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नहीं रहे पीएम मोदी के 'मिस्टर भरोसेमंद, बिहार BJP के सह प्रभारी सुनील ओझा का दिल्ली में निधन

1st Bihar Published by: First Bihar Updated Wed, 29 Nov 2023 10:53:18 AM IST

नहीं रहे पीएम मोदी के 'मिस्टर भरोसेमंद, बिहार BJP के सह प्रभारी सुनील ओझा का दिल्ली में निधन

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PATNA : वरिष्ठ भाजपा नेता और बिहार भाजपा के सह प्रभारी सुनील ओझा का दिल्ली में निधन हो गया है।  कुछ महीने पहले ही उनका उत्तर प्रदेश से बिहार ट्रांसफर हुआ था। बिहार ट्रांसफर से पहले सुनील ओझा यूपी के सह प्रभारी थे। इन्हें देश के प्रधानमंत्री  मोदी का काफी करीबी बताया जाता था। निधन की सूचना से भाजपा नेताओं में शोक की लहर दौड़ गई है।


वहीं,  इनके निधन को लेकर भाजपा के बिहार भाजपा प्रदेश अध्यक्ष सम्राट चौधरी ने शोक जताते हुए कहा है कि बिहार भाजपा के सह प्रभारी सुनील ओझा जी के निधन से भाजपा ने ऐक कुशल संगठनकर्ता  को खो दिया। सुनील ओझा जी का निधन अत्यंत दुखद है,इस खबर से समस्त भाजपा परिवार शोकाकुल है, राजनैतिक क्षेत्र मे उनके योगदान को सदैव स्मरण किया जाएगा। भगवान पुण्यात्मा को अपने श्रीचरणों  मे स्थान दे और परिजनों को संबल प्रदान दे।


दरअसल, प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी के बेहद करीबी और भाजपा के वरिष्ठ नेता सुनील ओझा का बुधवार को दिल्ली में निधन हो गया है। गड़ौली धाम में राम कथा के दौरान डेंगू होने से उन्हें वाराणसी के एक प्राइवेट हॉस्पिटल में भर्ती कराया गया था, जहां हालत गंभीर होने पर उन्हें दिल्ली के हॉस्पिटल ले जाया गया। लेकिन आज सुबह उनकी मौत हो गई। 


मालूम हो कि, सुनील ओझा को पीएम मोदी का 'मिस्टर भरोसेमंद' कहा जाता था। इसकी शुरुआत 21 साल पहले राजकोट से हुई थी, जब पीएम मोदी चुनावी राजनीति में उतरे थे।  उस समय भाजपा नेता नरेंद्र मोदी पहली बार 2002 में चुनावी मैदान में उतरे थे।  उन्हें चीजों को समझने में थोड़ी कठनाई भी हो रही थी। ऐसे में मोदी को संभालने का काम उस समय के राजकोट में उनके चुनाव के प्रभारी सुनील ओझा ने की किया था। यहीं से ओझा ने अपनी सूझबूझ और मेहनत के जरिए अपनी मिस्टर भरोसेमंद की छवि गढ़ी थी। कहा जाता है कि सुनील ओझा का पीएम मोदी से इससे भी पुराना नाता है। पीएम मोदी जब संगठन महामंत्री थे, तब से ओझा का उनसे परिचय है। इतना ही नहीं, उन्हें 2014 और 2019 के लोकसभा चुनावों में वाराणसी में मोदी की जीत का अहम सूत्रधार माना गया. वह संगठन का काम देखने में माहिर माने जाते थे। पार्टी के भीतर कई लोगों ने इस सफलता के पीछे ओझा के सांगठनिक कौशल, बेहतरीन योजना और चतुराई को माना है। 


वहीं, सुनील ओझा को जब बिहार ट्रांसफर किया गया था तब सोशल मीडिया पर 21 साल पुरानी एक फोटो वायरल हो रही थी जिसमें नरेंद्र मोदी, अमित शाह, सुनील ओझा, ज्योतिंद्र मेहता और भीखूभाई दलसानिया नजर आ रहे हैं। इस फोटो के बाद राजनीतिक गलियारों में कयासों का सिलसिला शुरू हो गया था। चर्चा हुयी कि सुनील ओझा को बिहार का सह प्रभारी बनाए जाने का एक कारण भीखू दालसानिया से समन्वय भी हो सकता है। दलसानिया आरएसएस का बैकग्राउंड रखते हैं तो सुनील ओझा मूलरूप बीजेपी संगठन के खास थे।  


आपको बताते चलें कि, सुनील ओझा मूल रूप से गुजरात के भावनगर जिले के रहने वाले थे और प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी के करीबी नेताओं में से एक माने जाते थे। सुनील ओझा भावनगर दक्षिण से बीजेपी के विधायक भी रह चुके थे। ब्राह्मण समाज से आने वाले ओझा बेहद जमीनी नेता थे। सुनील ओझा को बिहार का सह प्रभारी बनाने के बाद राजनीतिक गलियारों में हलचल तेज हो गई थी।