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मौसम के बदलते मिजाज से बच्चे हो रहे वायरल इंफेक्शन के शिकार, NMCH में एक बेड पर दो बच्चों का हो रहा इलाज

1st Bihar Published by: BADAL ROHAN Updated Tue, 07 Sep 2021 04:11:40 PM IST

मौसम के बदलते मिजाज से बच्चे हो रहे वायरल इंफेक्शन के शिकार, NMCH में एक बेड पर दो बच्चों का हो रहा इलाज

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PATNA: मौसम के मिजाज में लगातार बदलाव हो रहा है। कभी तेज धूप तो कभी तेज बारिश हो रही है। जिसकी वजह से वातावरण में नमी बनी रहती है। मौसम में हो रहे इसी परिवर्तन के चलते लोग खासकर छोटे बच्चे बीमार पड़ रहे हैं। मौसम परिवर्तन के कारण बच्चे सर्दी, खांसी और बुखार की चपेट में आ रहे हैं।  


वायरल इन्फेक्शन के कारण ज्यादातर बच्चे बीमार पड़ रहे हैं। पटना के दूसरे सबसे बड़े अस्पताल NMCH में बीमार बच्चों की संख्या बढ़ने से अस्पताल की व्यवस्था चरमरा गई है। NMCH में लगातार आ रहे बीमार बच्चों के कारण अस्पताल में बेड की कमी दिख रही है।


एनएमसीएच में बच्चा वार्ड ,नीकु, पीकू और जेनरल वार्ड मिलाकर कुल 84 बेड हैं। लेकिन अचानक मरीजो की संख्या में बढ़ोतरी के कारण बच्चा वार्ड में कुल 87 बच्चे एडमिट हैं। जिसके कारण एक बेड पर दो- दो बच्चों को रखा जा रहा है।


अस्पताल की स्थिति को देख बच्चों के परिजन भी परेशान हैं। उनका कहना है कि एक बेड पर दो बच्चों का इलाज करने से बच्चों में अन्य बीमारियों का भी खतरा बना रहता है। अभी तो NMCH में बेड की कमी हो रही है ऐसे के आने वाले कोरोना का तीसरी लहर में बीमार बच्चों का क्या होगा।


NMCH अधीक्षक डॉ० बिनोद सिंह ने बताया कि अभी बच्चों में निमोनिया, बुखार, खांसी, सर्दी के मरीज ज्यादा है जो इंफ्लेनजा के लक्षण है। NMCH में इन सभी बीमारियों से निपटने की पूरी व्यवस्था है लेकिन बेड से ज्यादा मरीज पहुंच रहे है। जिसके कारण बेड की कमी देखी जा रही है। 


उन्होंने कहा कि इन मरीजों को कोरोना से जोड़ कर नहीं देखा जाना चाहिए इसका मौसम भी एक कारण है। उन्होंने बताया कि वायरल फीवर से बहुत सारे बच्चे बीमार हो रहे है। आमतौर पर सर्दी,खासी और बुखार हो रहा है। अस्पताल में बच्चों के लिए 84 बेड है लेकिन 87 बच्चे भर्ती हैं। 


वही अस्पताल में अन्य मरीजों के लिए 761 बेड है लेकिन भर्ती मरीजों की संख्या 836 है। एनएमसीएच में इन दिनों मरीजों के सामने बेड कम पड़ गये हैं। बेड नहीं रहने के कारण मरीजों को एडमिट करने में भी समस्या हो रही है। एक बेड पर दो-दो मरीजों को रखना पड़ रहा है।