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नीतीश का सबसे बड़ा चुनावी कार्ड, विपक्ष के लिए दोतरफा सिरदर्द

1st Bihar Published by: Updated Tue, 18 Aug 2020 06:20:25 PM IST

नीतीश का सबसे बड़ा चुनावी कार्ड, विपक्ष के लिए दोतरफा सिरदर्द

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PATNA : बिहार में विधानसभा चुनाव के पहले मुख्यमंत्री नीतीश कुमार ने अपना सबसे जोरदार चुनावी कार्ड खेल दिया है. मंगलवार को हुई कैबिनेट की बैठक में नीतीश सरकार ने ना केवल नियोजित शिक्षकों के लिए सेवा शर्त नियमावली को मंजूरी दी बल्कि वेतन वृद्धि का भी ऐलान कर दिया. सरकार ने एक अप्रैल 2021 में नियोजित शिक्षकों को 22 प्रतिशत बढाकर वेतन देने की घोषणा की है.


नीतीश ने एक झटके में अपने सबसे विरोधी खेमे को तोहफा देकर खुद के साथ कर लिया है. साढ़े 3 लाख नियोजित शिक्षकों का सेवा शर्त नियमावली और वेतन वृद्धि का लाभ देने से नीतीश कुमार को इसका जबरदस्त चुनावी लाभ मिलने की उम्मीद है. हालांकि सरकार ने वेतन वृद्धि चुनाव और कोरोना वायरस के बाद अगले वित्तीय वर्ष से देने का फैसला किया है. नियोजित शिक्षकों को बढ़ा हुआ वेतन देने से राज्य सरकार के खजाने पर 2765 करोड़ रुपए का अतिरिक्त बोझ पड़ेगा.


नीतीश कुमार इस बात को भलीभांति समझते हैं कि नियोजित शिक्षकों के इस कार्ड से उन्हें चुनाव में फायदा मिल सकता है. अगर तीर निशाने पर लगा तो नीतीश की सत्ता वापसी तय है और अगर निशाना चूक भी गया तो विपक्ष के लिए नीतीश बड़ा सिरदर्द छोड़कर जायेंगे. सरकार के खजाने पर पड़ने वाला बोझ अगली सरकार की मुसीबत बढ़ाएगा.


नीतीश के इस मास्टर स्ट्रोक से विपक्षी सदमे में हैं. किसी को इस बात की उम्मीद नहीं थी कि कोरोना वायरस सरकार वेतन वृद्धि का फैसला कर सकती है. हालांकि यह फैसला भले ही तात्कालिक तौर पर लागू ना हो लेकिन नीतीश इसका क्रेडिट जरूर लेने की कोशिश करेंगे. विरोधियों को चिंता भी सता रही है कि अगर नीतीश सत्ता से चले भी गए तो चुनाव के बाद बनने वाली सरकार के माथे पर नियोजित शिक्षकों को बढ़ा हुआ वेतन देने की जवाबदेही होगी. देखा जाए तो नीतीश कुमार ने अपने एक तीर से कई निशाने साध डाले हैं.


सीएम नीतीश ने अपने इस मास्टर स्ट्रोक से न सिर्फ विरोधी खेमे को मात दी. बल्कि उन्होंने लॉज जनशक्ति पार्टी को भी एक करारा झटका दिया है. लोजपा के राष्ट्रीय अध्यक्ष चिराग पासवान लगातार नियोजित शिक्षकों के मुद्दे पर सीएम नीतीश को घेर रहे थे. बिहार फर्स्ट-बिहारी फर्स्ट यात्रा के दौरान लोजपा सुप्रीमो ने कई जिलों में नियोजित शिक्षकों से मुलाकात की थी. इस दौरान उन्होंने सरकार से इनके मुद्दे को सुलझाने की अपील की थी.