MUNGER: जेडीयू के राष्ट्रीय अध्यक्ष ललन सिंह को अपने संसदीय क्षेत्र मुंगेर में भूमिहारों के ही विरोध का सामना करना पड़ा. जनसंवाद करने पहुंचे ललन सिंह से उनके स्वजातीय लोगों ने तीखे सवाल पूछने शुरू कर दिये. इसके बाद झल्लाये ललन सिंह ने कहा-हम आपसे वोट मांगने नहीं आये हैं, जिसको देना है दीजिये. इसके बाद ललन सिंह सिर्फ चार मिनट में अपना भाषण समाप्त कर वहां से निकल गये.
मुंगेर के इटहरी का वाकया
दरअसल ललन सिंह तीन दिनों के दौरे पर मुंगेर पहुंचे हैं. वे मुंगेर के अलग अलग गांवों में लोगों के साथ जनसंवाद का कार्यक्रम कर रहे हैं. आज वे जमालपुर प्रखंड के इटहरी में जनसंवाद करने पहुंचे थे. इटहरी भूमिहार बहुल गांव हैं. ललन सिंह वहां पहुंचे तो स्थानीय मुखिया औऱ उनके समर्थकों ने अपने सांसद का स्वागत किया. इसके बाद ललन सिंह ने जनता से संवाद करना शुरू कर दिया.
जेडीयू के राष्ट्रीय अध्यक्ष ने लोगों के सामने अपनी उपलब्धियां गिनाते हुए ये शिकायत करना शुरू किया कि लोग सांसद के काम को भूल जाते हैं. ललन सिंह ने ग्रामीणों से कहा की जब आपके गांव के सौ लोगो पर मुकदमा चल रहा था तो मैने ही सबको जेल जाने से बचाया था. रतनपुर स्टेशन के लिए कितना कुछ किया लेकिन आप लोग सब भूल गए. इस गांव में दोनों तरफ से सड़को का निर्माण अपने कार्यक्राल में कराया तो ये भी भूल गये.
इसके बाद ग्रामीणों में आक्रोश बढ़ गया. ग्रामीणें ने सांसद से पूछना शुरू किया कि एक दो मामलों को छोड़ कर बाकी आपने क्या किया ये बताइये. ग्रामीणों के सवालों से ललन सिंह झल्ला गये. उन्होंने झल्लाते हुए अपने भाषण को ये कह कर खत्म कर दिया कि हम आपसे बोट मांगने नहीं आये है आपको जिसको देने का मन है दीजिये. ग्रामीणों के विरोध के बीच ललन सिंह वहां से निकल गये.
इटहरी गांव में ललन सिंह के विरोध पर ग्रामीणों ने आक्रोश जताया. ग्रामीण मनोरंजन सिंह और अंजनी सिंह ने हा कि सांसद ने ग्रामीणों को गलत तरीके से सम्बोधित किया. हमलोग सांसद को जीत दिलाकर दिल्ली भेजते है और सांसद का काम है जनता की समस्या को सुनना. लेकिन पांच साल के कार्यकाल में सांसद ने गांव में एक चापाकल तक नहीं दिया. ग्रामीणों ने कहा की सम्बोधन के दौरान सांसद ने कहा की हम बोट मांगने नहीं आये है. इटहरी के जंगलराज देखने आये है.
ग्रामीण ललन कुमार ने कहा कि सांसद घमंड में बात कर रहे थे. इन दिनों उनका घमंड बढ़ गया है. वे पहले सही से बात करते थे. आज सांसद ने कह दिया कि मुखिया का कोई वैल्यू नहीं होता है. लेकिन मुखिया हो या सांसद दोनों जनता के वोट से ही चुने जाते हैं. मुखिया भी जनप्रतिनिधि होते हैं. सभी को बोट देते है तब वो बनते है लेकिन सांसद को सभी के पदों का ख्याल रखना चाहिए था।