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कुशवाहा ने खुद बंद किया था RJD से बातचीत का दरवाजा, अब कांग्रेस के साथ झेलना पड़ रहा

1st Bihar Published by: Updated Thu, 27 Aug 2020 12:38:47 PM IST

कुशवाहा ने खुद बंद किया था RJD से बातचीत का दरवाजा, अब कांग्रेस के साथ झेलना पड़ रहा

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PATNA: विधानसभा चुनाव में गठबंधन को लेकर सबसे कम विकल्प के साथ चल रहे आरएलएसपी अध्यक्ष उपेंद्र कुशवाहा परेशान हैं दरअसल उपेंद्र कुशवाहा की बातचीत सीट शेयरिंग के मुद्दे पर सहयोगी दलों के साथ आगे नहीं बढ़ पा रही है उपेंद्र कुशवाहा ने आरजेडी के साथ सीट बंटवारे पर बातचीत का दरवाजा खुद बंद किया था और कांग्रेस के सहारे वह सीटों का तालमेल बिठाने के प्रयास में थे लेकिन अब कांग्रेस भी कुशवाहा के लिए सीटों का एडजस्टमेंट नहीं करा पा रही है. दरअसल लोकसभा चुनाव के ठीक पहले कुशवाहा कांग्रेस के बूते ही एनडीए छोड़कर महा गठबंधन में शामिल हुए थे .लोकसभा चुनाव में उनकी पार्टी को 5 सीटों पर उम्मीदवार उतारने का मौका भी मिला लेकिन बिहार में एनडीए ने क्लीन स्वीप कर दिया इसके बाद कुशवाहा विधानसभा चुनाव पर नजर गड़ाए बैठे हैं लेकिन आरजेडी से सीटों का तालमेल करना आसान नहीं होने के कारण कुशवाहा ने तेजस्वी से बातचीत के दरवाजे बंद कर दिए. 


तेजस्वी यादव के सामने जब कुशवाहा ने दावेदारी की थी तब आरजेडी की तरफ से कुशवाहा को उम्मीदवार बताने के लिए कहा गया था इसके बाद कुशवाहा ने आरजेडी से कभी आगे बातचीत नहीं की. तेजस्वी यादव ने जब उपेन्द्र कुशवाहा को आइना दिखाया और उनको उनकी राजनीतिक हैसियत बताया तब उपेन्द्र कुशवाहा को अंदाजा हो गया कि तेजस्वी से बहुत कुछ हासिल होने वाला नहीं है ऐसे में ‘कुशवाहा’ ने कांग्रेस पर भरोसा किया. उपेन्द्र कुशवाहा ने कई बार दिल्ली की दौड़ लगायी. इधर आरजेडी की ओर से क्लियर कर दिया गया है कि उपेन्द्र कुशवाहा को सीट देने की जिम्मेवारी कांग्रेस की है. कुशवाहा किन सीटों पर उम्मीदवार उतारेंगे इसको लेकर उनकी बैचेनी बहुत नहीं है लेकिन कुशवाहा सीटों की एक तय संख्या चाहते हैं।


 2015 एनडीए में रहते हुए उपेन्द्र कुशवाहा ने 23 विधानसभा सीटों पर चुनाव लड़ा था। 2019 के लोकसभा चुनाव में जब महागठबंधन में सीटों का बंटवारा हुआ था तब 5 लोकसभा की सीटें उपेन्द्र कुशवाहा को मिली थी हांलाकि उनकी पार्टी एक भी सीट नहीं जीत पायी। मौजूदा स्थिति यह है कि उपेन्द्र कुशवाहा 2019 के अनुपात में हीं 2020 के विधानसभा चुनाव में सीटें चाहते हैं लेकिन कांग्रेस कुशवाहा की डिमांड पर आगे बढ़ती दिखायी नहीं दे रही है। कांग्रेस खुद भी आरजेडी से एक बड़ी हिस्सेदारी चाहती है। लब्बोलुआब यह है कि उपेन्द्र कुशवाहा ने आरजेडी से बातचीत का रास्ता खुद बंद किया और फिर कांग्रेस पर भरोसा उनको भारी पड़ गया है।