PATNA : प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी की महत्वकांक्षी योजना आयुष्मान भारत का हाल बिहार में बेहद बुरा है. केंद्र सरकार की आयुष्मान भारत योजना बिहार में औंधे मुंह गिर गई है. इसका खुलासा केंद्र सरकार की तरफ से संसद में दिए गए आंकड़ों से हुआ है. विदेश में कोरोना की पहली और दूसरी लहर के दौरान जहां 8 लाख 29 हजार आयुष्मान कार्डधारियों ने इलाज कराया. वहीं बिहार में केवल 22 लोग ही इस योजना के तहत इलाज करा पाए.
गरीबों के लिए ही आयुष्मान कार्ड बनाया गया था जिससे उन्हें मुफ्त इलाज मिल सके, लेकिन कोरोना काल में गरीबों के लिए कार्ड भी नहीं काम आया. केंद्र सरकार की इस महत्वकांक्षी योजना को लेकर दावे तो बड़े-बड़े किए गए, लेकिन बिहार में इसका हाल कहीं से भी संतोषजनक नहीं है. कार्ड होने के बाद भी मरीजों को इसका लाभ नहीं मिल पा रहा है.
अगर दक्षिण भारत के राज्यों से बिहार की तुलना करें तो स्वास्थ्य सेवाओं की सूबे में भारी कमी है बावजूद 'आयुष्मान' का लाभ लोगों को नहीं मिल रहा है. 'आयुष्मान भारत योजना' की शुरुआत गरीबों को मुफ्त में 5 लाख का इलाज मुहैया कराने के लिए किया गया था. इसमें सभी आयुष्मान कार्ड धारकों का हर साल पांच लाख तक का इलाज मुफ्त में होता है.