BEGUSARAI: आईएएस अधिकारी केके पाठक की गाली गलौज वाला वीडियो सामने आने के बाद बिहार में सियासत गरमा गई है। केके पाठक का वायरल वीडियो को देखने के बाद मुख्यमंत्री नीतीश कुमार ने जांच के आदेश दे दिए हैं। हालांकि बीजेपी ने कहा है कि मुख्यमंत्री की हिम्मत नहीं है कि वे ऐसे गालीबाज अधिकारी के खिलाफ कोई कार्रवाई कर सकें। उन्होंने कहा कि आज तक नीतीश अपने बिगड़े बोली वाले मंत्रियों के खिलाफ कोई कार्रवाई नहीं कर सके तो अधिकारी पर क्या कार्रवाई करेंगे। उन्होंने कहा कि जैसा राजा होता है वैसी ही उसकी प्रजा भी होती है। नीतीश कुमार की खुद की भाषा खराब है और उनके मंत्री और अधिकारी भी उन्हीं की बोली बोल रहे हैं। इस दौरान उन्होंने डिप्टी सीएम तेजस्वी यादव पर भी जमकर हमला बोला।
बेगूसराय पहुंचे नेता प्रतिपक्ष विजय कुमार सिन्हा ने केके पाठक के खिलाफ कार्रवाई के सवाल पर कहा कि जिस राज्य के राजा की ही भाषा वाचार हो और बोली पर कोई नियंत्रण नहीं हो उसके मंत्री और पदाधिकारियों की भाषा कैसे अच्छी हो सकती है। नीतीश कुमार जिस लहजे में लोगों को अपमानित करते हैं, उनके मंत्री और अधिकारी भी आज वही भाषा बोल रहे हैं। बिहार में आज घोर त्राहिमाम की स्थिति बनी हुई है। केके पाठक जैसे गालीबाज अधिकारी के खिलाफ कड़ी कार्रवाई होनी चाहिए लेकिन नीतीश कुमार में इतनी हिम्मत नहीं है कि वे कार्रवाई कर सकें। जो व्यक्ति अपने सिद्धांतों को छोड़ कुर्सी के लिए धृतराष्ट्र बना हुआ हैं और जिसके मंत्री जातीय उन्माद फैलाने के काम कर रहे हैं, जिसने करोड़ों लोगों की भावना को ठेस पहुंचाया जब उसपर कार्रवाई नहीं कर सके तो इनकी हिम्मत नहीं है कि वे किसी पदाधिकारी पर कार्रवाई कर सकें।
वहीं तेजस्वी यादव के यह कहने पर कि भाजपा और आरएसएस ने हिंदुओं को बांटने का काम किया है, इसपर विजय सिन्हा ने जोरदार हमला बोला। उन्होंने कहा कि तेजस्वी यादव जिस गोद से पलकर आए हैं और जिस तरह की रोटी उन्होंने खाई है, उनका विचार उसी तरह का हो गया है। बिहार में जंगलराज को स्थापित करने वाले लोगों की जमात में शामिल हैं। जो बिहार में जातीय उन्माद फैलाने की कोशिश कर रहे हैं। तेजस्वी यादव को अगर जानकारी लेनी है तो ले लें कि हर व्यक्ति चार वर्ण से गुजरता है। उसी वर्ण व्यवस्था में उन्माद फैलाकर ये लोग सत्ता के लिए उपयोग करते हैं। 10 प्रतिशत की बात करने वाले लोगों में हिम्मत है तो दलितों और पिछड़ों के लिए सत्ता को छोड़ दें। आज अगर दलितों और पिछड़ों को सत्ता में लाने की बारी आ जाए तो इनकी बोली बदल जाएगी।