GAYA: अपनी पत्नी को खो देने के बाद बिहार के एक मजदूर ने पहाड़ के बीच से रास्ता बनाने का प्रण लिया। उसके पास न ताकत थी और न पैसा लेकिन अपने जुनून, जोश और जिद की बदौलत उसने इस असंभव काम को संभव बना दिया। जी हां हम बात माउंटेन मैन दशरथ मांझी की कर रहे हैं। आज भले ही वो हमारे बीच नहीं हैं लेकिन आज भी हम उन्हें उनके कर्मों की वजह से याद कर रहे हैं।माउंटेन मैन दशरथ मांझी को अब भारत रत्न दिये जाने की मांग की जा रही है। हालांकि कि यह मांग काफी पुरानी है जो आजतक पूरा नहीं हो सका है। इसी मांग को लेकर 13 सदस्यीय टीम गया से दिल्ली के लिए पैदल रवाना हुई है।
बिहार के पूर्व मुख्यमंत्री जीतनराम मांझी ने पदयात्रा में शामिल सदस्यों को टोपी और माला पहनाकर सम्मानित किया। इस मौके पर जीतनराम मांझी ने कहा कि मुख्यमंत्री नीतीश कुमार ने अपनी कुर्सी पर बाबा दशरथ मांझी को बिठाकर सम्मान दिया था। अब उन्हें भारत रत्न सम्मान से नवाजा जाये यही हमारी मांग है। गया के गेहलौर घाटी से रविवार को 13 सदस्यीय टीम पैदल दिल्ली के लिए रवाना हुई।
टीम के सदस्यों का कहना था कि जिस तरह बाबा दशरथ मांझी अपने जीवन काल में पैदल दिल्ली गये थे उसी तरह आज हम सभी भी दिल्ली के लिए रवाना हो रहे हैं। दिल्ली पहुंचकर हमारी टीम मोदी सरकार से दशरथ मांझी को भारत रत्न दिये जाने की मांग करेंगे।
जीतन राम मांझी ने कहा कि दशरथ मांझी को भारत रत्न दिये जाने की मांग काफी दिनों से हो रही है लेकिन कोई सुनने को तैयार नहीं है। इसलिए सत्येन्द्र मांझी के नेतृत्व में 13 सदस्यीय टीम पैदल दिल्ली के लिए रवाना हुई है। जीतन राम मांझी ने कहा कि पदयात्रा में किसी तरह की दिक्कत होगी तो उसके लिए हम हर संभव तैयार रहेंगे।