मेघालय के गवर्नर सत्यपाल मलिक बोले: किसानों की मांग नहीं मानी गयी तो यह सरकार दोबारा नहीं आएगी

मेघालय के गवर्नर सत्यपाल मलिक बोले: किसानों की मांग नहीं मानी गयी तो यह सरकार दोबारा नहीं आएगी

DESK: केंद्र सरकार के तीन नए कृषि कानूनों के खिलाफ सालभर से किसानों का आंदोलन जारी है। किसान संगठनों के इस आंदोलन को लेकर मेघालय के राज्यपाल सत्यपाल मलिक ने बड़ी बात कही है। उन्होंने कहा कि सरकार का मिजाज सातवें आसमान पर होता है। उन्हें यह नहीं दिखता लोगों की तकलीफ कितनी है लेकिन वक्त आता है तो उनको देखना भी पड़ता है और सुनना भी पड़ता है। राज्यपाल सत्यपाल मलिक ने कहा कि यदि किसानों की मांगे नहीं मानी गयी तो यह सरकार दोबारा नहीं आएगी। 


मेघालय के राज्यपाल सत्यपाल मलिक ने कृषि कानूनों एवं एमएसपी को लेकर कहा कि यदि सरकार एक कानून के माध्यम से एमएसपी गारंटी प्रदान करती है तो इस मुद्दे को हल किया जा सकता है। कृषि कानूनों को लेकर सरकार पर सवाल उठाते हुए कहा कि एमएसपी की ही मांग है तो केंद्र इसे क्यों नहीं पूरा कर रहे हैं? यदि एक ही बात है तो आप इसे निपटाएं। किसान एमएसपी से कम पर समझौता नहीं करेंगे।


राज्यपाल ने कहा कि मुझे लगता है कि एमएसपी वाला कानून बनने के बाद निश्चित ही किसानों का मुद्दा हल हो जाएगा। उन्होंने कहा कि कहीं-कहीं किसानों की हालत बेहद खराब है। बहुत से किसान 10 माह से घर बार छोड़कर आंदोलन कर रहे हैं। खेती का काम छोड़कर वे धरनास्थल पर बैठे हैं। 


राज्‍यपाल सत्‍यपाल मलिक ने कहा है कि यदि केंद्र सरकार किसानों को कानून के मुताबिक न्‍यूनतम समर्थन मूल्‍य देती है तो वे कृषि कानून के खिलाफ विरोध प्रदर्शन करने वाले किसानों का मसला सुलझा लेंगे। किसान न्‍यूनतम समर्थन मूल्‍य से कम पर किसी भी सूरत में राजी नहीं होने वाले हैं। 


किसान चाहते हैं कि इसको कानून बनाया जाए। ये वो एक अकेली मांग है जिसकी जरूरत किसानों को है। यदि केंद्र सरकार इसको देने पर राजी हो जाती है तो मामला भी सुलझ जाएगा। उन्‍होंने केंद्र पर निशाना साधा और कहा कि आखिर केंद्र इसको देने से पीछे क्‍यों हट रही है। किसान इससे कम में मानने वाले नहीं हैं।


इससे पहले राज्यपाल ने रविवार को झुंझुनूं यात्रा के दौरान कहा कि मैं तो किसानों के मुद्दों को लेकर केंद्र सरकार से लड़ाई भी लड़ चुका हूं। एमएसपी के मुद्दे पर किसानों की सुनवाई होनी चाहिए। एमएसपी जब लागू हो जाएगा तो किसानों का आंदोलन अपने आप समाप्त हो जाएगा। काफी समय से किसानों पर ज्यादती हो रही है। अगर किसानों की बात नहीं मानी जाती है तो सरकार के लिए भी मुश्किल हो सकती है।