने केंद्र सरकार से भी गुहार लगायी है.
सुशील मोदी की केंद्र सरकार से गुहार
सुशील मोदी ने आज केंद्र सरकार से गुहार लगायी है. ट्वीटर पर उन्होंने लिखा है कि केंद्र सरकार को ऑक्सीजन परिवहन की जरूरतों को देखते हुए बिहार को भी कुछ क्रायोजेनिक टैंकर शीघ्र उपलब्ध कराना चाहिये. सुशील मोदी ने लिखा कि देश में ऑक्सीजन की किल्लत को दूर करने के लिए निजी क्षेत्र की कंपनियां सामने आयी हैं. ऑक्सीजन प्लांट से अस्पतालों तक ऑक्सीजन पहुंचाने के लिए आइटीसी ग्रुप 20 मीट्रिक टन की क्षमता वाले 24 क्रायोजेनिक टैंकर सिंगापुर से मँगा रहा है. टाटा समूह भी भी दो दर्जन क्रायोजेनिक टैंकर उपलब्ध करा रहा है. सुशील मोदी ने बिहार के लिए भी कुछ टैंकर मांगा है.
नीतीश की जुबान बंद
गौरतलब है कि बिहार में ऑक्सीजन की भीषण किल्लत है. बिहार के पास ऑक्सीजन तैयार करने की न अपनी क्षमता है और ना ही बाहर के ऑक्सीजन मंगवाने का कोई साधन है. लेकिन बिहार के मुख्यमंत्री नीतीश कुमार ने अब तक केंद्र सरकार से कोई मांग नहीं की है. देश के आधा दर्जन से ज्यादा राज्यों के मुख्यमंत्रियों ने अपने राज्य में ऑक्सीजन की किल्लत के बाद केंद्र के सामने फऱियाद की. बिहार के मुख्यमंत्री की ओऱ से ऐसी कोई मांग नहीं की गयी. अब सुशील मोदी मांग कर रहे हैं.
क्या होता है क्रायोजेनिक टैंक
क्रायोजेनिक टैंक का सामान्य मतलब है वैसा टैंकर जिससे ऑक्सीजन ढ़ोया जाता है. ये वो टैंकर है जिससे एक जगह से दूसरी जगह तक ऑक्सीजन पहुंचाया जाता है. हम आपको इसका पूरा डिटेल समझाते हैं.
दरअसल क्रायोजेनिक शब्द ग्रीक, लैटिन और अंग्रेजी भाषाओं के संयोजन से बना हुआ शब्द है. ग्रीक शब्द क्रिए का लैटिन भाषा में अपभ्रंश क्रायो होता है, जिसका अर्थ है बहुत ज्यादा ठंडा और अंग्रेजी में क्रायोजेनिक का मतलब है बेहद ठंडा रखने वाला. इससे समझा जा सकता है कि क्रायोजेनिक टैंक का का उपयोग उन के लिए ही होता है, जिन्हें बेहद ठंडी परिस्थितियों में रखना होता है.
लिक्विड ऑक्सीजन के ट्रांसपोर्ट के लिए भी क्रायोजेनिक टैंक की जरूरत होती है. इस टैंकर में ऑक्सीजन को माइनस 185 से माइनस 93 के टेंपरेचर में रखा जाता है. खास तौर पर बनायी गयी इस टैंक के अंदर की परत बाहरी हवा के दबाव को सहन कर लेती है. इस टैंक के जरिए 20 टन ऑक्सीजन का ट्रांसपोर्टेशन हो सकता है.