महागठबंधन ने नीतीश सरकार के सामने रखा 15 सूत्री एजेंडा, कहा.. महामारी में भरोसा खो चुकी सरकार अब पारदर्शी बने

महागठबंधन ने नीतीश सरकार के सामने रखा 15 सूत्री एजेंडा, कहा.. महामारी में भरोसा खो चुकी सरकार अब पारदर्शी बने

PATNA : नेता प्रतिपक्ष तेजस्वी यादव के नेतृत्व में महागठबंधन के नेताओं की 3 घंटे तक चली वर्चुअल मीटिंग खत्म हो गई है. इस बैठक के बाद महागठबंधन ने संयुक्त रूप से नीतीश सरकार के सामने 15 सूत्री एजेंडा रखा है. सरकार को अलग-अलग बिंदुओं पर महागठबंधन में शामिल राजनीतिक दलों की तरफ से सुझाव और प्रस्ताव दिए गए हैं. महागठबंधन ने नीतीश सरकार को यह बता दिया है कि महामारी के इस दौर में उसने जनता के बीच अपना भरोसा खो दिया है. ऐसे में जरूरी हो जाता है कि आगे आपदा के बीच सरकार कोई भी फैसला पारदर्शी तरीके से लें. 


नेता प्रतिपक्ष तेजस्वी यादव के साथ कांग्रेस के प्रदेश अध्यक्ष और विधान मंडल दल के नेता के अलावे वाम दलों के नेता भी इस बैठक में शामिल हुए. बैठक में आरजेडी के कई वरिष्ठ नेता भी मौजूद थे. इस दौरान सबने एक सुर में यह बात कही कि कोरोना वायरस से दूसरी लहर के बीच सरकार नीतिगत फैसले लेने में असमर्थ रही, जिसके कारण बिहार के करोड़ों लोगों का जीवन संकट में है. महागठबंधन में शामिल नेताओं का एक सुर में यह मानना था कि मुख्यमंत्री नीतीश कुमार अपने नौकरशाहों के द्वारा दिखाई गई पेपर प्लानिंग को जमीनी सच मान बैठे और जिसका नतीजा यह हुआ कि बिहार आज सबसे बुरी स्थितियों का सामना कर रहा है. 


महागठबंधन के नेताओं का कहना है कि बिहार में ना तो डॉक्टर और मेडिकल स्टाफ की बहाली की गई और ना ही कोरोना वायरस के बाद जारी सतर्कता को देखते हुए स्वास्थ्य सेवाओं को ही दूर किया गया. राज्य के अंदर आज भी टीकाकरण अभियान बेहद सुस्त चल रहा है. साथ ही साथ ग्रामीण इलाकों में अब तक के स्वास्थ्य सुविधाएं नहीं पहुंच पाई है विधायक के फंड की राशि में कटौती की वजह विधायकों के परामर्श से स्वास्थ्य सेवा के लिए उसे खर्च कराने की जरूरत महागठबंधन ने बताई है.


आइए आपको बताते हैं कि महागठबंधन की वर्चुअल मीटिंग के बाद सरकार के सामने कौन से 15 एजेंडे रखे गए हैं


1. कोरोना की पहली लहर के प्रारंभ से लेकर नीतीश कुमार के नेतृत्व में बिहार सरकार महत्वपूर्ण और आवश्यक नीतिगत निर्णय लेने में असमर्थ रही जिसके कारण आज बिहार के करोड़ों लोगों का जीवन संकट में है. अत्यंत प्रिय नेताओं व नौकरशाहों द्वारा दिखाए गए नकली गुलाबी फाइलों को ही मुख्यमंत्री सच मान बैठे और वास्तविक ज़मीनी हक़ीक़तों को नकार दिए जिससे आज बिहार विषम परिस्थिति से जूझ रहा है।


2. कोरोना की पहली लहर ने जो चेतावनी दी थी उसके आलोक में डॉक्टर्स, नर्सेज, पारा-मेडिक स्टाफ और सफाई कर्मचारियों की लाखों रिक्तियों को भरने की बजाय मुख्यमंत्रीजी ‘आंकड़ा प्रबंधन’ में लगे रहे। हम सरकार से मांग करते हैं कि एक प्रतिबद्ध ड्राइव चलाकर हर जिलें में डॉक्टर्स, नर्सेज, पारा-मेडिक स्टाफ और सफाई कर्मचारियों के रिक्त पद तीन हफ़्तों के अन्दर भरे जाएँ।


3.  PM-CARES फंड से प्रदत्त वेंटिलेटर्स के बारे में मिल रही जानकारी अत्यंत चिंता का विषय है। अधिकतर मशीन ख़राब हैं और जो काम करने लायक़ हैं बिहार के विभिन्न ज़िलों से इन वेंटिलेटर्स को वापस मंगवा कर पटना के निजी अस्पतालों को सौंपा जा रहा है।एक संवेदनशील सरकार को फौरी तौर पर पर विभिन्न ज़िलों में वेंटिलेटर चलाने वाले टेक्नीशियन की नियुक्ति करनी चाहिए थी ताकि दूर-दराज़ के इलाकों के लोगों की जान बचायी जा सके। हम सरकार से इस बिंदु पर अविलंब श्वेत पत्र की मांग करते हैं और इस फैसले की पुनः समीक्षा की मांग करते हैं। सरकारी अस्पतालों को सुदृढ़ करने की बजाय निजी अस्पतालों को ऐसे जीवन रक्षक उपकरणों को देना प्रथम दृष्टया भ्रष्टाचार को बढ़ावा देना प्रतीत होता है।


4.  देश के अन्य राज्यों की तुलना में बिहार Vaccination(टीकाकरण) के मामले में सबसे निचले पायदान पर है जबकि विशेषज्ञ ये मानते हैं कि ज़ल्द से ज़ल्द अधिकांश आबादी का टीकाकरण ही कोरोना संकट से हमें निकाल सकता है। जहां बाकी राज्य अपने नागरिकों के बचाव के लिए केंद्र से अधिक से अधिक वैक्सीन की मांग कर रहे हैं और मजबूती से अपना पक्ष रख रहे हैं वहां मुख्यमंत्री और उनकी सरकार की चुप्पी बिहारवासियों के साथ विश्वासघात की श्रेणी में आता है। ये कौन सा डबल इंजन है जहाँ डर और खौफ के मारे नीतीश जी पूरे बिहार को मौत के अंधे कुँए में धकेल रहे हैं।हम सरकार से मांग करते हैं कि अविलम्ब इस जड़ता को त्यागते हुए चिन्हित आयुवर्ग को टीका उपलब्ध कराये। ज़रूरत के अनुसार विदेशों से वैक्सीन आयात करने पर भी पहलकदमी की जाए क्योंकि वैक्सीन को केंद्र के माध्यम से भी राज्य को ख़रीदना ही है तो वैक्सीन ख़रीद की सारी विकल्पों पर विचार करना चाहिए और भेदभाव पक्षपात वाली केंद्र सरकार पर निर्भर नहीं रहना चाहिए।


5.  ग्रामीण इलाकों की जटिलता के मद्देनजर टीकाकरण के लिए पंजीकरण और आधार कार्ड की अनिवार्यता को खत्म करते हुए स्कूल, वार्ड और आंगनवाडी केन्द्रों के माध्यम से वैक्सीनेशन सुनिश्चित किया जाए। Mobile Vaccination Centre (चलन्त टीका केंद्र) की शुरुआत करनी चाहिए जिससे कि संक्रमण का खतरा भी कम होगा और टीकाकरण में तेजी आएगी।


6.  हमारा मानना है विधान मंडल सदस्यों से मुख्यमंत्री क्षेत्र विकास योजना मद से 2021-22 से ली गयी 2 करोड़ की राशि का खर्च मुख्यमंत्री जी और उनके चहेते नौकरशाहों की मनमर्जी से ना किया जाए। चूँकि विधायक क्षेत्र विशेष का प्रतिनिधित्व करते हैं अतः इस राशि को उनके क्षेत्र में चिकित्सीय कमियों और जरूरतों की पूर्ति के लिए किया जाए। क्षेत्र विशेष की ज़रूरत को चिन्हित करने से लेकर आवंटन तक की पूरी प्रक्रिया में विधायकों/पार्षदों की सहभागिता और उनकी सलाह को सर्वोपरी माना जाए। हम मुख्यमंत्री जी से इस सम्बन्ध में फ़ौरन नीतिगत निर्णय निर्गत करने की मांग करते हैं।


7.  सरकारी आंकड़े ऑक्सीजन आवंटन की सच्चाई से मीलों  दूर हैं। बिहार के विभिन्न ज़िलों खास तौर पर दूर-दराज के इलाकों में ज़रूरत मंद लोगों को ऑक्सीजन उपलब्ध नहीं हो पा रहा है। मरीजों के रिश्तेदार और सगे सम्बन्धी ऑक्सीजन के लिए दर दर भटक रहे हैं। अपने घरों में इलाजरत मरीजों की स्थिति तो और भी भयावह है।क्या सरकार ने ऐसे मरीजों के लिए ऑक्सीजन सिलिंडर या ऑक्सीजन Concentrator  मुहैया कराने की दिशा में कोई कदम उठाया है? हम मांग करते है सरकार फौरी तौर पर अद्यतन स्थिति से अवगत कराते हुए सार्थक कदम उठाये।


8.  हमारे बार बार आग्रह और अपील के बावजूद कोरोना जांच के मामले में बिहार फिसड्डी है।हम सरकार को आगाह करते हैं कि आंकड़ों को छुपाने और ढकने की बजाय ईमानदारी से जांच का दायरा बढ़ाये। ये दुर्भाग्यपूर्ण है कि अभी भी RT-PCR test बड़े पैमाने पर ना कर के Antigen test या Trunet test किया जा रहा है। एक बड़ी आबादी की जिंदगी को संकट में डालने के बदले जांच को सघन करते हुए आंकड़े बिना छेड़-छाड़ के सार्वजनिक और पारदर्शी किये जाने चाहिए। 


9. इस पूरे कोरोना काल में सरकार के तरफ़ से Communication Gap (संवादहीनता) प्रमुख समस्या बनकर उभरी है। मरीज़ों को दवाई,बेड,ऑक्सीजन के लिए इधर उधर भागते हुए मदद की गुहार लगाते देखा है और विलंब होने के वजह से सैकड़ों जाने गयी हैं जो शायद बचायी जा सकती थी। सरकार की उदासीनता के कारण कालाबाज़ारी बढ़ी और कई गुना अधिक क़ीमतों पर परिजन उन दवाओं को खरीदने पर मजबूर हुए। सरकार को इन सब चीज़ों का विशेष ध्यान रखते हुए रियल टाइम अप्डेट और सप्लाई सुनिश्चित करनी चाहिए।


10.  हम जानना चाहते हैं कि बीते 15 वर्षों में MP/MLA/MLC के फंड से कितने एम्बुलेंस खरीदे गए और किन किन क्षेत्रों/जिले में ये उपलब्ध है। हमारी मांग है कि इस सन्दर्भ में एक सप्ताह के अन्दर Status रिपोर्ट सार्वजनिक रूप से उपलब्ध कराया जाए।


11. बिहार से छोटे राज्यों जहाँ आबादी और संक्रमण भी कम है उनको बिहार से अधिक आवंटन हो रहा है। मुख्यमंत्री को केंद्र सरकार से ऑक्सीजन, Remdesivir जैसी दवाइयाँ और अन्य जीवन रक्षक उपकरणों को आबादी और संक्रमण के अनुपात में आवंटन और सप्लाई की पुरजोर माँग करनी चाहिये। विदेशों से आए मेडिकल सहायता बिहार को मिले इसकी भी माँग होनी चाहिए।


12. हम लोगों ने 17 अप्रैल को राज्यपाल महोदय के साथ हुए सर्वदलीय बैठक में सुझाव दिया था कि कोरोना प्रबंधन के लिए एक Expert कमेटी का गठन हो जिसमें सभी राजनीतिक दलों के प्रतिनिधि शामिल हों। आज पुनः हम उस माँग को दोहराते हुए इसकी अविलंब गठन की माँग करते हैं जहाँ सुझावों और कोविड की अद्धतन स्थिति की जानकारी साझा हो सके।


13. सरकार सभी अधिकारियों विशेषकर ज़िलों के डीएम/एसपी को निर्देशित करे की विधायकों/सांसदों और अन्य जनप्रतिनिधियों का फ़ोन उठायें और उनके समस्याओं का संज्ञान लेते हुए त्वरित कारवाई करें।


14. प्रधानमंत्री के चीफ वैज्ञानिक सलाहकार समेत कई विशेषज्ञों का मानना है कि कोरोना का Third Wave ( तीसरा लहर) संभावित है। सरकार को इसके मद्देनज़र विशेष तैयारी करनी चाहिए ताकि इस बार की तरह स्थिति विस्फोटक ना बने।


15. बिना कोविड जाँच के अभाव में मरने वाले मरीज़ों के परिजनों को भी 4 लाख अनुग्रह राशि प्रदान किया जाए।