DESK : बिहार के पूर्व मुख्यमंत्री और हम सुप्रीमों जीतन राम मांझी के बयान को लेकर बिहार कांग्रेस बंट गई है. बिहार कांग्रेस के प्रदेश अध्यक्ष मदन मोहन झा ने मांझी से बयान की कड़ी आलोचना की थी. मांझी के बयान को लेकर उन्होंने कहा था कि मांझी को सार्वजनिक रूप से माफ़ी मांगनी चाहिए। उन्होंने यह भी कहा था कि मैं पहले ब्राह्मण हूँ, बाद में कांग्रेसी. वहीं अब प्रदेश अध्यक्ष के बयानों से अलग कांग्रेस के वरिष्ठ नेता डॉ. शकील अहमद खान ने कहा है कि कांग्रेस का प्रदेश अध्यक्ष किसी एक जाति का प्रतिनिधित्व नहीं करता.
इस संबंध में डॉक्टर खान ने कहा कि पिछले कुछ दिनों से जीतन राम मांझी के बयान पर प्रतिक्रियाएं आ रही हैं. यह बहस बहुत जरूरी है. उन्होंने कहा कि मैं समझता हूं कि दलित समाज उत्पीड़न का शिकार रहा है. दलित समाज को अपनी लड़ाई खुद लड़नी पड़ती है. हजारों सालों से यह समाज प्रताड़ित होता रहा है. भीम राव अंबेडकर को भी इस प्रताड़ना से गुजरना पड़ा, लेकिन कांग्रेस ने उन्हें संविधान सभा का अध्यक्ष बनाया था. कानून बनने के बावजूद दलित समाज प्रताड़ित है. मांझी ने उसी दर्द को सबके सामने रखा है. डॉक्टर खान ने कहा कि मैं बिहार के मुख्यमंत्री से अपील करूंगा कि किसी पूर्व मुख्यमंत्री की जीभ काटने की बात कही जा रही है. यह तालिबानी फरमान बिहार में नहीं चलेगा.
उन्होंने यह भी कहा कि इस संबंध में कांग्रेस प्रदेश अध्यक्ष का भी बयान सामने आया है. कांग्रेस प्रदेश अध्यक्ष किसी एक जाति के नहीं होते हैं. दलितों और निरीह लोगों के पक्ष में कांग्रेस को रहना चाहिए और जुबान काटने की धमकी देने वाले को सलाखों के पीछे करना चाहिए.