नए साल पर मांझी की नीतीश से बड़ी मांग, कहा- गुजरात की तरह बिहार में भी परमिट पर मिले शराब

नए साल पर मांझी की नीतीश से बड़ी मांग, कहा- गुजरात की तरह बिहार में भी परमिट पर मिले शराब

PATNA: बिहार में शराबबंदी को लेकर विपक्ष से लेकर सत्ताधारी दल भी सरकार की नीतियों पर सवाल उठाते रहे हैं। ऐसे कई मौके आए जब हम के संरक्षक और बिहार के पूर्व सीएम जीतन राम मांझी ने शराबबंदी पर अपनी ही सरकार को घेरने का काम किया। नए साल के आगमन से ठीक पहले मांझी ने एक बार फिर शराबबंदी को लेकर सरकार से बड़ी मांग कर दी है। जीतनराम मांझी ने गुजरात मॉडल का हवाला देते हुए कहा है कि जिस तरह से गुजरात में परमीट के साथ लोगों को शराब मिलती है उसी तरह से बिहार में भी शराब को शुरू किया जाना चाहिए।


जीतनराम मांझी ने कहा कि बिहार में शराबबंदी से उन्हें कोई दिक्कत नहीं है लेकिन एक ही बात को बार बार कहने में ठीक नहीं लगता है। उन्होंने कहा कि वे उस घर में पैदा हुए हैं, जहां शराब बनती और बिकती थी। उस वक्त ऐसा कोई कानून नहीं था कि शराब नहीं पीना है लेकिन कभी शराब हाथ तक नहीं लगाया। कानून बना है तो अच्छी बात है लेकिन बिहार में शराबबंदी कानून को लागू करने में गड़बड़ियां हो रही हैं। शराबबंदी कानून के नाम पर पुलिस गरीबों को प्रताड़ित करती है। गांवों में पुलिस घर में घुसकर गरीब और पिछड़े तबके के लोगों को पकड़कर जेल भेज रही है।


उन्होंने कहा कि पुलिस गरीबों को तो जेल भेज दे रही है लेकिन जो बड़े लोग हैं वे पुलिस को पैसा खिलाकर छूट जाते हैं। इसी पर मुख्यमंत्री का ध्यान आकृष्ट करना चाहते हैं। कई बार इस बात को उठा चुके हैं कि शराबबंदी कानून का पालन ठीक ढंग से कराया जाए और सरकार शराबबंदी की समीक्षा कराए। गुजरात में भी शराबबंदी कानून लागू है लेकिन वहां इस तरह की बातें तो नहीं सामने आती हैं। गुजरात में परमीट के साथ लोगों को शराब मिल जाती है, बिहार में भी उसी तरह की व्यवस्था लागू होनी चाहिए।


मांझी ने कहा कि शराब नहीं मिलने के कारण ही लोग शराब बनाते हैं और जहरीली शराब पिकर मर जाते हैं। जो शराब 10 दिन में बनना चाहिए वह दो घंटे में ही बन जाती है। शराब बनाने के दौरान गलत चीजों का इस्तेमाल किया जाता है जो उसे जहरीली बना देती है। उन्होंने सरकार से मांग की है कि जिस तरह से गुजरात में परमीट के साथ लोगों को शराब मिलती है उसी तरह से बिहार में भी शराब शुरू किया जाए।


मांझी ने एक बार फिर मुख्यमंत्री नीतीश कुमार से मांग की है कि शराबबंदी के मामले में जिन गरीब लोगों को फंसाकर जेल भेजा गया है उनकी पैरवी कर सरकार जेलों से छोड़े। सौ ग्राम और दो सौ ग्राम शराब पिकर पकड़ाए लोगों जेलो में बंद कर दिया गया है लेकिन जो लोग हजारों और लाखों लीटर शराब का अवैध कारोबार कर रहे हैं उनके खिलाफ कार्रवाई नहीं हो पा रही है। मांझी ने कहा कि उन्हें विश्वास है कि मुख्यमंत्री जेलों में बंद बेगुनाह गरीबों को छुड़ाने की कोशिश जरूर करेंगे।