PATNA: मध्य प्रदेश में बीजेपी ने मोहन यादव को मुख्यमंत्री बना कर बिहार की सियासत में बेचैनी फैला दी है. मध्य प्रदेश का असर बिहार में दिख रहा है. बीजेपी के हर फैसले पर प्रतिक्रिया देने वाले लालू यादव औऱ उनके बेटे तेजस्वी यादव ने इस मामले में जुबान बंद कर लिया है. बेचैनी जेडीयू में फैली है. हाल ये है कि जेडीयू के नेता नीतीश कुमार की नहीं लालू यादव का गुणगान करने में लग गये हैं. बिहार की राजनीति में सवाल ये उठ रहा है कि क्या मध्य प्रदेश के मोहन बिहार के तेजस्वी का तेज कम कर देंगे.
जेडीयू में तिलमिलाहट
बीजेपी ने मध्य प्रदेश में मोहन यादव को मुख्यमंत्री बनाया है. लेकिन बेचैनी बिहार में जेडीयू में फैल गयी. सोमवार की शाम मोहन यादव को सीएम बनाने का फैसला हुआ, मंगलवार की सुबह जेडीयू के प्रवक्ता लालू यादव का गुणगान करते हुए बयानबाजी पर उतर गये. जेडीयू के मुख्य प्रवक्ता नीरज कुमार ने बयान जारी किया है-मोहन यादव के सीएम बनाने का बिहार में कोई असर नहीं पड़ने वाला है. जेडीयू के मुख्य प्रवक्ता ने कहा-बिहार में तो लालू यादव सबसे बड़े फैक्टर हैं. लालू यादव का अपना जनाधार है.
जेडीयू को यदुवंशी याद आये
नीरज कुमार ने दावा किया कि बिहार में जातीय गणना के कारण बीजेपी को मध्य प्रदेश में मोहन यादव को सीएम बनाना पड़ा. जातीय गणना से बीजेपी में बेचैनी है. दवाब में उसे यादव जाति से आने वाले व्यक्ति को मध्य प्रदेश में सीएम बनाना पड़ा है. जेडीयू के प्रवक्ता ने यदुवंशियों की दुहाई भी थी. उन्होंने कहा-मोहन यादव ने माता सीता के बारे में आपत्तिजनक बयान दिया था. उनके बयान को यदुवंशी भूलेंगे नहीं, इसलिए मोहन यादव का कोई फैक्टर बिहार में चलने वाला नहीं है.
महागठबंधन में घबराहट क्यों?
सवाल ये उठ रहा है कि मोहन यादव से बिहार के महागठबंधन में घबराहट क्यों है. दरअसल, बिहार की मौजूदा राजनीतिक परिस्थिति में सिर्फ यादव जाति का वोट बैंक भी ऐसा वोट बैंक है जो पूरी तरह महागठबंधन के साथ है. इस जाति की तादाद भी बिहार में सबसे ज्यादा है. महागठबंधन के समीकरण की दूसरा आधार मुसलमानों का वोट है. लेकिन ये वोट बैंक उस मजबूती से महागठबंधन के साथ नहीं खड़ा दिखता, जिस मजबूती से यादव खड़े हैं. मुसलमान वोटर कई मौकों पर ओवैसी की पार्टी का साथ देकर राजद, जेडीयू और कांग्रेस को गच्चा दे चुके हैं.
ऐसे में अगर मोहन यादव के सहारे बीजेपी ने बिहार के यादवों में थोड़ी बहुत भी सेंधमारी कर ली तो फिर अगले लोकसभा चुनाव में महागठबंधन को भारी झटका लग सकता है. वैसे भी वोटर अब लोकसभा और विधानसभा में अलग-अलग तरीके से वोटिंग करने लगे हैं. यादव वोटरों को भी मालूम है कि 2024 के लोकसभा चुनाव में उन्हें लालू यादव या तेजस्वी यादव को प्रधानमंत्री बनाने के लिए वोट नहीं करना है. मोहन यादव को सीएम बनाये जाने के बाद नरेंद्र मोदी को लेकर यादव वोटरों का रूख नरम पड़ सकता है. उसके बाद राजद,जेडीयू और कांग्रेस के साथ वाम दलों के गठबंधन को बड़ा झटका लग सकता है.
इसके कारण ही राजद, जेडीयू से लेकर कांग्रेस तक में बेचैनी फैली है. दरअसल, 2019 के लोकसभा चुनाव में ही कई जगहों से ये रिपोर्ट आयी थी कि यादवों ने नरेंद्र मोदी के पक्ष में वोट कर दिया है. डर इस बात का है कि 2024 में उसकी पुनरावृति न हो जाये.