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लालू-राबड़ी सरकार पर नीतीश के तंज पर भड़के शिवानंद, कहा-आजकल झोंक में कुछ भी बोल जाते हैं

1st Bihar Published by: First Bihar Updated Mon, 27 Nov 2023 06:32:23 PM IST

 लालू-राबड़ी सरकार पर नीतीश के तंज पर भड़के शिवानंद, कहा-आजकल झोंक में कुछ भी बोल जाते हैं

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PATNA: पटना के मिलर हाई स्कूल ग्राउंड में 26 नवंबर को जनता दल यूनाईटेड की ओर भीम संसद का आयोजन किया गया था। जिसमें भारी संख्या में लोग शामिल हुए थे। इस दौरान मुख्यमंत्री नीतीश कुमार ने मंच से संबोधित करते हुए लालू-राबड़ी सरकार पर निशाना साधा था। नीतीश कुमार के तंज से भड़के राजद के राष्ट्रीय उपाध्यक्ष शिवानंद तिवारी ने कहा कि हर नेता को यही लगता है कि जब वह सत्ता में आया तभी सब काम हुआ। नीतीश कुमार आए दिन राजद सरकार पर सवाल उठाते हैं। 


जबकि हकीकत यह है कि जब 1990 में लालू प्रसाद यादव बिहार के मुख्यमंत्री बने थे तब उन्होंने समाज को बदलने का काम किया था। पहले लोगों को वोट डालने नहीं दिया जाता है। पिछड़ी और दलित जातियों के लोगों पर बहुत अत्याचार होता था। लेकिन जब लालू की सरकार बनी तब उन्होंने इस अत्याचार के खिलाफ आवाज उठाने की बात की। वह समय था जब जाति से बड़े लोगों के सामने, दलितों को कौन कहे, अधिकांश पिछड़ों को खटिया या कुर्सी पर बैठे रहने को उदंडता माना जाता था. जहाँ तहाँ  इस अपराध की सजा तक मिलती थी. बिहार के वैसे सामंती समाज में लालू यादव की सरकार बनी थी. ऐसे समाज को बदलने की शुरुआत लालू जी ने दलितों को ही लक्ष्य बना कर शुरू किया था.


शिवानंद ने कहा कि कल भीम सम्मेलन बहुत सफल रहा. आयोजक इसके लिए बधाई के पात्र हैं. नीतीश जी सम्मेलन की सफलता से अभिभूत थे. गदगद नीतीश जी ने झोंक में कह दिया कि 2005 के पहले दलितों के उत्थान पर कोई ध्यान नहीं देता था. नीतीश जी हमारे पुराने साथी हैं. आजकल झोंक में ऐसा भी बोल जाते हैं जिसकी उम्मीद उनके जैसे व्यक्ति से नहीं की जाती है. मेरे जैसे उनके पुराने सहयोगी को उनमें आये इस परिवर्तन को लेकर कभी-कभी चिंता भी होती है.


उन्होंने कहा कि नीतीश जी यह क्यों भूल जाते हैं कि इसी बिहार में कर्पूरी ठाकुर जैसे नेता को खुले आम कैसी कैसी गलियाँ दी गई थीं. उस दृश्य को याद कर शर्म से सिर झुक जाता है. बहुत हद तक वैसे दबे हुए समाज में लालू यादव मुख्यमंत्री बने थे. वह समय था जब जाति से बड़े लोगों के सामने, दलितों को कौन कहे, अधिकांश पिछड़ों को खटिया या कुर्सी पर बैठे रहने को उदंडता माना जाता था. जहाँ तहाँ  इस अपराध की सजा तक मिलती थी. बिहार के वैसे सामंती समाज में लालू यादव की सरकार बनी थी. ऐसे समाज को बदलने की शुरुआत लालू जी ने दलितों को ही लक्ष्य बना कर शुरू किया था.


1990 के मार्च में उन्होंने एक योजना की शुरुआत की. इस योजना से दलित समाज के जीवन में सकारात्मक बदलाव की शुरुआत हुई थी. उसके अंतर्गत  इंदिरा आवास योजना के तहत दो वर्षों में साठ हज़ार घर बनाये गये. 1996 तक तो ग़रीबों के तीन लाख घर बन गए. यहाँ से वहाँ हटाये जाने वालों को सुरक्षित पक्का आवास मिल गया. उनके जीवन में तब्दीली की शुरुआत हुई. इसका रिकॉर्ड ग्रामीण विकास विभाग में उपलब्ध होगा. 


यह काम सिर्फ़ गाँवों तक ही सीमित नहीं रहा. राजधानी पटना में ही नज़र दौड़ाइए. राजा बाज़ार का भोला पासवान शास्त्री भवन सबकी नज़र में है. एक ज़माने में जिनके साये से लोग परहेज़ करते थे वे पक्का मकान में पहुँच गए. राजधानी पटना में केवल एक ही भवन नहीं है. मीठापुर , कदमकुआं, शेखपुरा, राजेंद्र नगर, लोहानीपुर, चितकोहरा पुल के नीचे दलितों के पक्के घर बनाये गये. उन मुहल्लों में पुराने घर को ख़ाली करकर नया निर्माण बहुत ही कठिन था.


 उनका पुराना घर ख़ाली करा कर उनके लिए पक्का घर बनाया जाएगा, इस पर उनको कैसे यक़ीन होता ! यह तो लालू यादव थे जिनकी बात पर भरोसा कर उनलोगों ने जैसे तैसे बना अपना पुराना घर ख़ाली किया था. आभिजात्य लोग लालू यादव को इस अपराध के लिए आज भी गरियाते है. कहाँ हमारे मुहल्ले में ललुआ ने गंदे लोगों को बैठा दिया.


लालू जी ने राजधानी में जिन दलित परिवारों को पक्का मकान में पहुँचाया था उनका परिवार अब बड़ा हो गया है. उनको पैर फैलाने की जगह नहीं मिल रही है. इसलिए हम तो नीतीश जी से नम्रतापूर्वक अनुरोध करेंगे कि उन आवासों को विस्तारित करें और वैसे, बल्कि उनसे बेहतर नये आवास का निर्माण कराएं.