इस वजह से मगध यूनिवर्सिटी में नहीं हो रहा एग्जाम, प्रभारी कुलपति ने बताया कारण

इस वजह से मगध यूनिवर्सिटी में नहीं हो रहा एग्जाम, प्रभारी कुलपति ने बताया कारण

GAYA  : मगध यूनिवर्सिटी के छात्र पिछले कई वर्षों से इस बात को लेकर परेशान हैं कि अबतक उनका एग्जाम क्यों नहीं करवाया जा रहा है।  जीन छात्रों का अबतक स्नातक की डग्री मिल जानी चाहिए थी, वो अभी सेकंड ईयर में ही लटके हुए हैं। अब छात्र इसको लेकर उग्र हो गए हैं और आए दिन इस मसले को लेकर कुलपति के पास पहुंचने लगे हैं। लेकिन, इसके बाबजूद उनको माकूल जवाब नहीं मिल पा रहा है। वहीं, अब इस मसले को लेकर खुद  एमयू के प्रभारी कुलपति ने इसके पीछे की वजह से सभी को अवगत कराया है। 


एमयू के प्रभारी कुलपति जवाहरलाल का कहना है कि, परीक्षा आयोजित करवाने के लिए एडमिट कार्ड समेत कई अन्य चीज़ों के लिए एक डेटा सर्वर  की जरुरत होती है। मगध यूनिवर्सिटी के पास डेटा सर्वर तो हैं।लेकिन, इसका पासवर्ड नहीं मिल पा रहा है,इसी कारण परीक्षा नहीं आयोजित हो पा रही है। इसको लेकर प्रभारी कुलपति जवाहरलाल कई बार राज्य सरकार से लेकर राजभवन और जिला पुलिस तक इसकी शिकायत कर चके हैं, लेकिन इसके बाबजूद अबतक कोई सुनवाई नहीं हो पाई है। अब तक न तो पासवर्ड क्रैक कराया गया है और न ही इसे दिलाया गया है। अचरज की बात है कि संबंधित कंपनी और एमयू के बीच एग्रीमेंट से जुड़ा कोई भी दस्तावेज नहीं है। 


वहीं, जब इसको लेकर प्रभारी कुलपति जवाहरलाल से सवाल किया गया कि दस्तावेज क्या हुआ, तो उन्होंने इस मामले में चुप्पी साध ली या यूं कहें कि साफ- साफ कुछ भी नहीं बोल पा रहे हैं। उनका और परीक्षा नियंत्रक का कहना है कि यह काम पूर्व कुलपति डॉ राजेंद्र प्रसाद के समय का है। अब ऐसे में वर्तमान प्रभारी कुलपति क्या ही कर सकता है। बता दें कि, वर्तमान में प्रभारी कुलपति जवाहरलाल जिस डॉ राजेंद्र प्रसाद की बात कर रहे हैं, वो इससे पहले एमयू  के कुलपति थे। अब उनपर करोड़ों रुपए का गबन का केस एसवीयू में चल रहा है। हालांकि, अभी वे सुप्रीम कोर्ट के रहम पर गिरफ्तारी से दूर हैं। लेकिन, इसके बाबजूद एक पासवर्ड को क्रैक करने की हिम्मत न तो एमयू को है और न ही सरकार को।


इधर, इस मामले में छात्र संध के कुछ छात्र नेताओं का कहना है कि सरकार और राजभवन पूर्व कुलपति को बचाना चाहती है, इस कारण डेटा सर्वर का पासवर्ड नहीं बताया जा रहा है। वहीं परीक्षा नियंत्रक गजेंद्र गदकर का कहना है कि बहुत छानबीन के बाद पूर्व कुलपति के आवास से ही डेटा कंपनी को पेंमेंट किए जाने का प्रमाण मिला है। इसके अलावा कोई भी डाक्यूमेंट संबंधित कंपनी का आखिर नाम क्या है यह भी पता नहीं चल सका है।