PATNA : बिहार की शाही लीची का जलवा सात समंदर पार लंदन में भी देखने को मिल रहा है. लंदन में लीची के शौकीनों ने आज मुजफ्फरपुर के किसानों से सीधे लीची खरीदी. इलेक्ट्रॉनिक्स और सूचना प्रदधौगिकी मंत्रालय के कॉमन सर्विस सेंटर के माध्यम से यह सबकुछ संभव हो पाया. 9 जून की सुबह बिहार की प्रसिद्द लीची के व्यापार के लिए ऐतिसाहिक सुबह बन के आई.
पहली बार मुजफ्फरपुर के एक लीची किसान ने अपने बगीचे की लीची को लंदन के ख़रीददार को बेचा. कॉमन सर्विस सेण्टर के किसान ई-मार्ट नाम के डिजिटल क्रय विक्रय प्लेटफॉर्म पर यह संभव हो पाया. भारत सरकार के इलेक्ट्रॉनिक्स व सूचना प्रौद्योगिकी मंत्रालय की संस्था कॉमन सर्विस सेंटर ने कोरोना महामारी के समय में किसानों को अपनी फसल का उचित मूल्य उपलब्ध करवाने के लिए और किसानों को मंडी में आ कर अपने फसल को बेचने की बाध्यता से मुक्ति दिलाने के लिए एक फसल क्रय विक्रय के डिजिटल प्लेटफॉर्म तैयार किया है. ब्लॉकचेन टेक्नोलॉजी पर चलने वाले इस प्लेटफार्म का निर्माण पुणे (महाराष्ट्र) के एक स्टार्टअप एग्री10 एक्स ने किया है. इसके माध्यम से किसान कॉमन सर्विस सेण्टर पर आ कर देश भर के खरीददारों को अपनी फसल बेच सकते हैं और उनकी फसल को ले जाने के लिए ट्रांसपोर्ट की सुविधा भी उपलब्ध करायी जाती है.
मुजफ्फरपुर के लीची किसान सुनील कुमार ने अपने नजदीकी कॉमन सर्विस सेण्टर पर जा कर इस डिजिटल क्रय-विक्रय प्लेटफॉर्म पर अपना रजिस्ट्रेशन करवा कर लीची के फसल की जानकारी डाली थी, जिसे लन्दन में बैठे ख़रीददार ने देखा और इसे खरीदने में अपनी रूचि दिखाई. फिर किसान और खरीददार में दाम तय होने के बाद खरीददार के भारत में स्थित लोगों के मुज़फ्फरपुर जा कर लीची की गुणवत्ता का मुआयना किया और अपनी रिपोर्ट भेजी। जब दोनों पक्षों में सहमति बन गई तो खरीददार ने किसान के खाते में आधा पैसा एडवांस के रूप में ट्रांसफर कर दिया. इसके बाद आज सुबह लीची को तोड़ने का काम शुरू किया गया. वहां बगीचे में भी खरीददार के प्रतिनिधि के सामने लीची तोड़ने, साफ़ करने और डब्बों में पैक करने का काम संपन्न किया गया. इसके बाद वहीं से गाड़ियों में भर कर इसे पटना हवाई अड्डे के लिए रवाना कर दिया गया. पटना से ये लीची बेंगलुरु होते हुए कल तक लंदन पहुंच जाएगी. इस पूरी प्रक्रिया में लगे मजदूर की मजदूरी, पैकिंग, माल ढुलाई और हवाई जहाज का खर्च लंदन के खरीददार ने ही वहन किया, न कि किसान ने वहन किया. किसान सुनील कुमार को भी इस माध्यम से लीची बेचने से अपनी फसल का बहुत अच्छा दाम मिल गया.
प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी की सरकार ने देश में किसानों को फसल का उचित मूल्य दिलवाने के लिए मंडी में फसल बेचने की बाध्यता को समाप्त करने का फैसला लिया है और डिजिटल इंडिया अभियान के तहत कॉमन सर्विस सेंटर के द्वारा किसान अपनी फसल अब देश विदेश के किसी भी खरीददार को बेच सकते हैं. कॉमन सर्विस सेण्टर ने इस के लिए एक डिजिटल प्लेटफॉर्म बनाया है, जिसको अभी पाइलेट के तौर पर बिहार के पटना और मुजफ्फरपुर जिले में शुरू किया गया है. इस के तहत किसान कॉमन सर्विस सेंटर पर जा कर अपने आप को रजिस्टर करवा कर अपनी फसल का विवरण डिजिटल प्लेटफॉर्म पर डाल देता है, जिसकी जानकारी देश भर के सभी खरीददारों को मिल जाती है.
जो भी खरीददार फसल के लिए किसान को सबसे अधिक दाम दे सकता है, किसान उसे वो फसल बेचने के लिए स्वतंत्र होता है. जब किसान और खरीददार के बीच बात तय हो जाती है तो फसल के जांच के एक्सपर्ट को किसान के पास भेजा जाता है. कॉमन सर्विस सेण्टर के संचालक भी फसल की जांच में एक्सपर्ट का सहयोग करते हैं. एक्सपर्ट की रिपोर्ट वेबसाइट पर डालने के बाद किसान के खाते में खरीददार आधा पैसा एडवांस के रूप में भेज देता है. फिर इस डिजिटल प्लेटफॉर्म से जुड़े ट्रक टेम्पो वाले लोगों को सूचना दी जाती है, जो फसल को किसान के पास से उठा कर खरीददार के पास तक पहुंचा देते हैं. इस पूरी प्रक्रिया में ट्रांसपोर्ट का खर्च खरीददार को ही वहन करना पड़ता है जिस से किसान का मुनाफा और बढ़ जाता है. जैसे ही ट्रांसपोर्टर फसल को गाड़ी में लादने की सूचना डिजिटल प्लेटफॉर्म को देता है, वैसे ही खरीददार बचा हुआ पेमेंट किसान के बैंक खाते में भेज देता है. इस के बाद कॉमन सर्विस सेण्टर के संचालक को भी कुल राशि का एक प्रतिशत कमीशन के तौर पर दिया जाता है. इस प्रकार ये पूरी प्रक्रिया डिजिटल तरीके से संपन्न होती है.